नई दिल्ली, 13 अप्रैल, (सुनील कुमार/वीएनआई) कहा जाता है की अच्छे अभिनय का मतलब ही स्वाभाविक व् सहज अभिनय है, अभिनय की ये व्याख्या ,बलराज साहनी पर खरी उतरती है.
हिंदी फिल्म जगत में स्वाभाविक अभिनय के लिए जाने जाते थे बलराज साहनी । रावलपिंडी, अब पाकिस्तान में एक व्यापारी परिवार में एक मई 1913 को जन्में बलराज साहनी बचपन से ही अदाकार बनना चाहते थे । उच्च शिक्षा प्राप्ती के बाद वर्ष 1930 के अंत मे बलराज साहनी और उनकी पत्नी दमयंती रावलपिंडी को छोड़कर गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर के शांति निकेतन प हुंचें जहां बलराज साहनी अंग्रेजी के शिक्षक नियुक्त हुए।
कुछ समय बाद महात्मा गांधी के सहयोग से बलराज साहनी को बी.बी.सी के हिन्दी के उदघोषक के रूप में इग्लैंड में नियुक्त किया गया । लगभग पांच वर्ष के इग्लैंड प्रवास के बाद वह 1943 में भारत लौट आये। ... इसके बाद बलराज साहनी इंडियन प्रोग्रेसिव थियेटर एसोसियेशन ..इप्टा ..में शामिल हो गये। इप्टा में वर्ष 1946 में उन्हें सबसे पहले फणी मजमूदार के नाटक .. इंसाफ .. में अभिनय करने का मौका मिला । इसके साथ ही ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में इप्टा की ही निर्मित फिल्म ..धरती के लाल.. में भी बलराज साहनी को बतौर अभिनेता काम करने का मौका मिला।
वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म ..काबुलीवाला.. में भी बलराज साहनी ने अपने सजीव अभिनय से दर्शको को प्रभावित किया ।स्वाभाविक अभिनय उनके अभिनय की जान थी, किरदार के हर पहलू को वो वखूबी निभाते थे। बुद्धिजीवी अदाकार बलराज साहनी अभिनय के साथ-साथ लिखने में भी काफी रूचि रखते थे। वर्ष 1960 मे उनकी किताब .. मेरा पाकिस्तानी सफरनामा.. और वर्ष 1969 में उनकी किताब ..मेरा रूसी सफरनामा ..छपी जो कि उनकी पाकिस्तान व् रूस के दौरे पर आधारित थीं । बलराज साहनी ने ..मेरी फिल्मी आत्मकथा.. किताब के माध्यम से लोगों को अपने बारे में बताया। देवानंद की फिल्म ..बाजी ..की पटकथा भी बलराज साहनी ने लिखी थी। बलराज साहनी ने निर्देशन में भी हाथ आजमाया । निर्देशक एम.एस.सथ्यू की वर्ष 1973 मे प्रदर्शित ..गर्म हवा.. में उनकी अदाकारी ने सबको प्रभावित किया बंटवारे के दर्द को इस फिल्म में दिखाया गया था ।अदाकारी को बुलंदियों पर ले जाने वाला यह महान अदाकार 13 अप्रैल 1973 को इस दुनिया को अलविदा कह गया । बलराज साहनी के कैरियर की उल्लेखनीय फिल्मों में कुछ अन्य है ..हमलोग, गरम कोट, सीमा, वक्त, कठपुतली, लाजवंती, सोने की चिडिया, घर ंसंसार, सट्टा बाजार ,भाभी की चूडिया, हकीकत, दो रास्ते ,एक फूल दो माली, मेरे हमसफर आदि आदि।
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