क्योटो, जापान, 30 अगस्त(शोभना जैन,वीएनआई) प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जापान के प्रधानमंत्री शिंजे आबे को भारत की महान सासंकृतिक विरासत के प्रतीक महान दार्शनिक तथा चिंतक स्वामी विवेकानंद की जापान यात्रा से संबंधित दो पुस्तको का नायाब तोहफा दिया. जापान यात्रा के पहले पडाव मे आज यहा प्रधानमंत्री मोदी ने श्री आबे को स्वामी विवेकानंद के जीवन तथा कृतियो पर आधारित पुस्तकों के अंशो को संजोये विशेष स्मारिका संसकरण \"स्वामी विवेकानन्द तथा जापान \"और स्वामी मेधासानन्द द्वारा लिखित \" विवेकानन्द इन जापान\" की प्रति भेंट की .इन पुस्तको के साथ ही श्री मोदी ने श्री आबे को \"भगवत गीता\" की एक प्रति भी भेंट की. एक खास बात यह थी कि भगवत गीता के संस्कृत संसकरण के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने भगवत गीता के जापानी संसकरण की प्रति भी भेट की\' इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच दिनों की जापान यात्रा पर दोपहर को ओसाका पहुंचे। ओसाका पहुंचने के फौरन बाद श्री मोदी क्योटो के लिए रवाना हुए, जहां जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने उनकी अगवानी की।
बाद मे श्री मोदी तथा श्री आबे की मौजुदगी मे दोनो देश के बीच काशी तथा क्योटो के बीच एक अहम समझोता हुआ जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के विकास के लिये क्योटो की तर्ज पर काशी को स्मार्ट सिटी बनाये जाने का प्रस्ताव है. प्रेक्षको ने इसे भारत और जापान के बीच आपसी संबंधों की एक अच्छी शुरुआत बताया है. इस समझौते पर क्योटो के मेयर दाइसाकु कादोकावा और जापान में भारत के राजदूत दीपा वाधवा ने हस्ताक्षर किये. बाद मे प्रधान मंत्री ने एक ट्वीट करके कहा कि भारत जापान के बीच दोस्ती का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी काशी को क्योटो की तर्ज पर विकसित करना चाहते हैं और इस दिशा में कदम उठाते हुए जापान के साथ यह समझौता हुआ है। अब जापानी सरकार आने वाले दिनों में काशी को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने मे सहयोग करेगी. क्योटो ने अपनी विरासत अक्षुन्ण रखी है परंपरा और आधुनिकता का यह शहर अनोखा संगम है
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बाद मे पत्रकारों को बताया कि एमओयू के तहत भारत और जापान एक-दूसरे को विरासत संरक्षण, शहर के आधुनिकीकरण के अलावा कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग करेंगे।
उन्होंने इसे स्मार्ट सिटी विरासत कार्यक्रम की शुरुआत बताते हुए इस समझौते को देश मे मोदी के 100 स्मार्ट सिटी बनाने के सपने की शुरुआत बताया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 15 लाख की आबादी वाले जापान के यमाशिरों प्रांत में स्थित इस नगर को क्वामू शासन काल मे हे यान जो\'अर्थात् \'शांति का नगर\' कहा जाता था. 11 वीं शताब्दी तक क्योटो जापान की राजधानी था और आज भी पश्चिमी प्रदेश की राजधानी है।
विशाल मंदिरों, भव्य प्रासादों और कलात्मक भवनों के लिए क्योतो संपूर्ण जापान में प्रसिद्ध है। यहाँ रेशम के कपड़े, चीनी मिट्टी के बर्तन, कसीदाकारी, रंगनिर्माण, पंखा, खिलौना और अन्य प्रकार के धातु के बर्तनों का उद्योग अधिक विकसित है। यह जापान में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ एक विश्वविद्यालय तथा एक कलाकेंद्र हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच दिनों की जापान यात्रा के लिए शनिवार दोपहर को ओसाका पहुंचे। ओसाका पहुंचने के बाद मोदी क्योटो के लिए रवाना हुए, जहां जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने उनकी अगवानी की। मोदी की यात्रा के दौरान रक्षा, व्यापार और तकनीकी सहित कई क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
समझौते के बाद जापानी प्रधानमंत्री ने मोदी के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया। रात्रिभोज के पहले श्री मोदी और श्री आबे ने \'मछलियों को दाना\' डालने के जापान के पारंपरिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. बाद मे रात्री भोज के दौरान जापान के पंरपरागत खाने की मेज पर जापानी और हिन्दुस्तानी व्यंजन परोसे गये.सुत्रो के अनुसार लगभग डेढ घंटे तक चली इस डिनर बैठक मे दोनो नेताओ के बीच अत्याधिक प्रगाढ तथा मैत्री पूर्ण बातचीत हुई. इस अनौपचारिक बातचीत मे दोनो नेताओ ने द्विपक्षीय बातचीत के अलावा क्षेत्र की स्थिती पर खुलकर तथा व्यापक बातचीत की . जानकारो का मानना है कि विभिन्न मुद्दो पर दोनो देशो के बीच समान विचारो के मद्देनजर दोनो की राय थी कि एशिया तथा दुनिया मे शांति, स्थिरता तथा समृद्धि के लिये दोनो देशो के बीच मिल कर काम करने का महान अवसर है.