नई दिल्ली 21 मार्च (वीएनआई) वासंतिक नवरात्र भगवती की आराधना के साथ आज से शुरू हुआ। इस बार नवरात्र आठ दिनों का है। आमतौर पर नवरात्र के दिनों का घट जाना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन इस बार चैत्र नवरात्र के आठ दिन में छह दिन शुभ संयोग वाले रहेंगे। पहले दिन दिन श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना कर भगवती की पूजा-अर्चना की और नवरात्र व्रत का संकल्प ले व्रत शुरू किया। सुबह सुबह ही से घरों व मंदिरों में कलश स्थापना का सिलसिला शुरू हो गया। श्रद्धालु पूरे नवरात्र दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंगे। नवरात्र की तैयारियां को ध्यान मे रखते हुए देर रात तक पूजा सामग्री की खरीददारी होती रही।
हिंदु नववर्ष विक्रम संवत २०७७ आज से शुरू हो गया|प्रकांड विद्वानों के अनुसार नवरात्रि में देवी की पूजा का खास महत्व है। दुर्गा का अर्थ है परमात्मा की वह शक्ति, जो स्थिर और गतिमान है, लेकिन संतुलित भी है। किसी भी तरह की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है। यह शक्ति हमें देवी मां की पूजा करने से मिलती है।
चैत्र नवरात्र की शुरुआत पर शनिवार को काशी सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा हो रही है। राज्य के दूर-दराज इलाके से श्रद्घालु देवी मां के दर्शन के लिए काशी पहुंच रहे हैं और परिवार की सुख-शांति के लिए मन्नतें मांग रहे हैं।काशी के अलावा इलाहाबाद, लखनऊ , कानपुर, मेरठ और झांसी में मंदिरों के बाहर सुबह से ही श्रद्घालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। पुलिस प्रशासन ने किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए मंदिर परिसरों के बाहर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है।
भगवती दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री का है। हिमालय के यहां जन्म लेने से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। इनका वाहन वृषभ है। शैल पुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। इन्हें पार्वती का स्वरूप भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस रूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी और इनके दर्शन मात्र से वैवाहिक कष्ट दूर होते हैं।
नवरात्रि में देवी की पूजा का खास महत्व है। दुर्गा का अर्थ है परमात्मा की वह शक्ति, जो स्थिर और गतिमान है, लेकिन संतुलित भी है। किसी भी तरह की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है। यह शक्ति हमें देवी मां की पूजा करने से मिलती है।
हिमाचल प्रदेश में भी नौ दिनों के चैत्र नवरात्र पर्व की शुरुआत पर शनिवार को मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिलासपुर जिले के नैनादेवी मंदिर, उना जिले के चिंतपुरनी मंदिर और कांगड़ा जिले के ज्वालाजी एवं ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में भक्तों की बड़ी भीड़ देखी जा रही है।
चैत्र नवरात्र का समापन 28 मार्च को रामनवमी के पर्व के साथ होगा। शास्त्रों के ज्ञा्ता एवम अनेक विद्वानों के अनुसार अनुसार 21 मार्च को शुरू हो रहे नवरात्र की पूर्णाहुति 28 मार्च को है। 21 मार्च को सूर्योदय 6 बजे व प्रतिपदा तिथि का मान दिन में 1.4 बजे तक है। कलश स्थापना के लिए प्रात: 6 से 7.10 बजे तक, दिन में 10 से 12.57 बजे तक का समय उत्तम है। महाष्टमी व्रत हृषीकेश पंचाग के अनुसार 27 मार्च को सूर्योदय 5.56 बजे और अष्टमी तिथि का मान 28 मार्च को सूर्योदय से पूर्व 5.11 बजे तक है। सूर्योदय से शुरू होकर रात्रि पर्यत अष्टमी तिथि होने से 27 मार्च को ही महाष्टमी ग्राह्य है। महानिशा पूजन इसी दिन होगा। महानवमी व्रत 28 मार्च को सूर्योदय 5.11 बजे के बाद संपूर्ण दिन व रात्रि नवमी तिथि है। इसलिए इसी दिन महानवमी व्रत रखा जाएगा। 29 मार्च को एक पल अर्थात मात्र 24 सेकेंड नवमी होने से वह नवमी व्रत के लिए अमान्य है। पारण नवरात्र के सभी दिन व्रत रहने वाले श्रद्धालु नवमी (28 मार्च) को कन्या पूजन व हवन कर व्रत की पूर्णाहुति करेंगे तथा पारण 29 मार्च को करेंगे। वहीं प्रथम दिन व अष्टमी तिथि को व्रत रहने वाले श्रद्धालु नवमी के दिन यानी 28 मार्च को पारण कर लेंगे।