दादरी, 13 दिसम्बर (वीएनआई)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज फिर नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका मकसद उन उद्योगपतियों को राहत देना है, जिन्होंने बैंकों से बड़ी मात्रा में कर्ज लिए हैं और इन्हें नहीं चुका रहे हैं.उन्होने कहा कि दरअसल, देश के कुछ 10-15 उद्योगपतियों ने आठ लाख करोड़ रुपया बैंकों से ले रखा है. उन्होने कहा "इस कदम का उद्देश्य बैंकों में पर्याप्त धन इकट्ठा करना था, ताकि वे बड़ी कंपनियों और उद्योगपतियों को दिया गया कर्ज माफ कर सकें। इन बैंकों ने उद्योगपतियों को आठ लाख करोड़ रुपये तक का धन दिया है। उन्होंने कहा, यदि आपका धन इन बैंकों में 8 से 10 महीने रहता है तो वे उद्योगपतियों के कर्ज माफ करने की स्थिति में होंगे, जिन्होंने वास्तव में मोदी के लिए मार्केटिंग की और उन्हें प्रधानमंत्री बनाया।
दादरी मंडी में आज यहा व्यापारियों और आम जनता से मुखातिब राहुल गांधी ने पी एम मोदी पर 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के अपने निर्णय पर लगातार बयान बदलने का आरोप लगाया और नकद रहित (कैशलेस) अर्थव्यवस्था की उनकी 'महत्वाकांक्षी योजना' का माखौल उड़ाया। उन्होंने कहा, गरीब और ईमानदार लोग बैंकों तथा एटीएमों के बाहर कतारों में लगकर परेशान हो रहे हैं। आपको कोई धनी व्यक्ति या कालेधन का जमाखोर कतार में नहीं मिलेगा। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, आपको अपना धन पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि कालेधन के जमाखोरों का धन बैंक के पिछले दरवाजे से सफेद किया जा रहा है। उन्होंने नोटबंदी के जरिए मोदी पर गरीबों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया।
उन्होने कहा कि इस कदम का वास्तविक उद्देश्य बैंकों को इतना धन एकत्र कर लेने में सक्षम बनाना है कि वे उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर सकें। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, नोटबंदी के उद्देश्यों पर प्रधानमंत्री का बयान समय के साथ बदलता रहा। पहले इसे कालेधन के खिलाफ लड़ाई कहा गया। फिर आतंकवाद के खिलाफ और अब इसके जरिये समाज को कैशलेस बनाने की बात कही जा रही है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, मोदी ने वास्तव में अर्थव्यवस्था को कैशलेस बना दिया, क्योंकि लोगों के पास नकदी नहीं है। पूरा देश रो रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नोटबंदी उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखकर की गई, जो वास्तव में सरकार चला रहे हैं।
राहुल ने आरोप लगाया कि आम लोगों को जहां बैंक से 2000 रुपये निकालने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है, वहीं भ्रष्टाचारी बैंकों में पिछले दरवाजे से जाकर 50-100 करोड़ रुपये निकाल रहे हैं. पहले कहा गया कि कालाधन खत्म करने के लिए यह कदम उठाया गया, बाद में सोसाइटी को कैशलेस करने की बात कही. वे हर दिन बयान बदल रहे हैं.