ऐतिहासिक रामलीला मैदान..गवाह रहा है नयी शुरूआत का, यहां से निकले है नये रास्ते...

By Shobhna Jain | Posted on 11th Mar 2015 | देश
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नयी दिल्ली 13 फरवरी (अनुपमा जैन,वीएनआई )ऐतिहासिक रामलीला मैदान,जहां श्री अरविंद केजरीवाल कल \'जनता के साथ मुख्य मंत्री\' पद की शपथ लेने जा रहे हैं,यह मैदान गवाह रहा है नयी शुरूआत का... यहां से निकले है नये रास्ते .. यहा से ली है वक्त ने नयी करवट, जिसने देश को नयी दिशा दी. आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कल दिल्ली की जनता को यहां आने और \'दिल्ली का मुख्य मंत्री बनने\' की शपथ लेने का न्यौता दिया है.ऐसी उम्मीद है कि कल दिल्ली के एक लाख से अधिक लोग इस अनूठे शपथ ग्रहण समारोह मे हिस्सा लेंगे इसी मैदान से 2011 में अन्ना आंदोलन शुरू हुआ था। उसी आंदोलन की परिणति के रूप में आम आदमी पार्टी (आप) का जन्म हुआ और अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। 2013 में भी अरविंद केजरीवाल ने इसी मैदान में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। इलाके के लोगो के अनुसार जिस जगह आज रामलीला मैदान है वहां पिछली सदी के तीसरे दशक के शुरुआती वर्षों तक तालाब था। दरअसल उस दौर में दिल्ली में रामलीलाओं का आयोजन मुख्य रूप से लाल किले के पीछे वाले इलाके में होता था लेकिन उस स्थान पर बाढ़ आ जाती थी। लिहाजा इस तालाब को पाट दिया गया और यहां रामलीला आयोजित की जाने लगी। बाद के वर्षों में यह राजनीतिक रैलियों और आयोजनों का मुख्य केंद्र बन गया। इस मैदान का चर्चित मंच वर्ष 1961 में बना जब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ यहां आई थीं , अब राजनैतिक रेलियो मे नेता इसी छतरीनुमा मंच से जनता को संबोधित करते है. 1963 में ततकालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिति में लता मंगेशकर ने यही पर \'ऐ मेरे वतन के लोगों\' गीत गाया था, और देश भक्ति और देश के लिये प्राणो को न्यौछावर कर देने वाले वीर सैनिको को याद करके न केवल् मौजूद जन समूह बल्कि पंडित नेहरू भी रो पड़े थे वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसी मैदान से \'जय जवान जय किसान\' का नारा दिया वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय एवं बांग्लादेश के उदय का जश्न मनाने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में\' विजय रैली\' का यहां आयोजन किया गया और यहीं से श्री जयप्रकाश नारायण ने 25 जून, 1975 इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह \'दिनकर\' की प्रसिद्ध \'कविता सिंहासन खाली करो, कि जनता आती है\' का पाठ करते हुए लोकतंत्र को बचाने के लिये सशस्त्र बलों से इंदिरा गांधी के आदेशों को मानने से इंकार करने की अपील की। उसी रात को देश में आपातकाल लागु कर दिया गया

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