आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद : राष्ट्रपति

By Shobhna Jain | Posted on 26th Jan 2016 | देश
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नई दिल्ली 26 जनवरी (वीएनआई) राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि मातृभूमि से प्रेम समग्र प्रगति का मूल है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अपने ज्ञानवर्धक प्रभाव से मानव प्रगति और समृद्धि पैदा करती है, भावनात्मक शक्तियां विकसित करने में मदद करती है, जिससे सोई उम्मीदें और भुला दिए गए मूल्य दोबारा जाग्रत हो जाते हैं। राष्ट्रपति ने पड़ोसी देशों के साथ सभी समस्याओं के निपटारे के लिए बातचीत पर ज़ोर दिया, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि गोलियों की बौछार के बीच बातचीत संभव नहीं है .उन्होंने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई दी. इस मौके पर उन्होंने आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया. राष्ट्रपति ने कहा, 'अच्छा आतंकवाद और बुरे आतंकवाद जैसा कुछ नहीं होता, आतंकवाद सिर्फ आतंकवाद होता है.' प्रणब ने 67वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, "शिक्षा का अंतिम परिणाम एक उन्मुक्त रचनाशील मनुष्य है, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक विपदाओं के विरुद्ध लड़ सकता है।" राष्ट्रपति ने कहा कि 'चौथी औद्योगिक क्रांति' पैदा करने के लिए जरूरी है कि यह उन्मुक्त और रचनाशील मनुष्य उन बदलावों को आत्मसात करने के लिए परिवर्तन गति पर नियंत्रण रखे, जो व्यवस्थाओं और समाजों के भीतर स्थापित होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक ऐसे माहौल की आवश्यकता है, जो महžवपूर्ण विचारशीलता को बढ़ावा दे और अध्यापन को बौद्धिक रूप से उत्साहवर्धक बनाए। "इससे विद्वता प्रेरित होगी और ज्ञान एवं शिक्षकों के प्रति सम्मान बढ़ेगा। इससे महिलाओं के प्रति आदर की भावना पैदा होगी।" राष्ट्रपति ने कहा, "हमारी शैक्षिक संस्थाएं मन में जाग्रत विविध विचारों के प्रति उन्मुक्त ²ष्टिकोण के जरिए, विश्व स्तरीय बननी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय वरीयताओं में प्रथम 200 में स्थान प्राप्त करने वाले दो भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के द्वारा यह शुरुआत हो गई है।" राष्ट्रपति ने कहा कि पीढ़ी का परिवर्तन हो चुका है, युवा बागडोर संभालने आगे आ चुके हैं, 'नूतन युगेर भोरे' के टैगोर के इन शब्दों के साथ आगे कदम बढ़ाएं : "चोलाय चोलाय बाजबे जायेर भेरी- पायेर बेगी पॉथ केटी जाय कोरिश ने आर देरी।" यानी "आगे बढ़ो, नगाड़ों का स्वर तुम्हारे विजयी प्रयाण की घोषणा करता है, शान के साथ कदमों से अपना पथ बनाएं; देर मत करो, देर मत करो, एक नया युग आरंभ हो रहा है। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कुछ बेहद महत्वपूर्ण बातों पर ज़ोर दिया,: 1. चरमपंथ उस कैंसर की तरह है, जिसे ऑपरेशन से काट कर बाहर निकाल देना चाहिए. 2. सूखे, बाढ़ और अंतरराष्ट्रीय मंदी के बावजूद भारत ने 7.30 फ़ीसदी की विकास दर हासिल की. अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने की ज़रूरत है. 3. आर्थिक सुधार आगे बढ़ाना होगा और इसके लिए तमाम राजनीतिक मतभेदों को पीछे छोड़ देना चाहिए. 4. तमाम मुद्दों पर राष्ट्रीय आम सहमति बनानी चाहिए. इस पर राजनीति न हो और न ही देर होनी चाहिए. 5. लोकतंत्र में विरोध, विद्रोह, मांग और शिकायतें होती रहती हैं. हमें इनके बीच सामंजस्य बनानी चाहिए. 6. साफ़ ऊर्जा, शहरी योजना और पर्यावरण की रक्षा के लिए नई खोज पर ध्यान देना होगा. 7. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमने अच्छा काम किया है, पर इसे और बेहतर बनाने की आवश्यकता है. 8. नए और खुले विचारों का स्वागत किया जाना चाहिए. 9. यह सदी चौथी औद्योगिक क्रांति की होगी. इसमे नई तरह के खोज पर ध्यान देना होगा. 10. वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हमें पर्यावरण रक्षा पर गंभीरता से काम करना होगा.
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