शंघाई 16 मई (शोभना जैन,वीएनआई) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत तथा चीन की जनता के बीच नजदीकियां बढाने का आह्वान करते हुए कहा \'यह अनिवार्य है.\' उन्होने कहा कि भारत तथा चीन की आबादी दुनिया के एक तिहाई आबादी है, हम मिल कर पूरी दुनिया के कल्याण के लिये एक बड़ी ताकत बन सकतेहै \' साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा है\" पिछले एक साल मे सरकार में लोगों का विश्वास बढ़ा है और भारत तथा इसके विकास के बारे में विश्व का दृष्टिकोण अपने उच्च स्तर पर है।\"
प्रधान मंत्री आज यहा अपनी तीन दिवसीय चीन यात्रा के समापन से पूर्व चीन के आखरी पड़ाव मे शंघाई वर्ल्ड एक्सपो एण्ड एक्जिविशन सेंटर में भारतीय मूल के लोगों ्द्वारा अयोजित स्वागत समारोह को संबोधित कर रहे थे. \'मोदी मोदी\' नारो के बीच प्रधान मंत्री ने कहा\' मैंने सोचा था कि सरकार के एक साल पूरा होने पर मेरे सामने एक लघु भारत हो और उससे बात करूं. आज शंघाई में मेरे सामने बैठे आपलोग एक लघु भारत के समान ही हैं. हर राज्य का एक प्रतिनिधि यहां मौजूद है. आज मैं आपसे आशीर्वाद मांगने आया हूं.\'
उल्लेखनीय है पिछले वर्ष 16 मई को ही भारतीय जनता पार्टी को आम चुनाव मे भारी बहुमत मिला था, जिसके बाद केन्द्र मे भाजपा नीत सरकार बनी. इसी मौके पर प्रधान मंत्री ने आज शंघाई से ट्वीट कर के भी कहा, \"सरकार में लोगों का विश्वास बढ़ा है और भारत तथा इसके विकास के बारे में विश्व का दृष्टिकोण अपने उच्च स्तर पर है।\"
उन्होंने कहा, \"इसका श्रेय भारतीय जनता को जाता है, जिन्होंने पिछले 30 साल में पहली बार इतना शानदार जनादेश दिया। 16 मई.. इस दिन को लेकर पिछले साल की शानदार यादें जुड़ी हैं, आज का दिन एक पवित्र दिवस है, मुझे खुशी है इस दिन आप लोग भी मेरे साथ है\'
इससे पूर्व स्वागत समारोह मे प्रधान मंत्री ने कहा \' मेरा बायोडाटा देखकर भारत की जनता ने मुझे प्रधानमंत्री नही बनाया है. देश के विकास के लिए वहां की जनता ने अपनी सूझ-बूझ का प्रदर्शन किया और मुझे सेवा का अवसर दिया है. मोदी ने कहा कि भारत की जनता और संविधान की शक्ति है कि मुझ जैसे चाय बेचने वाले को प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा का अवसर मिला है.\'
उन्होंने कहा कि यह इस बात का उदाहरण ह कि एक गरीब का बेटा भी अगर समाज के लिए समर्पण का भाव लिये निकल पड़ता है तो देश की जनता जनार्दन उसे अपना आशीर्वाद देती है. विदेशों में बसे भारतीय लोग भी अपने देश से प्यार करते हैं इसपर मोदी ने कहा कि यहां चीन में बसे हजारो भारतीय एक साल पहले आज ही के दिन चुनाव के नतीजों को बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. ये भी तो देशप्रेम ही है.
