नई दिल्ली 30 अप्रैल (अनुपमा जैन,वीएनआई) केजरीवाल सरकार ने वादे के अनुरूप राष्ट्रीय राजधानी को पूर्ण राज्य बनाने के लिए विधेयक 'दिल्ली स्टेट बिल' का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस बिल को दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर डाला जायेगा और जनमतसंग्रह किया जायेगा उसके बाद उसे विधानसभा मे पेश किया जायेगा ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दी और बताया कि "दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए ड्राफ्ट बिल तैयार है। जल्द ही इसको जनता के बीच रखकर सुझाव और टिप्पणियां ली जाएंगी.." सूत्रों के अनुसार आप सरकार चाहती है कि इस विधेयक को सभी दल राजनीति से उपर उठ कर सर्व सहमति से पारित करे ताकि दिल्ली का तेजी से विकास किया जा सके .सूत्रो के अनुसार सरकार राज्य के विपक्षी दलों भाजपा एवं कांग्रेस से भी बिल पर विचार लेगी और समर्थन की मांग करेंगी. हालांकि कांग्रेस व बीजेपी ने इसे सियासी ड्रामा करार दिया है
गौरतलब है कि पूर्ण राज्य का दर्जा 'आप' सरकार के चुनावी वादों में से एक बेहद अहम वादा है और उसे चुनावी घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल किया था ,केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के पक्ष कहते हैं कि इससे उन्हें शहर में अपनी योजनाएं लागू करने में मदद मिलेगी. यूं तो केजरीवाल अपनी राजनीति की शुरूआत से ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का मिलने की मांग कर रहे हैं पर इसको लेकर जनमतसंग्रह कराने की बात गत वर्ष से चल रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आम आदमी पार्टी के सभी विधायक बिल पर जनमतसंग्रह करेंगे, इसके लिए दिल्ली स्टेट बिल-2016 को लेकर वे अपने अपने क्षेत्रों में सभा करेंगे। लोगों को बिल की जानकारी देंगे और उनसे इस पर परामर्श भी लेंगे। वेबसाइट और सभा के जरिए जनमतसंग्रह के बाद सरकार बिल को अंतिम रूप देगी और फिर अगले सत्र में विधायक को विधानसभा में पेश किया जाएगा।
लेकिन कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए संसद की मंजूरी जरूरी है. पिछली एनडीए सरकार के दौरान भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात हुई थी. तब करीब 450 सांसदों ने तत्कालीन उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी से मिलकर विरोध जताया था. सीएम बनने के बाद केजरीवाल ने नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उठाया था.उल्लेखनीय है कि संविधान सभा के अध्यक्ष पट्टाभिसीतारमैया ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की सिफारिश की थी, लेकिन ड्राफ्ट कमेटी के चैयरमेन डॉक्टर आंबेडकर ने इसे नकार दिया था
दरअसल भारत की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थिति पेचीदा है। संविधान में दिल्ली ना ही पूर्ण राज्य है और ना ही पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश है। यह एक केन्द्र शासित क्षेत्र है लेकिन इसकी अपनी विधानसभा भी है। इसलिए निर्वाचित मुख्यमंत्री इसका शासन चलाता है, जबकि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त उप-राज्यपाल राज्य का प्रमुख होता है पर राज्य की 3 प्रमुख शक्तियां केन्द्र सरकार के पास हैं: 1. सुरक्षा (पुलिस), 2. प्रशासनिक अधिकारी (नौकरशाही) और 3. भूमि पर नियंत्रण। इसकी वजह से दिल्ली पुलिस केन्द्रीय गृहमंत्री के प्रति जवाबदेह है न कि राज्य के मुख्यमंत्री के प्रति. इसे लेकर दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच लगातर तनातनी चल रही है