नई दिल्ली 20 मार्च (वी एन आई )आज यानि 20 मार्च को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 12 जुलाई 2012 को मे इंटरनेशनल डे ऑफ हैपिनेस या 'अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस' घोषित किया था. इससे पहले, साल 2011 में यूएन एडवाइजर जेम इलियन ने यूएन की महासभा में हैपीनेस डे को मनाने का प्रस्ताव रखा था. तभी से ये खास दिन यूएन के 193 सदस्य देशों में हर साल 20 मार्च के दिन मनाया जाने लगा. इस दिन लोगों को खुश रहने के लिए जागरूक किया जाता है
इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की थीम 'Caring and Sharing' है यानि दूसरों की परवाह करना और खुशियां साझा करना जो वास्तविक संतोष और प्रसन्नता का आधार है।इसलिए, इस विशेष दिन पर हम सभी को सोचना चाहिये कि हम अपनी और अपने आसपास के लोगों की खुशी के लिए क्या कर सकते हैं।?खुश रहना और खुशियां बांटना केवल खुद के लिये नही बल्कि सभी के लिये होना चाहिये जिससे पूरे समाज को उज्ज्वल और सकारात्मक बनाया जा सके।
गौरतलब है कि भूटान ने इस पहल को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई। 1970 के दशक से ही भूटान ने सकल राष्ट्रीय आय (GNP) से अधिक महत्व सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (GNH) को दिया। भूटान का यह दृष्टिकोण पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक बना और आखिरकार संयुक्त राष्ट्र ने इसे वैश्विक स्तर पर अपनाया।
2015 में, संयुक्त राष्ट्र ने 17 सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) निर्धारित किए, जिनका उद्देश्य गरीबी, असमानता और पर्यावरणीय क्षरण को कम करना था। ये तीनों तत्व प्रत्यक्ष रूप से खुशहाली और समग्र कल्याण से जुड़े हुए हैं।
्दरअसलआज की दुनिया कई संकटों से घिरी हुई है। यूक्रेन, यमन, गाजा और अन्य स्थानों पर संघर्ष और अस्थिरता ने लोगों के जीवन में अराजकता और पीड़ा बढ़ा दी है। ऐसे समय में खुशी पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है, लेकिन यह और भी जरूरी हो जाता है कि हम दूसरों के लिए सहानुभूति और स्नेह का भाव रखें। हमारी छोटी-छोटी खुशियां दुनिया को एक बेहतर स्थान बना सकती हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने 20 मार्च को विश्व प्रसन्नता दिवस के अवसर पर विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2024 जारी की, जिसमें भारत की स्थिती कुछ अच्छी नही है, वह 143 देशों में से 126वें स्थान पर है। भारत लीबिया, इराक, पाकिस्तान, फिलिस्तीन और नाइजर जैसे देशों से भी पीछे है।
आज की जीवन शैली मे जीवनशैली में भौतिक वस्तुएं हमारी खुशी का केंद्र बनती जा रही हैं, जिससे चिंता, तनाव और निराशा हमारे जीवन पर हावी हो जाते हैं। इसलिए, यह ्बेह्द ज़रूरी है कि हम खुशी के वास्तविक कारणों को पहचानें और जीवन में मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखें।
अब आपको कुछ फिल्मों के ्थोडे डॉयलॉग से रूबरू करायेंगे जो हम सबको खुश होकर जीने के लिये मजबूर कर देंगे
"ऑल इज वेल।" फिल्म थ्री ईडियट्स
"मैं अपनी फेवरेट हूं।" फिल्म जब वी मेट
"म्हारी छोरियां छोरों से कम है के।" फिल्म दंगल
"टेंशन लेने का नहीं, देने का!" फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस
"डरते तो हम किसी के बाप से नहीं हैं।" फिल्म तनु वेड्स मनु
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