्नई दिल्ली 11मार्च (वीएनआई) ्भले ही कुत्तों को इन्सान का सबसे विश्वास जनक साथी माना जाता है पर हाल मे हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि मनुष्यों को कुत्तों की भावनाओं को समझ नही नही आती है है। यह निष्कर्ष हाल ही में किए गए एक शोध में हैरानीजनक नतीजे सामने आये हैं , शोधकर्ताओं का मानना है कि इसकी एक प्रमुख वजह यह हो सकती है कि लोग अपनी भावनाओं को कुत्तों पर थोप देते हैं।
गौरतलब है कि मानव और कुत्तों के बीच गहरा संबंध रहा है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि दोनों की भावनात्मक प्रक्रियाएँ या अभिव्यक्तियाँ समान होती हैं। यह बात एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी, अमेरिका की पशु कल्याण वैज्ञानिक और मनोविज्ञान की शोधार्थी होली मोलिनारो ने कही।
इस अध्ययन के लिए दो प्रयोग किए गए, ताकि यह समझा जा सके कि मनुष्य कुत्तों की भावनाओं को कैसे देखते हैं।
पहले प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने ऐसे वीडियो रिकॉर्ड किए जिनमें कुत्तों को खुशहाल या नकारात्मक परिस्थितियों में रखा गया। खुशहाल परिस्थितियों में उन्हें कोई ट्रीट दी गई, जबकि नकारात्मक परिस्थितियों में हल्की डांट या वैक्यूम क्लीनर जैसी चीजों का उपयोग किया गया।
दूसरे प्रयोग में, इन वीडियो को इस तरह संपादित किया गया कि खुशहाल स्थिति में रिकॉर्ड किया गया कुत्ता नकारात्मक स्थिति में दिखाया गया और इसके विपरीत।
विचारणीय है कि इस अध्ययन में 850 से अधिक लोगों को शामिल किया गया। उन्हें ये वीडियो दिखाए गए और पूछा गया कि कुत्ता कितना खुश है।
परिणाम चौंकाने वाले थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि लोगों ने कुत्ते की भावनाओं का मूल्यांकन उसकी गतिविधियों पर नहीं बल्कि उसके आसपास की परिस्थितियों के आधार पर किया।
मोलिनारो ने बताया कि जब लोगों ने वैक्यूम क्लीनर के सामने कुत्ते की प्रतिक्रिया देखी, तो उन्होंने इसे भयभीत और असहज माना। लेकिन जब वही प्रतिक्रिया पट्टे (लीश) को देखकर हुई, तो लोगों ने कुत्ते को खुश और शांत बताया।
इससे यह स्पष्ट हुआ कि लोग कुत्तों की भावनाओं का आंकलन उनकी वास्तविक गतिविधियों पर नहीं, बल्कि उस स्थिति पर आधारित करते हैं जिसमें वे होते हैं।
अध्ययन में यह भी बताया गया कि मनुष्य कुत्तों की भावनाओं पर अपनी भावनाएँ आरोपित करते हैं। इसे 'एंथ्रोपोमोर्फिज़्म' कहा जाता है, जो कुत्ते की वास्तविक भावनात्मक स्थिति को समझने में बाधा उत्पन्न करता है।
अतः यह महत्वपूर्ण है कि हम कुत्तों की वास्तविक भावनाओं को समझने के लिए उनके व्यवहार को सही संदर्भ में देखें, बजाय इसके कि हम अपनी भावनाएँ उन पर आरोपित करें।
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