नई दिल्ली, 13 नवंबर (वीएनआई)| भारतीय कॉरपोरेट जगत ने निजी क्षेत्र में आरक्षण लाने के किसी भी कदम का विरोध करने का फैसला किया है और कहा है कि इससे निवेश के माहौल पर असर पड़ेगा तथा विश्व बैंक द्वारा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में देश की रैकिंग बढ़ाने से जो धारणा में बदलाव हुआ है और उसे भी नकार देगा। एक शीर्ष उद्योग संगठन ने सोमवार को यह बात कही।
एसोसिएट चेंबर ऑफ कॉमर्स (एसोचैम) के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, ऐसे समय में भारतीय अर्थव्यवस्था दुबारा तेजी हासिल करने के लिए सकारात्मक ट्रिगर्स की मांग कर रहे हैं, निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर किसी राजनीतिक मांग से इसे झटका लगेगा। उद्योग पहले से ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की चुनौतियों से निपट रहा है, साथ ही नोटबंदी के अल्पकालिक असर का भी सामना कर रहा है। उन्होंने कहा, "राजनीतिक दलों को इसकी बजाए कि वे घरेलू और वैश्विक निवेशकों को गलत संकेत दें, ऐसा वातावरण बनाने पर ध्यान देना चाहिए, जिससे देश के आर्थिक गति को मदद मिले और निजी और सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में लाखों नौकरियां पैदा हो।"
उन्होंने आगे कहा, एसोचैम हमेशा समाज के पिछड़े तबकों के लिए प्रभावी कदम उठाने पर जोर देता है। ऐसा ही विचार देश भर के भारतीय कारोबारी जगत का है, जो राष्ट्र निर्माण और आर्थिक वृद्धि में अमूल्य योगदान दे रहे हैं। हम अपने सदस्यों से स्थानीय उम्मीदवारों को रखने में वरीयता देने, उन्हें प्रशिक्षित करने की सलाह देते हैं। उन्होंने आगे कहा, "भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रमुख गंतव्य है और यहां व्यापार का वातारवण दोस्ताना बनाए रखने के लिए सभी उपाय करने चाहिए।
No comments found. Be a first comment here!