सुनील कुमार ,वी एन आई ,नयी दिल्ली 30 -07-2020
मधुबाला और दिलीप कुमार की प्रेमी-प्रेमिका जोड़ी।
के. आसिफ़ का शानदार और सुलझा हुआ निर्देशन।
फ़िल्म के लिए बनाया गया कल्पना-लोक जैसा शीशमहल का सेट।
युद्ध का बड़े पैमाने पर चित्रण, हाथी-घोड़े, पोशाक, आभूषण और हथियार आदि।
फिल्म के गीत संगीत ने फिल्म को निखारा
बड़े मान मुन्नवल के बाद ,उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहिब ने ठुमरी "प्रेम जोगन बनकें" और "शुभ दिन आयौ" गायी।
मुग़ल-ए-आज़म के सेट और प्रत्येक कलाकार के लिए अलग-अलग कपड़े तैयार किए गए थे। जिसके चलते यह फ़िल्म ऐतिहासिकता को दर्शाने में सफल रही थी।
इसके किरदारों के राजसी कपड़े तैयार करने के लिए दिल्ली से विशेष तौर पर दर्ज़ी और सूरत से काशीदाकारी के जानकार बुलाये गए थे। हालांकि विशेष आभूषण हैदराबाद से लाए गए थे। अभिनेताओं के लिए कोल्हापुर के कारीग़रों ने ताज बनाया था।
राजस्थान के कारीगरों ने हथियार बनाए थे और आगरा से जूतियाँ मंगाई गई थीं,फिल्म की हर चीज़ में भव्यता छलकती थी । फ़िल्म के एक दृश्य में कृष्ण भगवान की मूर्ति दिखाई गई है, जो वास्तव में सोने की बनी हुई थी।
लगता है के आसिफ दुनिया को बताना चाहते थे ,कि ठान लो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
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