बांग्लादेश में चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भारत चिंतित, पर हस्तक्षेप नहीं।

By VNI India | Posted on 26th Nov 2024 | विदेश
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 नई दिल्ली 26  नवम्बर (वीएनआई)  भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए विश्वभर में जाना जाता है। यह भावना भारत की पहचान है, जो उसे अन्य देशों से अलग करती है। जब कहीं भी भारतीय संस्कृति, धर्म या परंपराओं पर चोट होती है, हर भारतीय का दिल  चिंता और दुख की लहर से भर उठता है। हाल ही में बांग्लादेश में बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के प्रमुख चेहरेऔर इस्कॉन के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी  को जेल भेजे जाने की घटना ने पूरे भारत में चिंता फैल गयी है

गौरतलब है कि चिन्मय दास सिर्फ इस्कॉन के प्रवक्ता और ब्रह्मचारी ही नहीं, बल्कि प्रेम, शांति और सेवा के प्रतीक हैं। उनका जीवन मानवता की सेवा और भगवान के संदेश को फैलाने में समर्पित रहा है। उनके अनुयायियों के लिए वे धर्म और आध्यात्मिकता के मार्गदर्शक हैं। ऐसे व्यक्तित्व पर कार्रवाई हर भारतीय को आहत करती है, जो "वसुधैव कुटुंबकम्" की भावना में विश्वास करता है।

घटना के बाद भारतीय समाज में रोष और चिंता बढ़ी है। हर कोई चाहता है कि भारत इस मुद्दे पर बांग्लादेश से बात करे और न्याय सुनिश्चित करे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और पड़ोसी संबंधों की अपनी सीमाएँ हैं। भारत सरकार ने स्थिति पर चिंता व्यक्त की है, लेकिन सीधे हस्तक्षेप  न करने की बात भी की है

भारत हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने में विश्वास रखता है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध गहरे हैं, जिससे इस घटना को दोनों देशों की दोस्ती के लिए चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का है। चिन्मय दास जैसे आध्यात्मिक व्यक्तित्व पर कठोर कार्रवाई सवाल खड़े करती है कि क्या धर्म और आध्यात्मिकता अब राजनीति के अधीन हो चुके हैं।

भारत, जो हमेशा हर धर्म का सम्मान करता है, ऐसे मामलों में मौन नहीं रह सकता। हर भारतीय की भावना स्पष्ट है कि धर्म के नाम पर होने वाले किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये। भारत और बांग्लादेश को इस मुद्दे पर संवाद और समझदारी से काम लेना होगा। भारत की कोशिश हमेशा यही रही है कि उसके पड़ोसी देशों में शांति और भाईचारा बना रहे।

इस घटना ने हर भारतीय को यह याद दिलाया है कि हमारी संस्कृति, परंपराएँ और सहिष्णुता हमारी ताकत हैं। जब भी इन मूल्यों पर आंच आती है, पूरा देश एकजुट होकर खड़ा होता है। हर भारतीय की प्रार्थना है कि न्याय की जीत हो और मानवता का सम्मान बना रहे। इस घटना ने सिखाया है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, भारतीयता की भावना हर चुनौती का सामना करने में सक्षम है, क्योंकि यही भारत की आत्मा है—सद्भाव, सहिष्णुता और न्याय।


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