हेग मे कुलभूषण यादव मामले मे आज अंतरराष्ट्रीय न्यायालय मे अहम सुनवाई-भारतीय पक्ष रखने के लिये भारतीय कानूनी टीम हेग मे

By Shobhna Jain | Posted on 15th May 2017 | देश
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हेग/नई दिल्ली,१५ मई (शोभनाजैन/वी एनआई)हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय मे आज भारत के नागरिक कुलभूषण जाधव को एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने के खिलाफ भारत द्वारा दायर याचिका पर अहम सुनवाई हो रही है.नीदरलैंड्स के हेग में संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक अंग आईसीजे के पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में जन सुनवाई होगी जहां विवादित जाधव मामले पर दोनों पक्षों, भारत पाकिस्तान से अपना मत रखने को कहा जाएगा भारत ने आठ मई को आईसीजे में याचिका दायर कर 46 वर्षीय कुलभूषण जाधव के लिए न्याय की मांग की थी और मामले के फैसले तक फॉसी की सजा पर स्थगन यानि रोक लगाये जाने की अपील की थी जिसे आई सी जे ने मंजूर कर लिया था. अब आज इस मामले पर आगे सुनवाई हो रही है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने पूर्व नौसैनिक अधिकारी से दूतावास संपर्क के लिये दिए गए 16 आवेदनों की अनदेखी कर वियना संधि का उल्लंघन किया.पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले महीने जाधव को कथित तौर पर जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. पाकिस्तान ने जाधव के परिवार द्वारा वीजा के लिये किए गए आवेदन पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जाधव को पिछले साल इरान से अपहरण कर,तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था.इस मामले मे भारत का पक्ष रखने के लिये भारत के पूर्व सोलीसीटर जनरल हरीश साल्वे अपने टीम के साथ हेग मे है. आज की सुनवाई दो सत्र मे होगी. अभी इस बात के संकेत नही मिल पाये है कि इस मामले मे जाधव की फॉसी पर रोक लगाये जाने पर अंतिम फैसला कब तक आयेगा. भारत और पाकिस्तान करीब 18 साल बाद एक बार फिर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में हैं. इस बार मामला भारत के कुलभूषण जाधव को एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने के खिलाफ भारत द्वारा आईसीजे का दरवाजा खटखटाये जाने का है, जबकि 18 साल पहले इस्लामाबाद ने अपने एक नौसैनिक विमान को मार गिराए जाने के बाद उससे हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी. तब 10 अगस्त 1999 को कच्छ क्षेत्र में भारतीय वायु सेना ने एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान एटलांटिक को मार गिराया था. विमान में सवार सभी 16 नौसैनिकों की मौत हो गई थी. पाकिस्तान का दावा था कि विमान को उसके वायुक्षेत्र में मार गिराया गया और उसने भारत से 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के मुआवजे की मांग की. अदालत की 16 जजों की पीठ ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया.

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