धार, 4 अगस्त (वीएनआई)| नर्मदा बचाओ आंदोलन की पैरोकार मेधा पाटकर और 11 अन्य लोगों की सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले परिवारों को उनका हक दिलाने के लिए चिखल्दा गांव में उपवास पर बैठने के कुछ दिन बाद हालत बिगड़ने लगी है। चिकित्सकों ने परीक्षण में आज पाया कि रक्तचाप में गिरावट आई है और शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो रही है।
बांध की उंचाई बढ़ाने से मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी के लगभग 192 गांव और लगभग 40 हजार परिवार डूब क्षेत्र में आने वाले हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक सभी के पुनर्वास के निर्देश दिए थे, मगर अब तक सारे काम अधूरे पड़े हुए हैं। बेहतर पुनर्वास की मांग को लेकर मेधा पाटकर 11 अन्य लोगों के साथ उपवास पर हैं। मेधा सहित अन्य की तबीयत बिगड़ने पर जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए और चिकित्सकों का दल जांच के लिए भेजा, चिकित्सकों के दल ने पाया है कि मेधा सहित लगभग सभी का रक्तचाप काफी कम हो गया है, इतना ही नहीं शरीर में पानी की कमी है। इस स्थिति में उन्हें अस्पताल में भर्ती करना चाहिए, मगर वे दवा लेने और अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं हैं।
ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार को 31 जुलाई से पहले सरदार सरोवर बांध के प्रभावितों का पुनर्वास करने के निर्देश दिए थे। बांध की ऊंचाई इसके बाद गुजरात सरकार बढ़ा सकती है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आठ अगस्त को सुनवाई तय किए जाने के कारण गुजरात सरकार ने अभी सारे दरवाजे बंद नहीं किए हैं। वहीं, मेधा पाटकर की अगुवाई में धार जिले के चिखल्दा गांव में 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन उपवास जारी है।
No comments found. Be a first comment here!