लखनऊ, 7 नवंबर (वीएनआई)। बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि देश में केंद्र व राज्य सरकारों के बड़े व महत्वपूर्ण सरकारी कार्य अधिकांशत: निजी क्षेत्र को ही दिए जाने के समय से ही बसपा समाज के शोषित-पीड़ित दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गो (ओबीसी) को निजी क्षेत्र में भी आरक्षण दिए जाने की केंद्र सरकार से लगातार मांग कर रही है। लेकिन, इन वर्गो को मुख्यधारा से जोड़कर इनके जीवन में भी थोड़ा बुनियादी व आवश्यक सुधार लाने के लिए कोई भी सरकार तैयार नहीं है।
मायावती ने आज एक बयान में कहा, इस संबंध में अब बिहार में भाजपा के साथ सत्ता में बैठे लोगों (जनता दल युनाइटेड) को केंद्र में अपनी गठबंधन की सरकार से इन वर्गो को प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण देने की केवल मांग करने की बजाए, इन्हें इसमें सीधा आरक्षण ही दिलवाना चाहिए, यही ज्यादा उचित व बेहतर होगा। इस मामले में ऐसी कोरी बयानबाजी करके मीडिया में केवल सुर्खी बटोरकर सस्ती राजनीति व लोगों में सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने से काम चलने वाला नहीं है। बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) को पहले अपने स्तर पर ही कुछ काम करके भी दिखाना चाहिए। नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा था कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण होना चाहिए।
मायावती ने कहा, बसपा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से फिर से यह मांग करती है कि वह इन वर्गो को प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण देने के मामले में जल्द से जल्द ईमानदारी व गंभीरता दिखाने के साथ-साथ यहां अपरकास्ट समाज व मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के गरीब लोगों को भी आर्थिक आधार पर अलग से आरक्षण देने की अलग से व्यवस्था करे। यह देशहित में एक आवश्यक कदम होगा, जिसकी समाज को वर्षो से प्रतीक्षा है। मायावती ने कहा, भाजपा व आरएसएस के लोगों को देश के एससी, एसटी व ओबीसी वर्गो के आरक्षण को बरकरार रखे जाने को लेकर, इन्हें इस मामले पर केवल अपनी कोरी हवा-हवाई बयानबाजी करने के बजाय, इन वर्गो का समय से आरक्षण का कोटा भी अपनी केंद्र की सरकार से पूरा करवाना चाहिए, क्योंकि इसके अभाव में आरक्षण की मानवतावादी व कल्याणकारी व्यवस्था को पूरे तौर पर निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया गया है। बसपा अध्यक्ष ने कहा, "इतना ही नहीं इन वर्गो के सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण को भी संवैधानिक संशोधन के जरिए प्रभावशाली बनवाना चाहिए। इस संबंध में बसपा के संसद के भीतर व बाहर दोनों जगह जुझारु प्रयास से संवैधानिक संशोधन विधेयक राज्यसभा से तो पारित हो गया है, परंतु सरकार के जातिवादी रवैये के कारण यह लोकसभा में लंबित पड़ा हुआ है।"
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