संयुक्त राष्ट्र,23 अप्रैल (अनुपमाजैन/वीएनआई)धरती के बढते तापमान का मुकाबला करने के लिये भारत सहित दुनिया भर के 175 से अधिक देशों ने एक स्वर से ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये है. यह समझौता ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की दिशा मे अहम पहला कदम है जिससे धरती के बढते तापमान का मुकाबला किया जा सकेगा. पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कल रात संयुक्त राष्ट्र महासभा मे एक समारोह में भारत की तरफ से इस समझौते पर हस्ताक्षर किये. इस मौके पर अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी,फ्रांस के राष्ट्र्पति फ्रांस्वा ऑलां, कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन त्रुदो सहित अनेक देशो के शासनाध्यक्षों, मंत्रियों और विशिष्टजनो ने हिस्सा लिया .इस समझौते पर एक मत से हस्ताक्षर किये जाने पर हुई सहमति इस बात की द्योतक है कि बहुत देर होने से पहले धरती के निरंतर बढते तापमान पर अंकुश लगाने के लिये विकसित और विकासशील देश मिल कर कदम उठाये.विश्व पृथ्वी दिवस पर हुआ यह समझौता लगभग चार् माह पूर्व पेरिस समझौते पर काफी जद्दो जहद से हुई सहमति को कार्य रूप देने की दिशा मे पहला अहम कदम है
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए इसे इतिहास का एक अहम क्षण बताया. उन्होने कहा "आज आप भविष्य से जुडे एक संविदापत्र पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. यह दरअसल समय से लडाई हैं, ताकि नुकसान को समय रहते ही कम किया जा सके.' 17५ देशों के जलवायु समझौते के हस्ताक्षर समारोह में शामिल होने के साथ ही किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते पर एक दिन में ज्यादातर देशों का मौजूद रहना एक रिकार्ड है. इससे पहले 1982 में 119 देशों ने समुद्री नियम संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इस हस्ताक्षर के बाद देशों को अपने यहां से इस समझौते को मंजूरी दिलानी होगी.जब यूएनएफसीसी से जुडे कम से कम 55 देश, जिनका वैश्विक उत्सर्जन कम से कम 55 फीसदी हो, इस समझौते को घरेलू स्तर पर मंजूरी प्रदान कर देंगे तब उसके 30 दिनों के अंदर यह प्रभाव में आ जाएगा.
भारत ने कहा है कि धनी देशों के दशकों के औद्योगिक विकास के बाद जलवायु परिवर्तन से लडने का बोझ गरीब देशों के कंधों पर नहीं डाला जा सकता. भारत ने हर परिवार को बिजली की आपूर्ति की सरकार की योजना के तहत 2022 तक अपना नवीकरणीय विद्युत क्षमता चार गुणा बढाकर 175 गिगावाट करने की योजना की घोषणा की है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यूयॉर्क मे ही एक समारोह मे आश्वासन दिया था कि अपनी विकास जरुरतों के बावजूद भारत जलवायु की सुरक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है.
जेटली ने कहा था, ‘विकास के जिस स्तर तक हम पहुंचे हैं, वह बहुत है लेकिन अब भी एक कठोर सत्य यह है कि हमें काफी सफर करना है. हमें और अधिक मकानों, बिजली, शौचालयों, सडकों और फैक्टरियों की जरुरत है. अतएव ईंधन की हमारी आवश्यकता निश्चित ही बढने जा रही है. इन सभी के बावजूद पर्यावरण को बचाने के हमारे अपने मापदंड बडे कठोर है.' उन्होंने कहा, ‘हम अपने जिम्मेदारियों को लेकर सजग हैं.'वी एन आई