नई दिल्ली, 10 दिसंबर, (वीएनआई) लोकसभा ने आज ‘संविधान (126वां संशोधन) विधेयक-2019' को मंजूरी दे दी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों को दिए गए आरक्षण को 10 साल बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सदन में कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ जुर्म के मामलों की जांच दो महीने में और सुनवाई छह महीने में पूरा करने के लिए वह राज्यों को पत्र लिखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा हम उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखेंगे कि अदालत में सुनवाई छह महीने में पूरा करनी है क्योंकि यह 2018 में पारित कानून का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 1023 फास्ट ट्रैक अदालतों को मंजूरी दी गई है और इससें 400 से अधिक पर काम आगे बढ़ गया है।
रविशंकर प्रसाद के जवाब के बाद सदन ने ‘संविधान (126वां संशोधन) विधेयक-2019 को मंजूरी दे दी। निचले सदन में मत विभाजन में इस विधेयक के पक्ष में 352 मत पड़े और विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। संविधान संशोधन विधेयक होने के मद्देनजर इसे सदन के कुल सदस्यों की संख्या के बहुमत एवं उपस्थिति सदस्यों की संख्या के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है। वहीं प्रसाद ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का पूरा समाज ही पिछड़ा है, ऐसे में इसे दो भाग में बांटने की जरूरत नहीं है और क्रीमीलेयर की एससी/एसटी समाज में जरूरत नहीं है।
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