नई दिल्ली, 20 अप्रैल (वीएनआई) भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिया गया बयान देशभर में चर्चा का विषय बनने के साथ विपक्ष के निशाने पर है जिससे अब खुद भाजपा ने किनारा कर लिया है।
दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अदालत "धार्मिक युद्ध भड़काने" का काम कर रही है और उन्होंने सवाल उठाया कि यदि सभी फैसले सुप्रीम कोर्ट को ही लेने हैं, तो संसद और विधानसभा की क्या जरूरत है?। वहीं उनके इस बयान ने अदालत के प्रति सम्मान का सवाल भी खड़ा कर दिया। इस बयान के बाद विपक्ष और बीजेपी के भीतर भी गहमा-गहमी शुरू हो गई, और पार्टी ने खुद को इस बयान से अलग कर लिया।
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि यह सांसद का व्यक्तिगत विचार है और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। नड्डा के बयान के बाद यह साफ हो गया कि बीजेपी इस विवाद से खुद को दूर रखना चाहती है।
वहीं विपक्ष की ओर से कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दुबे के बयान को संविधान का उल्लंघन और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करार दिया। उन्होंने इसे गंभीर हमला बताते हुए कहा कि सांसद द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर आरोप लगाना कोई मामूली बात नहीं है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी उनकी आलोचना की और कहा कि तानाशाही इस हद तक बढ़ गई है कि अब सांसद अदालत को चुनौती देने लगे हैं।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बीजेपी के इस कदम को न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश बताया और इसे भारत के सबसे शर्मनाक दौर के रूप में वर्णित किया।
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