नई दिल्ली, 13 मई, (वीएनआई) वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर के जारी प्रकोप के कारण देश के कई राज्यों में बिगड़े हालात को संभालने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है, जिससे प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए उनके रहने-खाने का प्रबंध करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज गत वर्ष जुलाई में दिए गए आदेशों की अनदेखी करने पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि जो मजदूर पिछले वर्ष अपने मूल निवास वापस लौट गए थे या जो अब शहर में रोजगार के लिए आए हैं, उनके रहने और खाने का इतजाम करना सरकारों की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए सामूहिक रसोई शुरू करने का आदेश दिया है, ताकि कोई भी नागरिक भूखा ना रहे और उसे दो टाइम का खाना आसानी से मिल सके। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि एनसीआर में फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचने के लिए पर्याप्त परिवहन का भी इंतजाम किया जाए।
गौरतलब है देशभर से अब रोजाना तीन लाख से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। वहीं कोरोना को हल्के में लेने वाली केंद्र और राज्य सरकारें अब महामारी के विकराल रूप के सामने बेबस दिखाई दे रही हैं। जबकि कई राज्यों ने इसपर काबू पाने के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया है, जिससे पिछले साल की तरह इस बार भी प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।