देखने को मिली काशी की छटा - उ प्र चुनाव में

By Shobhna Jain | Posted on 4th Mar 2017 | राजनीति
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विद्या शंकर राय वाराणसी, 4 मार्च ( वीएनआई)। उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल ने शनिवार को काशी की रंगत ही बदल दी। अपने अंदर तमाम सांस्कृतिक विरासतों को समेटे अल्हड़ और अलमस्त काशी सिनेमा के पर्दे के तरह दिनभर रंग बदलती दिखाई दी। फिल्मों की भाषा में यदि इसे देखा जाए तो 'मध्यांतर' से पहले जहां काशी को प्रधानमंत्री के रोड शो ने भाजपामय कर दिया था, वहीं मध्यातंर के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साझा रोड शो ने काशी को चुनावी 'क्लाइमेक्स' पर पहुंचा दिया। उप्र विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण के चुनाव से पूर्व काशी का सियासी पारा चरम पर पहुंच गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अखिलेश, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व बसपा अध्यक्ष मायावती सभी ने वाराणसी को ही केंद्र बनाया। दोपहर तक मोदी का जादू चलता रहा तो दोपहर बाद राहुल और अखिलेश ने अपना दम दिखाया। इस बीच बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद मांगने से भी इनमें से कोई नहीं चूका। इनसे कुछ किलोमीटर दूर मायावती की जनसभा होती रही। सभी के समर्थक जोश से लबरेज दिखे। एक तरह काशी तीन खेमों में बंटी नजर आई। हालांकि इस दौरान बड़ी संख्या में मूकदर्शक भी दिखाई दिए। उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में अभी तक सभी दलों के सूरमा केवल दूर-दूर से एक-दूसरे पर हमले कर रहे थे। लेकिन अंतिम चरण में 40 सीटों के लिए बची लड़ाई के दौरान शनिवार का दिन काशी के लिए ऐतिहासिक हो गया। वाराणसी में टिकट बंटवारे से उपजे असंतोष व बागियों की चुनौती से जूझ रही भाजपा ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बहाने मोदी को भुनाने के लिए सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। काशीवासियों के दिलों के नजदीक पहुंचने के लिए, हालांकि इस बार कालभैरव दर्शन को भी जोड़ा गया, क्योंकि अभी तक मोदी एक बार भी कालभैरव नहीं गए थे। मान्यता है कि बाबा के दर्शन से पहले शहर कोतवाल कालभैरव के दर्शन करना जरूरी है। दोपहर तक शहर अगर मोदी-मोदी के नारों से गुंजायमान था तो दोपहर बाद इसकी जगह उप्र को यह साथ पसंद है ने ले ली। अब तक भले ही सपा व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में समन्वय न होने के स्वर उठते रहे हों, लेकिन वाराणसी में दोनों के कार्यकर्ता जिस अंदाज में नजर आए, उससे ऐसा लगा कि यह दो युवाओं की यह दोस्ती काफी दूर तलक जाएगी। टकराहट का माहौल कई जगह बना, लेकिन इस अलमस्त शहर ने दलीय प्रतिबद्धता के बीच अमन-चैन बनाए रखा। शाम को राहुल-अखिलेश थमे तो फिर जौनपुर से लौटे मोदी की शहर के मध्य टाउनहॉल में सभा शुरू हो गई, जिसने शहर को एक बार फिर गरम कर दिया। सभी दलों की यही कोशिश कि दूसरे के पक्ष से उठे शब्द मतदाता के दिमाग में घर न बना सके। सड़कों पर उमड़ी इस लड़ाई से कुछ किलोमीटर दूर दोपहर में अपने परंपरागत वोटों की भीड़ को बसपा अध्यक्ष मायावती इन दोनों से दूर रहने की नसीहत देते हुए गरजती रहीं और मोदी के रोड शो में शामिल होने वाली भीड़ को उन्होंने 'भाड़े की भीड़' का बताया।

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