जब साँसे थम रहीं थीं
तब शहीद बुदबुदा रहा था
"ऐ वतन तेरा शुक्रिया
जितनी सांसें ली वो तेरे लिए लीं
जितने लम्हे जीया ,तेरे लिए जीया
और अब थम रहीं हैं ये सांसे
वो भी तेरे लिए ,अपनी खिदमत का मौका
देने के लिए तेरा शुक्रिया ,शुक्रिया ... .... "
अधखुली आँखों से शहीद आसमान को निहार रहा
था ,साँसे साथ छोड़ चुकी थीं
पर जज्बा अब भी उसके साथ था
जज्बा अब भी उसके साथ था
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