नई दिल्ली 22 मार्च (वीएनआई) 18 मार्च से वासंतिक नवरात्र शुरू हो गया है। इस बार की नवरात्रि मान्यता के आधार पर केवल 8 दिन की ही हैं। इसमें 24 मार्च को अष्टमी की पूजन की जाएगी। इस दिन श्रद्धालु माता के महागौरी रूप की आराधना करते हैं। इसके बाद 25 तारीख को श्रीराम नवमी मनाई जाएगी, साथ ही माता की नवमी पूजन भी की जाएगी। आज वासंतिक नवरात्रि का पांचवां दिन है।
आज माता दुर्गा के पांचवे स्वरूप में मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। स्कंद का अर्थ है कुमार कार्तिकेय अर्थात माता पार्वती और भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकय. जो भगवान स्कंद कुमार की माता है वही है मां स्कंदमाता. शास्त्र अनुसार देवी स्कंदमाता ने अपनी दाई तरफ की ऊपर वाली भुजा से बाल स्वरूप में भगवान कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है। स्कंदमाता स्वरुपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। एक भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं, दूसरी भुजा वरमुद्रा में और दो भुजाये जो ऊपर की ओर उठी है, उसमें कमल-पुष्प लिए हुए है। कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है. शेर पर सवार होकर माता दुर्गा अपने पांचवें स्वरुप स्कंदमाता के रुप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं. इन्हें कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है।
इनकी पूजा के मन्त्र इस प्रकार है :-
"या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:"
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