भूमि और किसानो की जय के साथ आज मनाया जा रहा है खुशहाली कामना पर्व

By Shobhna Jain | Posted on 13th Apr 2016 | देश
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नई दिल्ली 13 अप्रैल (अनुपमाजैन/वीएनआई) देश भर् मे आज भूमि और किसानो की जयकार के साथ खुशहाली की कामना का पर्व मनाया जा रहा है देश के अलग अलग हिस्सो मे अपनी अपनी तरह यह उत्सव मनाया जा रहा है.पंजाब मे यह पर्व बैसाखी के रूप मे मनाया जा रहा है, पंजाब में हर वर्ष 13 अप्रैल को नए साल की शुरुआत होती है। खालसा संवत बैसाखी से शुरू होता है. 13 अप्रैल 1699 को ही सिखो के दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी . वैशाख माह पंजाब के कृषकों के लिए खुशहाली का प्रतीक रहा है। बैसाखी पर ही किसान अपनी फसल की कटाई करता है तथा धार्मिक रूप से आसपास की पावन नदियों, तालाबों पर पवित्र स्नान कर पूजा-अर्चना करता है और नए वस्त्र धारण करता है। पंजाब और हरियाणा मे बैसाखी पर्व नववर्ष का आगमन है। खुशहाली, हरियाली और अपने देश की समृद्धि की कामना करते हुए पंजाबी समुदाय के लोग पूजा-अर्चना, दान-पुण्य एवं दीप जलाकर बैसाखी पर ढोलों की ताल पर गिद्दा ते भंगड़ा, नाच-गाकर यह पर्व मनाते हैंबैसाखी के दिन अमृतसर के जलियाँवाला बाग में अंग्रेज जनरल डायर द्वारा क्रूरतापूर्ण सैकड़ों लोगों को गोलियों का निशाना बनाकर मार दिया गया, तभी से उन अमर शहीदों को बैसाखी के दिन श्रद्धांजलि दी जाती है। बंगालियों मे आज का दिन शुभो नॉबो बॉरसो यानि नव वर्ष के रूप मे मनाया जा रहा है. बंगाल का नया वर्ष वैशाख महीने के पहले दिन 14 अप्रैल से शुरू होता है। बंगाल में इस दिन से ही फसल की कटाई शुरू होती है। बंगाली इस दिन नया काम करना शुभ मानते हैं। महिलाएँ नए धान के पकवान बनाती हैं। मलयाली न्यू ईयर विशु वैशाख की 13-14 अप्रैल से ही शुरू होता है। केरल में इस दिन धान की बोवनी शुरू होती है। इस दिन हल और बैलों को रंगोली से सजाया जाता है, पूजा-अर्चना की जाती है और बच्चों को उपहार दिए जाते हैं। तमिल 13 अप्रैल से नया साल पुथांदू मनाते हैं, जबकि असम में लोग 13 अप्रैल को नया वर्ष बिहू मनाते हैं. इसी तरह कश्मीर में इसे नवरेह के रूप मे मनाया जाता है सप्तऋषि के अनुसार नवरेह नाम से इसे नववर्ष के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है.जबकि आंध्रप्रदेश में इसे उगादि पर्व के रूप मे मनाया जाता है कृषकों के लिए इसका विशेष महत्व है। महाराष्ट्र मे यह पर्व एक खास तरह से मनाया जाता है इसे श्रीखंड और पूड़ी का भी त्योहार माना जाता है। महिला एवं बच्चों को उपहार दिए जाते हैं। वहीं गरीबों को भोजन एवं दान दिया जाता है और घरों में कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं।वी एन आई

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