नई दिल्ली, 19 अगस्त (वीएनआई)भारत की वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों में बालिकाओं के घटते हुए शिशु लिंग अनुपात ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया कि अगर बेटी को नहीं बचाया तो भविष्य में बेटी, मां और जननी का अस्तित्व खतरे में है। जनगणना के अनुसार 0-6 वर्ष आयु वर्ग के 1000 लड़कों कें अनुपात में 918 लड़कियों का आंकड़ा होना पाया गया है, जोकि अब तक का सबसे कम है। हरियाणा में यह अनुपात 830 था। वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ो में लड़कियों की घटती संख्या के बारे में जो आंकड़े दर्शाये गये हैं उससे प्रतीत होता है कि कन्या भ्रूण हत्या हो रही है। इस सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही करने की जरूरत थी। इसी विषय की महत्वता को समझते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का शुभारम्भ माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी 2015 को जिला पानीपत, हरियाणा से किया गया, जिसका मुख्य उद्येश्य जैण्डर के आधार पर पक्षपाती भ्रूण हत्या को रोकना, बालिकाओं के अस्तित्व व शिक्षा और सुरक्षा को सुनिश्चित करना। लडकियों के जन्म के प्रति सकारात्मकता, शिक्षा और पोषण देने के लिए सामाजिक सोच में परिवर्तन लाना है। यह स्कीम हरियाणा के असंतुलित लिंगानुपात वाले 12 जिलों अम्बाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, सोनीपत, करनाल, पानीपत, नारनौल़, रेवाड़ी, रोहतक, भिवानी और झज्जर में शुरू की गई।
हरियाणा ने पहल करते हुए जिला स्तर पर 'प्रचार यात्रा' का आरंभ किया, जिसमें हर वर्ग के नागरिकों ने शहर तथा गांव स्तर पर यात्रा निकाल कर 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान में योगदान देने का संकल्प लिया। जनवरी माह में मनाई जाने वाली 'लोहड़ी' का पर्व मानसिक बदलाव लाने हेतू 'बेटी की लोहड़ी' के रूप में मनाया गया। ऐसा करने से हर गांव, नगर तथा शहर में बेटी के जन्म पर सकरात्मक विचार एंव रीति रिवाज़ बदलने की शुरुआत की गई।
सरकार द्वारा इस कार्यक्रम को प्रभावी रूप से तथा सफलता पूर्वक लागू करने हेतु समाज के सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की ओर कदम उठाये गये तथा समाजिक संगठनों, कॉरपोरेट सैक्टर तथा स्वैच्छिक संस्थाओं को भी साथ जोड़ा गया।
सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को लागू करने के लिय बहुत से कदम उठाये गये हैं :-
-बेटी बचाओ, बेटी पढाओ सचिवालय तथा महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से दस जिलों नामत: यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, सिरसा, फतेहाबाद, पलवल, रेवाडी, हिसार, नारनौल तथा भिवानी के उन गांवो का दौरा किया गया जिनमें लिंग अनुपात कम था। अधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन तथा अन्य समुदाय के साथ बैठकें की गई जिससे जिला, ब्लॉक तथा गांव स्तर पर कार्ययोजना बनाने में सहयता मिलेगी।
-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम से सम्बन्धित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय ट्रेनिंग वर्कशाप का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित प्रतिभागियों को मास्टर ट्रेनर्स के रूप में तैयार किया गया। इस कार्यशाला में विभिन्न हिस्सेदार जैसे कि स्थानीय शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा, स्वास्थय,पुलिस, जन सम्पर्क, महिला और बाल विकास बाल कल्याण समिति और बाल अपराधी न्याय बोर्ड के सदस्य आदि सभी शामिल ्थे.
