भारत के असैन्य परमाणु दायित्व कानून मे संशोधन नही -सरकार

By Shobhna Jain | Posted on 8th Mar 2015 | VNI स्पेशल
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नई दिल्‍ली 8 फरवरी (शोभना जैन,वीएनआई) चर्चित भारत अमरीका परमाणु करार की पृष्ठभूमि मे भारत के सिविल न्‍यूक्लियर लॉ‍यबिलिटी कानून (सीएलएनडी) तथा नियमो को लेकर भारत तथा अमरीका के बीच हाल मे हुई सहमति पर वस्तुस्थति जानने को लेकर उठे तमाम सवालो और अटकलबाजियो का जबाव देते हुए केंद्र सरकार ने आज स्पष्ट किया कि देश के सिविल न्‍यूक्लियर लॉ‍यबिलिटी कानून (सीएलएनडी) अथवा नियमो में कोई भी संशोधन करने का कोई प्रस्ताव नही है। भारत अमरीका परमाणु करार के क्रियान्वन के बाद न्‍यूक्लियर हादसा होने की स्थिति में जिम्‍मेदारी, मुआवजा और क्षतिपूर्ति के अधिकार के संबंध में अक्सर पूछे जा रहे सवालो का सार्वजनिक तौर पर जबाव देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सिविल लॉयबिलिटी फार न्‍यूक्लियर डेमेज (सीएलएनडी) कानून या नियमों में संशोधन का कोई प्रस्‍ताव नहीं है। मंत्रालय ने कहा है कि न्‍यूक्लियर हादसा होने की स्थिति में पीडि़तों की ओर से मुआवजे के लिए रिएक्‍टर की आपूर्ति करने वाली विदेशी कंपनी पर मुकदमा नहीं किया जा सकता है। लेकिन, रिएक्‍टर ऑपरेटर की ओर से विदेशी सप्‍लायर को जवाबदेह बनाया जा सकता है, क्‍योंकि ऑपरेटर पर क्षतिपूर्ति की जिम्‍मेदारी होगी। देश में न्‍यूक्लियर हादसा होने की स्थिति में भारतीय नागरिक विदेशी कंपनियों के खिलाफ मुआवजे का मुकदमा नहीं कर सकेंगे। भारत और अमेरिका के बीच हुए सिविल न्‍यूक्लियर समझौते की शर्तों को उजागर करते हुए केंद्र सरकार ने यह बात कही है। हालांकि न्‍यूक्लियर पावर प्लांट संचालित करने वाली कंपनी रियेक्टर सप्लाई करने वाली विदेशी कंपनी के खिलाफ जवाबदेही की कार्रवाई कर सकती है। केंद्र सरकार ने अमरीका के साथ असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते के क्रियान्वन को लेकर परमाणु क्षतिपूर्ति उत्तरदायित्व से जुडे जटिल मुद्दों के समाधान के बारे में बनी सहमति का विस्तृत ब्योरा अज सवाल, जबावो के रूप मे सार्वजनिक करते हुए साफ किया कि, असैन्य परमाणु क्षतिपूर्ति उत्तर दायित्व काननू 2010 तथा तत्संबंधी नियमावली 2011 में किसी भी प्रकार के संशोधन का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार ने बताया कि इस समझौते के क्रियान्वन के बारे मे दोनो देशो के वार्ताकरो के संपर्क समूह की दिसंबर और जनवरी में दिल्ली, विएना और लंदन में तीन बैठकें हुईं। जिनमें भारतीय पक्ष के रखे जाने के बाद यह आम सहमति बन गयी कि असैन्य परमाणु क्षतिपूर्ति उत्तर दायित्व कानून - कनवेंशन ऑन सप्लीमेंट्री कम्पन्शेशन फॉर न्युक्लीयर डेमेज-सी एस ई अंतर्राष्ट्रीय पूरक क्षतिपूर्ति संधि के अनरूप ही है। जिसे भारत जल्दी ही अनुमोदित करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय-अमेरिका परमाणु वार्ताकारो के बीच करार के क्रियान्वन संबंधी नीतिगत गतिरोधों पर तीन दौर की चर्चा के बाद सहमति बनी थी। यह तीनों बैठकों नई दिल्‍ली, विएना और लंदन में हुई थीं। इस मुद्दे पर आखिरी बैठक अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा को 25 जनवरी से शुरू हुई तीन दिवसीय भारत यात्रा के तीन दिन पहले हुई थी। इसके बाद भारत और अमेरिका के बीच न्‍यूक्लियर लायबिलिटी के मुद्दों पर एक सहमति बन गई और दोनों देशों ने सितंबर 2008 के द्विपक्षीय ‘123’ समझौते के क्रियान्वयन की प्रशासकीय व्यवस्था संबंधी मसौदे को अंतिम रूप दे दिया। । अब दोनों पक्ष भारत में परमाणु संयंत्रों की स्थापना को लेकर वा्णिज्यिक चर्चा शरू कर सकते हैं। -वी एन आई

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