बीजिंग,2 जून (वीएनआई)भारत के मुखर विरोध के बावजूद अफगानिस्तान ने पाक अधिकृत क्षेत्र मे बन रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे ( चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कारिडोर-सीपीइसी) का समर्थन किया है लेकिन साथ ही भारत के साथ द्विपक्षीय संबंध को " असाधारण, प्रगाढ और सहयोगपूर्ण " भी बताया है . भारत चीन की सहायता से पाक अधिकृत कश्मीर मे बनने वाले सामरिक महत्व के इस गलियारे का विरोध करता रहा है.चीन इस क्षेत्र मे जल विद्युत परियोजना सहित अन्य अनेक निर्माण परियोजनाये चला रहा है, जिसका भारत विरोध जताता रहा है और भारत के लिये पाक अधिकृत क्षेत्र मे इस तरह की गतिविधियॉ और ये निर्माण कार्य निरंतर चिंता के विषय बने हुए है.भारत लगातार कहता रहा है कि पाक अधिकृत क्षेत्र भारत का हिस्सा है ऐसे मे उसके क्षेत्र मे ये गतिविधियॉ आपत्तिजनक है.
चीन मे अफगानिस्तान के नव नियुक्त राजदूत जनान मो्साजाइ ने चीन -पाक आर्थिक गलियारे का समर्थन करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान् भी इस गलियारे से जुड़ना चाहता है और वह चाहता है कि उसके जरिये मध्य एशियायी देश भी इस आर्थिक गलियारे से जुड़े.
चीन के पीपुल्स डेली समूह से जुड़े ग्लोबल टाइम्स अखबार को दिये एक इंटरव्यू में अफगानी राजनयिक जनान मो्साजाइ ने कहा कि एक ओर जहां अफगानिस्तान और चीन का रिश्ता बहुत ही खास और बहुआयामी है,वही भारत के साथ भी हमारा नजदीकी संबंध है. भारत और अफगानिस्तान का रिश्ता सदियों पुराना है और सरकार के स्तर पर भी दोनों देशों के बीच सहयोगी नाता है.
गौरतलब है कि 46 अरब डॉलर की लागत वाली इस आर्थिक कॉरीडोर परियोजना का अहम पहलू यह है कि यह चीन के शिंजियांग को सीधे पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ेगी. चीन द्वारा बनाये जा रहे सामरिक महत्व के इस गलियारे का विरोध भारत इसलिए करता है कि यह पाक अधिकृत कश्मीर होकर गुजरता है. इस जगजाहिर सच्चाई के बावजूद चीन का कहना है कि यह महज एक आर्थिक परियोजना है जिसका किसी तीसरे देश से कोई लेना देना नही है.चीन के प्रधान मंत्री ने तो यहा तक कह डाला कि यह परियोजना पूरे क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिये है. भारत के आधिकारिक सूत्रो के अनुसार इस गलियारे के साथ बड़ी तादाद मे वहा चीनी फौजे भी तैनात है. चीन इस क्षेत्र मे जल विद्युत परियोजना सहित अनेक निर्माण परियोजनाये चला रहा है, जिसका भारत विरोध जताता रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने भी गत अप्रैल मे अपने चीन यात्रा के दौरान भारत की तरफ से इस गलियारे की परियोजना का विरोध किया था. लेकिन् चीन और पाकिस्तान मिल कर इस परियोजना का काम बदस्तूर जारी रखे हुए है. पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल राहील शरीफ कह चुके है कि इस वर्ष से चीन से जहाज इस बंदरगाह पर उतरने शुरू हो जायेंगे.
राजदूत ने कहा, "हम सीपीइसी का समर्थन करते हैं. हम भी इस परियोजना से जुड़ना चाहते हैं और मध्य एशिया के देशों से जुड़ने की प्रक्रिया में योगदान चाहते हैं. हमारे लिए यह उचित है कि हम उन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ायें जिससे हमारे देशवासियों को अधिक से अधिक फायदा हो." उन्होने कहा कि इस क्षेत्र मे हम सभी आतंकवाद के साझा शत्रु से जूझ रहे है, लेकिन इस साझी शत्रु से निबटने केलिये हमारेपास समान नीति नही है
यह पूछे जाने पर कि क्या चाबहर बंदरगाह, जिसके लिए अफगानिस्तान,भारत और ईरान ने समझौता किया है, ग्वादर बंदरगाह और इस गलियारे के लिए एक चुनौती है, राजनयिक ने अफगानिस्तान को नई दिल्ली और बीजिंग दोनो का ही दोस्त बताया.उन्होंने कहा कि इन दोनों मुल्कों के साथ हमारा रिश्ता सामरिक है,न कि प्रतिस्पर्धात्मक.वी एन आई