उन्होंने पिछले एक साल में सरकार की उपलब्धियो की परोक्ष रूप से चर्चा करते हुए उपस्थित भारतीय जन समूह से पूछा\' आप सब विदेशों में रहते हैं, पहले हिंदुस्तानी समझ कर कोई आपको पूछने को तैयार नहीं था, कोई सुनने को, देखने को तैयार नहीं था. एक साल के भीतर-भीतर आप सीना तानकर, आंख से आंख मिलाकर दुनिया से बातचीत कर सकते हो कि नहीं. नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनता ईश्वर का रूप होता है. जनता के पास एक तीसरा नेत्र होता है, हिंदुस्तान के करोड़ो लोगों ने एक सामूहिक संकल्प का परिचय दिया और सवा सौ करोड़ भारतीय अपना भाग्य बदलने के लिए कृतसंकल्प हो गये और जाकर पोलिंग बुथ में बटन दबाकर इतना बड़ा फैसला किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव के समय मेरे बारे में कहा जाता था कि मोदी को जानता कौन है? गुजरात से बाहर कौन पहचानता है? विदेश के बारे में लोग कहते थे कि विदेश के बारे में मोदी को कोई समझ ही नहीं है? वैसे जो मेरी आलोचना हो रही थी सच थी क्योंकि गुजरात के बाहर मेरा जाना नहीं हो पाता था और भारत के बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं था. यह आलोचना सही थी, आशंका सही नहीं थी.
श्री मोदी ने कहा \' राजनेताो पर भूलने ्की बाते कही जाती हैं. लेकिन मैं ना भूलना चाहता हूं और ना ही भूलने देना चाहता हूं. क्योंकि यहीं बातें हैं जो काम करने की प्रेरणा देती हैं, जीवन खपा देने की ताकत देती है. मैंने पहले भी कहा था और आज भी दुहरा रहा हं कि देश की जनता ने मुझे जो दायित्व दिया है उसके लिए मैं परिश्रम करने में कोई कमी नहीं करुंगा. उन्होंने फिर से पूछा कि मैंने एक दिन भी छुट्टी ली है क्या? ईश्वर से जितनी शक्ति और समय मिला है उसका मैं पूरी ईमानदारी से जनता की सेवा में उपयोग कर रहा हूं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैने जो पहले कहा था कि मैं नया हूं, सीखने का प्रयास करुंगा, तो मैं आज भी सीखने का प्रयास कर रहा हूं. मैं अपने आलोचकों से भी सीखता हूं. उन्होंने कहा कि अनुभवहीनता के कारण मुझसे कोई गलती हो सकती है लेकिन गलत इरादे से काेई गलत काम नहीं करुंगा. सरकार के एक साल हो गये. कोई भी मुझपर गलत इरादे से किसी काम को करने का आरोप नहीं लगा सकता है.
श्री मोदी ने ट्वीट के साथ कुछ तस्वीरें साझा करते हुए कहा, \"मैं अपने भारत के भाइयों और बहनों के आगे शीश झुकाता हूं और इस यादगार दिन के लिए उन्हें बधाई देता हूं। मैं एक बार फिर पार्टी के सहयोगियों, कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवियों के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं। इनके अथक प्रयासों से ही 16 मई, 2014 को इतिहास रचा गया था.
इससे पूर्व प्रधामंत्री ने आज शंघाई की फूदान यूनिवर्सिटी को संबोधित किया जहा छात्रो मे उन्हे ले कर खासा उतसाह नजर आया
ुन्होने छात्रो ्से कहा कि ज्ञान का न पूरब होता है तो न पश्चिम। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे चीन ्दो विश्वविद्द्यालयो में बोलने का मौका मिला।
वेद में कहा गया है कि ज्ञान को हर जगह से आने दिया जाए। मोदी ने कहा कि ज्ञान का दरवाजा खोलने के लिए भीतर ताकत की जरुरत होती है।
अगर ये ताकत हम में न हो तो ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता है। दोनों देश ज्ञान के व्यासे हैं। बुद्ध के बाद गांधी के सहारे से चीन को जानना बड़ी बात है।
मोदी ने कहा कि आतंकवाद, ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के बड़े मुद्दे हैं। ज्ञान के आधार पर ही हमारा कल्याण हो सकता है। अतीत को याद करते हुए मोदी ने कहा कि गांधीजी भी चीन ्के प्रशंसको मे से थे । वी एन आई