नई दिल्ली, 21 दिसंबर, (वीएनआई) केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा किसी के भी कंप्यूटर डेटा की जांच के लिए 10 एजेंसियों को दिए गए अधिकार वाले आदेश पर अब देश की सियासत फिर से गरमा गई है। इस आदेश पर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है।'
कांग्रेस की तरफ से कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा, अबकी बार निजता पर वार। उन्होंने ट्वीट किया, 'चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार अब आपके कंप्यूटर की जासूसी करना चाहती है। यह निंदनीय प्रवृत्ति है।'
टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस आदेश को खतरनाक करार देते हुए जनता से राय मांगी है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा कि इसका एजेंसियों की ओर से मिसयूज हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिना चेक ऐंड बैलेंस के एजेंसियों को इस तरह की ताकत देना चिंता की बात है।
एनसीपी नेता माजिद मेमन ने कहा कि यह आम लोगों की निजता में दखल है। आखिर कैसे कोई भी एजेंसी किसी के भी घर में घुसकर उनके कंप्यूटर डेटा की जांच कर सकती है।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने भी इस आदेश को आम जनता की जासूसी करने का अधिकार देने वाला फैसला बताया है।
सी.पी.एम. महासचिव सीताराम येचुरी ने निजी कंप्यूटरों को भी जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए सवाल किया कि सरकार प्रत्येक भारतीय को अपराधी क्यों मान रही है? येचुरी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के 10 केंद्रीय एजेंसियों को सभी कंप्यूटरों पर निगरानी करने संबंधी आदेश को असंवैधानिक बताया है।
आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा, 'मई 2014 से ही भारत अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है। बीते कुछ महीनों में तो मोदी सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं। अब नागरिकों के कंप्यूटर तक का कंट्रोल मांगा जा रहा है। क्या दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में मूलभूत अधिकारों का इस तरह से हनन स्वीकार किया जा सकता है?
एआईएमआईएम पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा, मोदी सरकार ने एक आदेश के जरिए राष्ट्रीय एजेंसियों को हमारे कॉम्युनिकेशंस की जासूसी करने का आदेश दे दिया है। कौन जानता है कि उनके घर-घर मोदी के नारे का क्या अर्थ था।
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