बदलाव के दौर से गुजरता मैक्सिको

By Shobhna Jain | Posted on 9th Jul 2018 | VNI स्पेशल
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नई दिल्ली, 09 जुलाई, (वीएनआई/शोभना जैन) विदेश नीति पर नजर और दिलचस्पी रखने वालों को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की जून 2016 की चर्चित मेक्सिको यात्रा की वो तस्वीरे याद होगी जब मेक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नियेतो खुद गाड़ी चला कर श्री मोदी को शाकाहारी डिनर के लिये एक रेस्तरॉ मे ले जा्रहे थे. उस यात्रा के दौरान न/न केवल दोनो नेताओं ने व्यापार, निवेश,सूचना प्रद्द्योगिकी,्जल वायु परिवर्तन, पर्यावरण  और उर्जा जैसे क्षेत्रों मे सहयोग बढाने पर बल दिया साथ ही एक अहम बात यह रही कि मेक्सिको ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह- एन एस जी में भारत की दावेदारी का समर्थन दिया.

 
मेक्सिको मे इसी सप्ताह बदलाव की नई बयार बहनी शुरू हुई है.उथल पुथल के दौर से गुजर रही अर्थ व्यवस्था, भृष्टाचार,निरंतर बढते अपराध ग्राफ से जूझ रही मेक्सिको की जनता ने हाल ही मे  पिछले लगभग सौ साल से सत्ता रूढ 'पेन' और 'पीआरआई' पार्टी को एक झटके से सत्ता से बाहर कर के पहली बार साफ सुथरी छवि वाले वामपंथी नेता अंद्रेस मानुएल लोपेज ओब्राडोर को बदलाव की उम्मीद से सत्ता सौंप दी. ऐसे मे जबकि अब अमरीका सहित दुनिया की नजरे इस आने वाली नयी सरकार की नीतियों, प्राथमिकताओं,उस के असर विशेष तौर पर विदेश नीति पर रहेगी,खास तौर पर ऐसे में जबकि अमरीका और मेक्सिको के बीच अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से  व्यापार युद्ध, चर्चित नाफ्टा ्संधि और मेक्सिकों के प्रवासियों को ले कर अमरीका की नीति को ले कर तनाव काफी बढा हुआ है.्गौरतलब है कि हाल के दिनों में मेक्सिको से अमरीकी सीमा में आने वाले अवैध प्रवासियों और उनके बच्चों को लेकर दोनों देशों की तल्ख़ियां और बढ़ गई हैं. प्रवासियों से उनके बच्चों को अलग करने और बच्चों को 'डिटेन्शन सेंटर' में रखे जाने के ट्रंप प्रशासन की काफ़ी आलोचना हुई थी.

देखना होगा कि पिछले कुछ वर्षों मे एक बड़े विदेशी पूंजी निवेश केन्द्र के रूप में उभरे मेक्सिको के व्यापारिक हितों को साधने के साथ साथ निर्वाचित राष्ट्रपति ओब्राडोर देश मे बड़े पैमाने पर व्याप्त भृष्टाचार और अपराध से निबटने के अपने सामाजिक आर्थिक एजेंडा के बीच कैसे तालमेल बिठायेंगे?उन्होंने हाल ही में अपनी किताब,'2018:द वे आउट' में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बताया था और कहा था कि वह सामाजिक विभाजन का कारण बन रहा है। उन्होंने वादा किया था कि  वह देश में भ्रष्टाचार खत्म करके वह राष्ट्रीय गरिमा वापस लाएंगे। . मेक्सिको के पूर्व मेयर चौंसठ वर्षीय ओब्राडोर आगामी एक दिसंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे.हालांकि वामपंथी विचारधारा वाले श्री ओब्राडोर चुनाव प्रचार के दौरान नीतियों को ले कर ज्यादा ज्यादा मुखर नही रहे लेकिन यह  तय है कि वामपंथी होने के नाते उन का ज्यादा ध्यान कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर केन्द्रित होगा,परेशान जनता की तकलीफे दूर करने  के लिये तेजी से कदम उठायेंगे खास तौर पर ऐसे मे जबकि उन के दल को भारी बहुमत मिला हैं. वैसे अभी इतना जल्द  ओब्राडोर की नई नीतियों विशेष तौर पर विदेश नीति की बात करे तो आकलन जल्द्बाजी होगा.
 
