नई दिल्ली 30 अक्टुबर (अनुपमाजैन,वीएनआई) राष्ट्रपति भवन मे कल् की रात एक 'अनूठी स्वागत रात्रि' थी, जब रंग बिरंगी, सतरंगी रोशनी मे नहाये राष्ट्रपति भवन मे पंरपरागत भारतीय और अफ्रीकी स्वर लहरियो और नृत्यो के बीच लजीज भारतीय पकवानो की खुशबू से महकते स्वप्नलोक से माहौल मे मोदी कट, कुर्ता जेकेट और पगड़ियॉ पहने अफ्रीकी राष्ट्राध्यक्षओ के सम्मान मे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दावत दी. इसके साथ ही राजधानी मे पिछले चार दिन से चल रहे इंडिया-अफ्रीका फोरम शिखर बैठक का पर्दा गिर गया. शिखर बैठक में अफ्रीका के सभी 54 देशों का प्रतिनिधित्व रहा जिसमे से अकेले ५० राष्ट्राध्यक्ष ही थे.कल रात की दावत के मौके पर खास मेहमानो के लिए राष्ट्रपति भवन के खूबसूरत फूलो से महकते मुगल गार्डन को रंग बिरंगी रोशनी सजाया गया और यहां संगीत नृत्य के खास कार्यक्रमो के साथ खास दावत का आयोजन किया गया। इस दावत मे भी अनेक शिखर नेता पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा परसो रात दिए डिनर की तरह मोदी कट कुर्ते जैकेट और पगड़ी में नजर आए।
राष्ट्रपति भवन में अफ्रीकी मेहमानों के लिए भारत और अफ्रीका के मिले जुले पंरपरागत संगीत नृत्य का आयोजन यहा के नयनाभिराम मुगल गार्डन के अलावा भव्य दरबार हॉल, अशोक हॉ्ल मे भी किया गया किया गया. मेहमान जैसे ही राष्ट्रपति भवन के प्रांगड़ मे शानदार गाड़ियो से उतरे ,भारत के पंरपरागत नगाड़े बजा कर उनका स्वागत किया गया. पूरे आयोजन के दौरान जहा मेहमान कभी पंरपरागत भारतीय और अफ्रीकी ढोल नगाड़ो की थाप पर पैर थिरकाते नजर आये, तो कभी मशहूर भारतीय गायिका विद्या शाह, सोनम कालरा की रूहानी आवाज के साथ ही, अफ्रीकी देश माले की मशहूर गायिका हावा डॉयबाटे की बुलंद आवाज के जादू से बंधे तालियॉ बजाते हुए नजर आये. इस खास रात्रि मे शानदार राष्ट्रपति भवन मे कभी राजस्थान के मशहूर र्मॉग्नियार राजस्थान जोश के बुलंद स्वर सुनाई दिये तो जल्द ही मेहमा्नो के सम्मुख मशहूर नृत्यांगना किरण सहगल ऑडीसी नृत्य् और मोनिशा नायक अपनी मंडली के साथ कत्थक नृत्य का सम्मोहन बिखेरती नजर आ रही थी । दक्षिण भारत के डल्लू कनिथा लोक नृत्य, कल्लारी पट्टु, छाउ, गोत्तीपुरा, थय्यम,बृज का चुरकला और राजस्थान के मशहूर कालबेलिया नृत्य ने भी खूब धूम मचाइ .शिखर बैठक के दौरान हुए तमाम नयनाभिराम सांस्कृतिक कार्यक्रमो सहित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी विदेश मंत्रालय की इकाई, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद आई सी सी आर ने किया. परिषद के निदेशक सी राजशेखर के अनुसार परिषद का प्रयास रहा कि इस सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिये हमारे खास मेहमानो को भारत की विविधता मे एकता की संस्कृति का दर्शन कराया जा सके, साथ ही सुनिश्चित किया गया कि इसमे अफ्रीकी संस्कृति का भी मेल हो, इसी को ध्यान मे रख कर साझा संस्कृति की खुशबू समेटे इस क़ार्यक्रम का सतरंगी गुलद्स्ता अफ्रीकी मेहमानो को पेश किया गया जिसमे पंरपरा के साथ दोनो देशो के अधुनिक संगीत रस को भी समाविष्ट किया गया. भारत के उत्सव लाल का प्यानो वादन, शरत चन्द्र का वायलिन,सुनील कांति गुप्ता का बॉसुरी वादन् ,प्रतीक चौधरी का सितार वादन और भारत के १३ वर्षीय दभुत वीणा वादक रमण बालचन्द्रन का वीणा वादन इसी नजरिये से पिरोई गई विभिन्न मोतियो की माला थी ताकि संस्कृति का रिश्ता दोनो देशो के बीच के रिश्ते की डोर को और मजबूत बनाये और वो भारत को और नजदीक से जाने पहचाने.दावत में भारत के कई राज्यांचलों का स्वाद परोसा गया जिसमे अवधि पालक मकई,चिकन टिक्का मसाला, चिंगारी आलू,दही गुजिया, राग आलीशान जैसे विभिन्न अंचलो के शाकाहारी और मॉसाहारी व्यंजनो के साथ मिष्ठानो मे बंगाल का छानार पायेश, शहद-ए-जाम, अन्नानास का हलवा और आमे पनीर ने मेहमानो की जबान पर जो मिठास छोड़ी वो शायद बरसो तक रहेगी. राष्ट्रपति के प्रेस सचिव राजामोनी के अनुसार राष्ट्रपति भवन का प्रयास था कि ये यादगार लम्हे भारत अफ्रीकी मैत्री का पुल और मजबूत करे,और हमारे मेहमान भारत की विविधता मे एकता की संस्कृति से रूबरू हो सके, कश्मीर से कन्याकुमारी की भोजन का स्वाद ले और जाने कि दोनो इतना दूर होते हुए भी देश एक सूत्र से बॉधा है और भारत और अफ्रीका भी इतना दूर होते हुए भी कितने पास है, यह मेहमानवाजी वसुधैव कुटुंबकम की उसी भारतीय अवधारणा का परिचायक थी. प्रयास था कि मेहमानो के लिये यह लम्हे उम्र भर के लिये यादगार लम्हो के रूप मे याद रखे. वीएनआई