नई दिल्ली,15 दिसंबर (वीएनआई)स्विट्जरलैंड ने भारत को दिए 'सर्वाधिक तरजीही देश' यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफ़एन) का दर्ज़ा रद्द कर दिया है. स्विट्जरलैंड ने यह फैसला नेस्ले विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद लिया है.
आखिर इस फैसले का भारत के साथ उसके आपसी व्यापार पर क्या असर हो सकता है, खासकर एक-दूसरे देश में उनके निवेश पर इसका कितना असर हो सकता है ? अहम बात यह है कि हाल के समय में यह निवेश काफ़ी बढ़ा है. भारत में स्विट्जरलैंड का निवेश साल 2015 से साल 2022 के बीच 53 फ़ीसदी बढ़ा है. एक वित्तीय विशेषज्ञ के अनुसार भारत में स्विस निवेश ज़्यादा बड़ा है इसलिए इसका असर उन पर ज़्यादा होगा तो वो भारत में निवेश पर विचार कर सकते हैं
"अब स्विट्ज़रलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को अपने ्डिविडेंड पर 5 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा और स्विस कंपनियों को भी 10 प्रतिशत टैक्स देना जारी रखना होगा. यह टैक्स 5 प्रतिशत नहीं होगा, जैसा कि स्विस कंपनियों ने सोचा था."
आंकड़ों के मुताबिक साल 2000 से साल 2023 के बीच भारत में स्विट्जरलैंड का निवेश 9.77 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा है."ज़ाहिर तौर पर भारत में स्विस निवेश ज़्यादा बड़ा है इसलिए इसका असर उन पर ज़्यादा होगा तो वो भारत में निवेश पर विचार कर सकते हैं."
स्विट्ज़रलैंड सरकार ने घोषणा की है कि वो भारत को डीटीएए (डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट) समझौते के तहत दिए गए 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा वापस ले रहा है और यह 1 जनवरी 2025 से लागू हो जाएगा.
स्विट्जरलैंड ने भारत के संबंध में ताजा फ़ैसला साल 2023 के सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले के आधार पर लिया है.दरअसल स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि भारत ने स्लोवानिया, लिथुआनिया और कोलंबिया जैसे देशों को टैक्स में ज़्यादा बेहतर छूट दी है, जो एमएफ़एन के तहत स्विट्ज़रलैंड की कंपनियों को भी मिलनी चाहिए.ऐसा माना जाता है कि अगर कोई देश किसी अन्य 'मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन' वाले देश को कोई ख़ास छूट देता है तो यह एमएफ़एन के तहत आने वाले सभी देशों को अपने आप मिल जाता है.
स्विट्जरलैंड की कंपनियाँ भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, रेलवे, निर्माण, इंजीनियरिंग जैसे कई क्षत्रों में काम कर रही हैं. भारत ने स्लोवाकिया के साथ साल 2016, लिथुआनिया के साथ साल 2011 और कोलंबिया के साथ साल 2011 में एमएफएन का समझौता किया था.
ये देश भारत के साथ समझौते के साथ ही ऑग्रेनाइज़ेशन फ़ॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट यानी ओईसीडी के सदस्य बन गए, जिसका सदस्य स्विट्ज़रलैंड भी है.
भारत के साथ समझौते में इन देशों को ख़ास तौर पर डिविडेंड पर कम टैक्स देने की छूट दी गई, जो 5 फ़ीसदी थी.नेस्ले की दलील थी कि ओईसीडी के नए सदस्यों को मिलने वाली छूट एमएफ़एन के तहत स्विट्ज़रलैंड को भी मिलनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अक्तूबर 2023 को अपने एक फ़ैसले में कहा था कि नेस्ले को यह लाभ भारत-स्विट्जरलैंड एमएफ़एन समझौते के तहत अपने आप नहीं मिल सकता है. इसके लिए भारत सरकार को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन-90 के तहत इसकी अधिसूचना अलग से जारी करनी होगी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने नेस्ले के पक्ष में फ़ैसला सुनाया था, लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी.प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में मौजूदा समय में 323 स्विस कंपनियां काम कर रही हैं. इनमें से 287 कंपनियां साल 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय बाजार में आई हैं. भारत में इन कंपनियों में करीब 1.35 लाख लोग नौकरी करते हैं.
इनमें बैंकिंग और फाइनेंस, इन्फ्रास्ट्रक्चर, मशीन, इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन और सूचना तकनीक जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं, जहां स्विस कंपनियां कारोबार करती हैं.
दरअसल यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन यानी ईएफ़टीए में शामिल चार देशों ने भारत में 15 साल में 100 अरब डॉलर के निवेश करने का लक्ष्य रखा है. इन देशों में आइसलैंड, लिश्टेन्स्टाइन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं.
भारत का स्विट्ज़रलैंड में प्रत्यक्ष निवेश अप्रैल 2020 से नवंबर 2022 के बीच 7.2 अरब डॉलर का रहा है. इसमें बड़ा हिस्सा भारत की आईटी कंपनियों का है. इसके अलावा लाइफ़ साइंस, इंजीनियरिंग और कैमिकल से जुड़ी कंपनियां भी इस निवेश में शामिल हैं.
मौजूदा समय में भारत की 140 कंपनियों ने स्विट्जरलैंड में 179 जगहों पर निवेश किया है, जिनमें क़रीब पांच हज़ार लोगों को नौकरी भी मिली है.जबकि साल 2023-24 में स्विट्जरलैंड भारत का 15वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
भारत में जिन राज्यों में स्विट्ज़रलैंड का सबसे ज़्यादा निवेश हैं उनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, दिल्ली और तमिलनाडु शामिल हैं, जहां इस निवेश का क़रीब 90 फ़ीसदी हिस्सा लगा हुआ है. भारत में फिलहाल जिन चीजों का स्विट्ज़रलैंड का निर्यात करता है उनमें ऑर्गेनिक कैमिकल, मोती, कीमती रत्न, ज्वैलरी, कपड़े, कपड़ों को रंगने वाली डाई, चमड़े के उत्पाद, कॉटन, प्लास्टिक, कॉफ़ी जैसी चीजें शामिल हैं.
जबकि स्विट्जरलैंड से भारत आने वाले सामानों में सोने-चांदी, कैमिकल, दवाएं, मशीन, ट्रांसपोर्ट के सामान, घड़ी और इंजीनियरिंग के सामान शामिल हैं. वी एन आई
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