नई दिल्ली 9 अप्रैल (वीएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानि 9 अप्रैल को विज्ञान भवन में आयोजित नवकार महामंत्र दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने नवकार महामंत्र का जाप किया, और कहा - ये मंत्र नई पीढ़ी के लिए जाप नहीं दिशा है, इस विशेष अवसर पर उन्होंने नंगे पांव चलकर और मंच पर बैठने के बजाय आम लोगों के बीच बैठकर अपनी विनम्रता और श्रद्धा का एक सशक्त संदेश दिया। यह दृश्य न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई से जुड़ी एक आत्मीय झलक भी पेश करता था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विकसित भारत अपनी संस्कृति पर गर्व करेगा। इसलिए हम अपने तीर्थंकरों की शिक्षाओं को सहेजते हैं। जब भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव का समय आया तो हमने देश भर में उसे मनाया। आज जब प्राचीन मूर्तियां विदेश से वापस आती हैं, तो उसमें हमारे तीर्थंकर की प्रतिमाएं भी लौटती हैं। पीएम मोदी ने कहा-मैंने लालकिले से कहा है- विकसित भारत यानी विकास भी, विरासत भी। एक ऐसा भारत जो रुकेगा नहीं, ऐसा भारत जो थमेगा नहीं। जो ऊंचाई छुएगा, लेकिन अपनी जड़ों से नहीं कटेगा।
प्रधानमंत्री ने जैन धर्म की आध्यात्मिक परंपरा और नवकार मंत्र की पवित्रता के प्रति गहरी आस्था प्रकट की। नवकार महामंत्र जैन धर्म का मूल स्तंभ माना जाता है — यह किसी विशेष व्यक्ति की स्तुति नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता, अहिंसा और आत्मानुशासन की भावना का स्मरण कराता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे जीवन का मूल स्वर... और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है, जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, बल्कि प्रत्येक अक्षर अपने आप में मंत्र है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मंत्र केवल एक धार्मिक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है और मैं नवकार महामंत्र की इस आध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने अंदर अनुभव कर रहा हूं. कुछ वर्ष पूर्व मैं बंगलूरू में ऐसे ही एक सामुहिक मंत्रोच्चार का साक्षी बना था, आज वही अनुभूति हुई और उतनी ही गहराई में हुई।'नवकार मन्त्र एक ऐसा मन्त्र है व्यक्ति को समाज से जोड़ता है और आंतरिक शांति के रास्ते पर अग्रसर करता है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा किआज आप लोगों ने जब इतनी बड़ी संख्या में, विश्वभर में एक साथ नवकार महामंत्र का जाप किया है, तो मैं चाहता हूं सब ये 9 संकल्प लेकर जाएं-
पहला संकल्प -पानी बचाने का.
दूसरा संकल्प-एक पेड़ मां के नाम.
तीसरा संकल्प-साफ,सफाई,
चौथा संकल्प- वोकल पर लोकल.
पांचवां संकल्प-देश दर्शन,
छठां संकल्प-नेचुरल फार्मिंग को अपनाना,
सातवां संकल्प-हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना,
आठवां सकल्प-योग और खेल को अपनाना,
नौवां संकल्प-गरीबों की मदद.
इस कार्यक्रम ने जैन दर्शन के शाश्वत सिद्धांतों — अहिंसा, संयम, और आत्मबोध — को पुनः स्मरण कराते हुए एक समरस और संवेदनशील समाज की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल का रूप ले लिया। प्रधानमंत्री का यह सादा और भावपूर्ण व्यवहार उन सिद्धांतों का जीवंत उदाहरण बन गया जिन्हें वह स्वयं जीवन में आत्मसात करते हैं।
नवकार महामंत्र दिवस का यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक ऐसी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया जो हमें हमारी मूल पहचान और आध्यात्मिक धरोहर से जोड़ता है।
संबोधन को विराम देते हुए उन्होंने कहा, 'मैं जैन समाज, मुनि-महाराज को भी नमन करता हूं'उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र एक मार्ग है। ऐसा मार्ग जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है, जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है।
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