-मास्टर ट्रेनर्स द्वारा बाल विकास परियोजना अधिकारियों के लिए वामा, राई सोनीपत में बेटी बचाओं बेटी पढाओं कार्यक्रम से संबंधित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
-राज्य में अब तक 98 प्रचार यात्राऐं आयोजित की जा चुकी है। इन यात्राओं का उद्देश्य सभी समुदायों को इकठठा करके जागरूक करना है।
-कार्यक्रम के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने के उद्येश्य से अब तक 2316 जागरूकता अभियान आयोजित किए गए।
-समाज में बालिकाओं के स्तर को बढाने के लिए बालिका का जन्म दिवस तथा लोहडी जैसे सांकृति, समाजिक कार्यक्रम मनाया गया। 'बालिका का जन्म दिवस' पर 5687 कार्यक्रम आयोजित किये गये।
गांवों में 15204 गुडडा-गुडडी बोर्ड लगाये गये जिनमें मास के दौरान हुये जन्म का पंजीकरण तथा गांव में लिंग अनुपात को दर्शाया गया ।
-राज्य के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को हिदायतें जारी की गई वे विभागीय आंगनवाडी केन्द्रों के भवनों पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का लोगो तथा ्नारा पेन्ट करवाएं। अब तक 1681 भवनों पर ऐसे लोगो लगाये जा चुके हैं।
-राज्य सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसरण में सभी सरकारी बिल्डिंगो, सार्वजनिक स्थानों, सभी शिक्षण संस्थानों, बस स्टैण्ड, अस्पताल, रेलवे स्टेशन व तकनीकी संस्थानों के भवनों पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के लोगो लगवाए गए हैं। सभी विभागों द्वारा जो भी प्रचार सामग्री तथा विज्ञापन तैयार किये जा रहे हैं उन पर भी पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का Logo भी छपवाया जा रहा है।
सरकार द्वारा पी एन डी टी एक्ट तथा एम टी पी एक्ट का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जिला के उपायुक्त के साथ मिलकर अपने जिलों में अल्ट्रा साउंड से चैक किया जा रहा है तथा छापे मारे जा रहे हैं। स्वास्थय विभाग द्वारा इन कानूनो का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही बारे मुख्यालय पर एक कानूनी विशेषज्ञ की नियुक्ति की गई है।
सरकार द्वारा उपरोक्त उठाए गए कदमों से कार्यक्रम को सफलता प्राप्त हो रही है तथा शिशु लिंग अनुपात में भी सुधार हो रहा है। 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम की शुरूआत जनवरी 2015 में की गई तथा सरकार तभी से इस कार्यक्रम को प्रभावी रूप से करने के लिए वचनबद्ध है। सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के उपरान्त जिन जिलों में शिशु लिंग अनुपात में सुधार हुआ है
सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढाओ कार्यक्रम को प्रभावी रूप से लागू करने के उद्येश्य से बालिकाओं के कल्याण हेतू और भी बहुत सी योजनाएं चलाई है। जिनका विवरण निम्न प्रकार से है:-
1.सुकन्या समृद्धि खाता योजना
माननीय प्रधानमन्त्री द्वारा 22 जनवरी 2015 को पानीपत में बेटी बचाओ बेटी पढाओं कार्यक्रम के शुभारंभ के अवसर पर सुकन्या समृद्धि खाता योजना की शुरूआत की गई। इस योजना का उद्देश्य असंतुलित लिंगानुपात की समस्या से निपटने तथा बेटी के जन्म के प्रति लोगो की सोच में सकारात्मक बदलाव लाना है। योजना के अन्तर्गत बालिका के जन्म से लेकर 10 वर्ष तक की आयु तक खाता खोला जा सकता है। राज्य में अब तक कुल 1,51,014 खाते खोले जा चके है ।
2.हरियाणा कन्या कोषः