बदलाव के इस नये दौर में अगर हम भारत की बात करे तो कुछ समय पहले ही भारत और मेक्सिकों के बीच अभय पक्षीय संबंध बढाने के लिये "डिनर  डिप्लोमेसी' का जो दौर था, अब बदलाव के इस नये दौर में  सुदूर्वर्ती मेक्सिको का यह बदलाव उभयपक्षीय  संबंधो के नजरिये से कितना अहम  रहेगा ? अलबत्ता  विशेषज्ञों का मत है कि संबंधों मे उसी सहजता की उम्मीद  सम्भवत आगे भी की जा सकती है.दरअसल भौगोलिक दृष्टि से काफी दूर होने के बावजूद लातीनि अमरीकी देशों के साथ भारत का व्यापार बढा है. भारत दुनिया भर मे अपने वाहनो का जो निर्यात करता है उस मे 23 प्रतिशत निर्यात इन्ही देशों को करता है. भारतीय कारो का एक चौथाई निर्यात अब भी मेक्सिको को ही होता है.पिछले तीन वर्षों मे यह बढा है और पिछले वर्ष तो यह 39 प्रतिशत बढा. विशे्षज्ञों का मत हैं कि अगर यह माना जाये कि दूरी होने की वजह से माल ढुलाई की वजह से यह व्यापार फायदे का सौदा नही है तो जमीनी सच्चाई इस से अलग है. दरअसल 2016-17 मे यह व्यापार 3.5 अरब डॉलर रहा जो कि म्यामार, थाईलेंड और ईरान जैसे पड़ोसी देशों से ज्यादा ही रहा. मेक्सिको, भारत का लेटिन अमरीकी देशों में सब से पुराना और भरोसेमंद व्यापारिक साझीदार रहा है.यह साझीदारी 1960 और 1970 के दशक से चली आ रही है जब कि भारत में हरित क्रांति के दौरान बीज और कषि संबंधी जानकारी उस से मिलती रही  थी.यहा यह भी जानना दिलचस्प हैं कि भारत के लिये मेक्सिको उत्तर और दक्षिण अमेरिका का द्वार सा है.

भारत में मेक्सिको की राजदूत मेब्ला प्रिया जो मेक्सिको राजदूत के सरकारी वाहन बतौर ऑटो के प्रयोग के लिये काफी खबरो मे रहती ह, कुछ माह पूर्व एक न्यूज  साईट को दिये गये एक इंटरवयू  मे उन्होने दोनो देशो के बीच और अधिक प्रगाढ संबंधों ्की संभावनाये जताते हुए कहा था कि  वर्ष 2006 में जहा दोनो देशों के बीच 1.8 अरब व्यापार ही होता था वही 2016 मे यह बढ कर 6.5 अरब डॉलर हो गया. दरअसल लेटिन अमरीकी देशों में मेक्सिको  भारत में सर्वाधिक विदेशी पूंजी निवेश करने वाला देश है. दो वर्ष पूर्व के व्यापार के ऑकड़ों की बात करे तो मेक्सिकों के १३ प्रमुख  कंपनियों ने भारत 800 मिलियन डॉलर का निवेश किया. दरअसल इन्फोसिस और टीसीएस जैसी  प्रमुख भारतीय आई टी कंपनियॉ वहा  कारोबार कर रही है.्भारतीयों सहित  लगभग 8 हजार  ्से अधिक कर्मचारी इन कंपनियों मे काम करते है लेकिन भारत मेक्सिको व्यापार का सर्वाधिक अहम पहलू मेक्सिको द्वारा भारत को निर्यात किया जाने वाला खनिज तेल है. लेटिन अमरीका-भारत  संबंधो  के एक विशेषज्ञ के अनुसार  ईरान से तेल लिये जाने को ले कर अमरीका के साथ  व्यापार युद्ध चल रहा है उस मे मेक्सिको खनिज तेल का विकल्प बन सकता है, खास तौर पर ऐसे मे जब कि संभावना.है कि ओब्राडोर अपनी व्यापक सामाजिक नीतियो के लिये तेल व्यापर बढा कर उनसे धन उगाहेंगे. 'आम्लो' के नाम से जाने वाले ओब्राडोर ने साल 2006 और 2012 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।बहरहाल मेक्सिको के इस बदलाव पर  दुनिया भर की निगाहे रहेंगी. साभार-लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)


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