नया दिल्ली , 17 जून ( अनुपमा/वीएनआई) जीवित पशु निर्यात करने के प्रस्तावित विधेयक पर समस्त स्टेकहोल्डरस, जैन समाज में भारी क्षोभ हैं.भारत से मांस निर्यात पर पहलें से ही विरोध जता रहें समाज मेंअब जीवित पशु निर्यात करने के प्रस्तावित विधेयक पर देश भर मे जैन समाज, पशु प्रेमी और जैन साधु संतो मे नाराजगी है। जैन मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने केन्द्र सरकार के इस प्रस्तावित विधेयक के मसौदें पर भारी विरोध जतातें हुए कहा कि कहा कि शाकाहारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ऐसी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने इस फैसले को तत्काल वापस लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जैनाचार्य श्री विद्यासागर महाराज अहिंसा के उपासक भारत वर्ष में पशुओं के संरक्षण और रक्षा के साथ साथ शाकाहार को लगातार पूरे भारत भर में लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार का यह निर्णय अत्यंत निंदनीय है.भारत सरकार के पशु पालन विभाग ने पशु आयात और निर्यात विधेयक 2023 का ड्राफ्ट 7 जून को तैयार किया है। इस पर 17 जून तक आपत्ति व सुझाव मांगे गये हैं। पशु कल्याण से जुड़ें एक विशेषज्ञ के अनुसार इस ड्राफ्ट में आश्चर्यजनक रूप से मवेशियों और जानवरों को कमोडिटी के रूप में परिभाषित किया गया है। उन्हें लाइव स्टाॅक एक्सपोर्ट करने की कानूनी मान्यता मिल जाएगी। यह ड्राफ्ट संविधान के प्रावधानों और भावना के खिलाफ है। इस अधिनियम के पारित होते ही देश से मांस निर्यात की तरह जिन्दा मवेशी निर्यात होने लगेंगे।जैन समाज, जैन साधु विद्वत गण, पशु प्रेमी सभी इस से कानून आहत हैं।
जैन मुनि श्री अभयसागर जी महाराज ने भी इस प्रस्तावित अधिनियम का तीव्र विरोध करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि केवल जैन समाज नहीं देशभर के शाकाकारी समाज को आगे आना चाहिए और इस का डटकर विरोध करना चाहिए। इसे राष्ट्र की पशु धन सम्पदा पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. जैन समाज के एक प्रतिनिधि नेता ने कहा कि सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए इस संदर्भ में पूरे भारतवर्ष से जैन समाज और पशु प्रेमियों ने सरकार को ज्ञापन भेज कर अपना विरोध दर्ज कराया हैं.
केंद्र सरकार के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने पशु आयात और निर्यात विधेयक का मसौदा तैयार किया है। इसे जल्द कैबिनेट में लाने की तैयारी है
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि जिंदा पशुओं के निर्यात से राष्ट्रीय पशु संपत्ति के हितों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। प्रस्तावित विधेयक में संशोधन किया जाए। निश्चित तौर पर जल्दबाजी में इस विधेयक को पारित नहीं किया जाना चाहियें. इस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहियें, ( वी एन आई)
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