दिल्ली, 4 जुलाई (वीएनआई) महाराष्ट्र की पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पल का डिजाइन चुराने का आरोप इटली की मशहूर लग्जरी फैशन कंपनी प्राडा पर लगा है।
इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें प्राडा से माफी मांगने और कोल्हापुरी चप्पल के कारीगरों को मुआवजा देने की मांग की गई है। याचिका में प्राडा के 'टो रिंग सैंडल' को GI-टैग वाली कोल्हापुरी चप्पल की नकल बताते हुए इसके व्यावसायीकरण पर रोक लगाने की भी मांग की गई है। गौरतलब है 22 जून को आयोजित मिलान फैशन वीक में प्राडा ने अपनी स्प्रिंग/समर 2026 मेन्सवेयर कलेक्शन में 'टो रिंग सैंडल' प्रदर्शित किए, जिनकी कीमत लगभग 1.2 लाख रुपये बताई गई। ये सैंडल कोल्हापुरी चप्पल से इतने मिलते-जुलते हैं कि सोशल मीडिया और समाचारों में इसे 'सांस्कृतिक चोरी' करार दिया गया।
कोल्हापुरी चप्पल बनाने की शुरुआत 12वीं सदी में कोल्हापुर, महाराष्ट्र में शुरू हुई। इसे पहले कपाशी, पयतान, कचकड़ी जैसे नामों से जाना जाता था। छत्रपति बिज्जला, शाहू प्रथम और राजाराम द्वितीय ने इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया।