भारत की छवि और डिप्ल्मेसी को बड़ी चुनौती- भारत अगला कदम समग्रता से उठायें

By Shobhna Jain | Posted on 18th Oct 2024 | विदेश
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दिल्ली 18 अक्टूबर ( शोभना जैन/वीएनआई)भारत और कनाडा के बीच रिश्ते इस वक्त बद से बदतर होते जा रहे हैं.  दोनों देशों के बीच  राजनयिक रिश्तें  टूट की कगार  पर हैं. कनाडा  ने  आरोप लगाया था कि (खालिस्तान समर्थक)   कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को ले कर उ्स की पुलिस को ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो इस हत्याकांड में भारत सरकार के अधिकारियों की संलिप्तता की ओर संकेत करते हैं. निज्जर की  हत्या मे कथित संलिप्तता  को लेकर कनाडा  ने भारत पर जिस तरह के गंभीर आरोप लगाये हैं उस से इस मामलें को ले कर पिछले एक वर्ष से चल रहे पुराने विवाद ने इस बार  इतना गंभीर रूप ले लिया है  कि रिश्तें  गिरावट की चरम सीमा पर पहुंचते जा रहे  है .इस विवाद  ने दोनों देशों  के बीच अविश्वास इस कदर बढा   दिया कि  दोनों  एक दूसरे के  अनेक  राजनयिकों  अपने अपने  अपने  देशों से निकाल चुके हैं.

 कनाडा ने स्थति यहा तक पहुंचा दी कि भारत के विदेश मंत्रालय  ने   बताया कि कनाडा  ने वहा भारत  के उच्चायुक्त सहित पॉच अन्य वरिष्ठ  राजनयिको  को निन्ज्जर की हत्या से जुड़े मामलें  में "निहित हित"  का आरोप लगाते हुयें उन से पूछताछ और जॉच पड़ताल तक करने की बात तक कह डाली. बाद में भारत ने उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित अपने  पॉच वरिष्ठ  राजनयिकों को वापस बुला लिया, इस से पूर्व भारत ने कनाडा के उप उच्चायुक्त सहित पॉच राजनयिकों को १९ अक्टूबर तक देश छोड़ने का एलान कर दिया.

 इस  विवाद से जुड़ा एक  चिंताजनक घटनाक्रम यह भ  है किअमेरिका ने  इन तमाम घटनाओं के बाद कहा है कि भारत को निज्जर हत्याकांड के मामले में कनाडा की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने  इस सप्ताह कहा कि भारत पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं.भारत और कनाडा दोनों अमरीका के अहम सहयोगी देश हैं. लेकिन इस मामले में फिलहाल  अमेरिका कनाडा का साथ देता नज़र आ रहा है. अमरीका के  अलावा "पॉचआईस" देश जिस के सदस्य देश अ्म रीका  के अलावा फ्रांस,आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलेंड  है, सभी ने भारत से इन आरोपों की जॉच करने को कहा है.

गौरतलब हैं कि पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री  ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत के 'एजेंटों' पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर इन आरोपों को खारिज करते हुयें कहा था कि त्रुदों. अगले वर्ष होने वाले चुनावों में आनी कमजोर स्थति को  बदलने की मंशा से   खालिस्तान समर्थक वोट बेंक  लुभा्ने के लिये जॉच की बात कर रह हैं  भारत का साफ तौर पर कहना हैं कि कनाडा सरकार   अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उग्र आतंकवादियो को भारतीय राजनयिकों और सिख समुदाय के नेताओं को डराने्  धमकाने के लियें अपनी भूमि का इस्तेमाल करवा  रही हैं भारत की यह शिकायत थी कि ट्रूडो अपनी धरती पर भारत विरोधी गतिविधियों और खालिस्तान की मुहिम के लिए हो रही लामबंदी पर अंकुश नहीं लगा रहे. निज्जर के प्रत्यर्पण को लेकर भारत के बार-बार अनुरोध को भी वह दरकिनार करते रहे.

 भारत कनाडा संबंधों पर नजर रखने वाले एक जानकार के अनुसार दरअसल इस  सब के साथ भारत-कनाडा संबंधों में टकराव का एक अहम बिंदु सिख अलगाववाद से जुड़ा है, जिसे ट्रूडो के शासन में और हवा मिली.हालांकि सिख अलगाववाद और  आतंकवाद उनके शासन में ही शुरू हुआ. कनाडा में इसकी जड़ें बहुत पुरानी हैं, जिसके तार उनके पिता के शासनकाल से भी जुड़ते हैं  लेकि्न बदलते हालात में  अपना चुनावी भविष्य डॉवाडोल होते  देख   ऐसे कदम उठा रहे हैं.

.ट्रूडो की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब खालिस्तान के समर्थक जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने मॉन्ट्रियाल में हार से कुछ वक्त पहले ही अपना समर्थन वापस ले लिया था.ट्रूडो अल्पमत में सरकार चला रहे हैं, दो बार अविश्वास प्र्स्ताव से भी से भी बच कर निकल चुके हैं, लेकिन  निश्चय ही ये उनकी राजनीति के लिए संकट का समय है. उनकी अपनी पार्टी में भी उनके इस्तीफ़े की मांग बढ़ती जा रही है.कोविड के बाद से ही कनाडा के नागरिकों में भी असंतोष देखने को मिल रहा है. वहा आम लोगं को जीवन यापन के लिये खासा संघर्ष करना पड़ रहा हैं इन सबके मद्देनज़र, ट्रूडो का भारत के प्रति ऐसा रूख होना हैरान नहीं करता क्योंकि अगले साल कनाडा में चुनाव हैं.  

जब ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे, तो शुरू के कुछ सालों  तक उन की छवि बेहद अच्छी  रही . लेकिन उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के नौवें साल में उनकी  रेटिंग 33 फीसदी पर आ पहुंची है.  रेटिंग में उनके विपक्षी नेता पीयर पायलिया आगे चल रहे हैं. निश्चय ही उन की यह बौखलाहट आगामी चुनाव में  अपनी स्थति को  कमजोर ऑकने  लिये जाने को ले कर है, जिस के चलते घरेलू चुनौतियॉ डिप्लोमेसी पर हावी हो गयी हैं. जरूरी था कि दोनों देशों इस   विषम स्थति  को संवाद के जरियें  सुलझाने की कौशिश करते.

 ्कनाडा में भारत विरोधी  अलगाव वादियों को प्रश्रय दिये जाने के बावजूद  त्रु्दों अक्सर  ुलटे भारत पर ही आरोप लगते रहे हैं , 2023 में नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने पर चिंता व्यक्त की थी. इसके बाद हरदीप निज्जर की हत्या के बाद जस्टिन ट्रूडो ने अपनी संसद में निज्जर की हत्या में भारत के एजेंट्स के शामिल होने का आरोप लगाया 

 .भारत  ट्रूडो के  इन आरोपों को बेतुका बताते हुए ख़ारिज करता रहा  हैं और कनाडा के खालिस्तान समर्थक सिखों का केंद्र बन जाने पर चिंता व्यक्त  करता रहा हैं.  देखना  होगा कि कनाडा के अगले चुनावों तक ट्रूडो इस पूरे विवाद  से कैसे निपटेंगे  या इसे  लटकायें रखेंगे .

भारत  की छवि एक ऐसे  देश की हैं जो सभी दे शों की संप्रभुता का सम्मान करता हैं और जो अंतराष्ट्रीय पट्ल अपन बात रखनें के लिये तेजी से अपनी पहचान बना रहा हैं  ऐसे में कनाडा के साथ रिश्तों मे इतनी गिरावट उस की छवि और डिप्लोमेसी के लियें एक  बड़े बड़ी चुनौती हैं.  जरूरी हैं कि भारत अगला कोई कदम समग्र्ता से सभ पहलुओं ्पर   विचार कर उस के प्रभाव को  देखतें हुयें उठायें , साथ ही अंत राष्ट्रीय  समुदाय के सम्मुख भी अपने स्थति स्पषट करे जिस से उन्हें अपनी बात समझाई ्जा सके. समाप्त


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