हरियाणा कन्या कोष योजना माननीय मुख्यमंत्री द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय समारोह में 8 मार्च 2015 को लागू की गई। यह कोष हरियाणा की लड़कियों व महिलाओं के विकास व उन्नति के लिये गठित किया गया है। इस कोष का उद्देश्य है कि लड़कियों के लिये एक ऐसे वातावरण का निर्माण हो जहां उन्हें विकास व सशक्तिकरण के समान अवसर मिले। इस कोष को आपकी बेटी हमारी बेटी योजना की बालिकाओं के कल्याण एवं अन्य लड़कियों के विकास व उन्नति के लिये उठाये जाने वाले कदमों के लिये प्रयोग किया जायेगा। अब तक इस कोष के अन्तर्गत 56 लाख रूपये की राशि जमा हो चुकी है तथा कोष के नाम से बैंक खाता भी खोला जा चुका है।
3.आपकी बेटी - हमारी बेटीः
घटते लिंग अनुपात की समस्या को कम करने तथा लड़की के जन्म के प्रति समाज की सोच को बदलने के लिए आपकी बेटी - हमारी बेटी योजना 22.01.2015 से लागू की गई। योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति तथा गरीब परिवारों को पहली बेटी के जन्म पर 21000/- रू. तथा सभी परिवारों को दूसरी बेटी के जन्म पर 21000/- रू. की राशि दी जाएगी। यह राशि बालिका को 18 वर्ष की आयु होने पर लगभग 1.00 लाख रू. उसके उपयोग के लिए दी जायेगी। स्कीम का उद्येश्य लडकी के जन्म पर समाज की सोच में सकारात्मक बदलाव तथा उन्हें लडकी के भविष्य का आर्थिक आधार प्रदान करना है।
4.0-6 वर्ष तक के बच्चों का आधार पंजीकरण
राज्य में इस समय लगभग 28 लाख बच्चें है। जिनका आधार के अन्तर्गत पंजीकरण किया जाना है। इनमे से 3.20 लाख बच्चों को विभाग द्वारा आधार के साथ जोड दिया गया है।
5.गुमशुदा बच्चों की तलाश हेतु आप्रेशन मुस्कानः
महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा तथा पुलिस विभाग के संयुक्त प्रयासों से राज्य में 1 जुलाई 2015 से गुमशुदा बच्चों की तलाश हेतु आप्रेशन मुस्कान की शुरूआत की गई है। जिला स्तर पर गुमशुदा बच्चे जो कि सार्वजनिक स्थानों, बाल देखरेख संस्थाओं, आश्रय गृहों तथा बाल गृहों में रह रहे है की पहचान हेतु पुलिस अधिकारियों तथा जिला बाल संरक्षण अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है। गुमशुदा बच्चे जो कि रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, बाजार, अस्पताल, ढाबे, भटठों, धार्मिक स्थानों तथा सडको आदि पर रहते है की पहचान करने हेतु हिदायतें जारी की गई है। छापे के दौरान बच्चों को पकडने के समय टीम में जिला बाल संरक्षण अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, काउंसलर भी उपलब्ध रहते है। गुमशुदा बच्चों की पहचान उपरान्त उन्हें बाल देख-रेख संस्थाओं में तब तक रखा जाता है जब तक उन्हें उनके मॉ-बाप या संरक्षक को नही सौंपा जाता। राज्य में अब तक 4313 गुमशुदा बच्चों की पहचान की जा चुकी है जिसमें से 3840 बच्चों को उनके मां-बाप या संरक्षक को सौंपा जा चुका है।
6.यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए अधिनियम 2012ः
राज्य सरकार यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए अधिनियम 2012 को लागू करने के लिए वचनबद्ध है ताकि बच्चो को एक रक्षात्मक वातावरण प्रदान किया जा सके। इस अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए जागरूकता हेतु प्रचार किया गया है तथा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण तथा जागरूकता शिविरों का अयोजन किया गया है। अब तक 191 जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा चुका है जिनमें 43956 प्रतिभागियों द्वारा भाग लिया गया है। (पीआईबी से साभार)