नई दिल्ली, 1 मई, (वीएनआई) वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर के कई देशो समेत भारत में जारी लॉकडाउन की वजह से देश के अलग हिस्सों में प्रवासी मजदूर फंसे हुए है। वहीँ रहने की उचित व्यवस्था और खाने ले लिए प्रयाप्त भोजन की लगातार मांग कर रहे प्रवासी मजदूर आज विवशता के बीच अपना मज़दूर दिवस मना रहे है।
आज 1 मई को भारत समेत पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के रूप या अंतराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन को कामगार मज़दूरों की एकता और योगदान के रूप में प्रतिवर्ष मज़दूर दिवस या कामगार दिवस के रूप में मनाया जाता है। गौरतलब है अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस को मनाने की शुरूआत अमेरिका और कनाडा में मज़दूरी हड़ताल से हुई, वर्ष 1882 में न्यूयॉर्क के सेंट्रल लेबर यूनियन के सेक्रेटरी मेथूय मेगैर और अमेरिकन फेडरेशन ऑफ़ लेबर के पीटर मैगुइरे ने मज़दूर दिवस के रूप में पहला प्रस्ताव पेश किया । लेकिन 1 मई 1886 से मज़दूर दिवस मानाने की शुरुवात मानी जाती है जब अमरीका की मज़दूर संगठनों ने काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी उनका कहना था की 8 घण्टे काम, 8 घंटे आराम और 8 घंटे सोच विचार के लिए हो। मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करना संबंधित क़ानून लागू है।
भारत की बात करे तो भारत में एक मई को मजदूर दिवस सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रस्तावित कर लिया गया था। लेकिन मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक संकल्प पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। वहीँ भारत सहित अन्य 80 देशो में 1 मई को मज़दूर दिवस मनाया जाता है। जबकि कनाडा और अमेरिका सहित कुछ देशो में यह सितम्बर माह के पहले सोमवार को मनाया जाता है।
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