प्रिय पाठकों, श्रीलंका के हाल के दौरें में वहाँ की परिस्थति के विभिन्न पहलुओं के बारें मे कल हमने लेखों की एक श्रखंला शुरू की थी. दो भागो में उस श्रखंला के कल के पहले भाग के बाद अंतिम लेख वहा के विदेश मंत्री अली साबरी के इंटरव्यू के साथ. आशा है आपको यह श्रखंला अच्छी लगेगी
आगे की कड़ी______कोलंबों से
गौरतलब हैं कि श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी पर्यटन की रहती हैं, लेकिन आर्थिक बदहाली के दौरान 2012 में श्री लंका आने वालें पर्यटकों की संख्या 194495 रह गयी थी वही 2022 में यह फिर से बढ कर 27.02 प्रतिशत यानि 719778 हो गई उल्लेखनीय है देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः पर्यटन पर आधारित है लेकिन पिछले वर्ष की राजनीतिक असिथरता और आर्थिक बदहाली के बाद धीरे धीरे पर्यटन और विकास धीरे धीरे पटरी पर आ रहे है .उन्होंने कहा कि विशेष कर भारत से पर्यटकों को यहां के पर्यटन क्षेत्रों तक लाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं . विमान सेवाओं की संख्या बढाना फे्री- नौका सेवा आदि ऐसे ही कुछ कदम है ताकि कनेक्टिविटी बढ़ाई जा सकें, दोनों देशों के बीच आपसी आवाजाही बढाई जाये. उन्होंने कहा कि श्रीलंका विमान सेवा सहित अपने अनेक क्षेत्र निजीकरण ्के लिये खोल रहा है,ऐसे में वह चाहता हैं कि भारत सहित अनेक देश वहा निवेश करें. भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की पिछलें दिनों की श्रीलंका यात्रा के दौरान उन्होंने उन्होंने उनसे भारत से वहा निवेश का आग्रह किया साथ ही भारतीय पर्यटको के लियें श्री लंका को एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में अपनानें और सांस्कृतिक धार्मिक रूप से हजारों वर्षों से जुड़ी दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही बढानें पर बल दिया . विदेश मंत्री ने कहा कनेक्टिविटी को बढ़ाने की दृष्टि से साझी धार्मिक विरासत वाले.रामायण के श्रीलंका स्थित 52 स्थलो को भारत के रामायण से जुड़ें स्थलो को जोड़ने ्के लिये भी निजी क्षेत्र के साथ बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा कि दोनों देश पर्यटन के अलावा अक्ष्य उर्जा पेट्रोलियम, आधारभूत क्षेत्र सहित अनेक क्षेत्रों मे मिल कर और निजी क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं.
विदेश मंत्री ने खास तौर पर जाफना जैसे देश के तमिलभाषी हिस्से और इस से जुड़े देश के दक्षिणी हिस्सें के विकास के लिए खास तौर पर भारत से निवेश किये जाने पर बल दिया, जिस ने पिछले 25 से अधिक वर्षों तक हिंसा झेली है. इस से विकास यह उस गति से नहीं पहुंचा जितना कि कोलंबो और अन्य क्षेत्रों मे आया इसी वजह ताकि विकास का लाभ पूरे देश को समान रूप से मिले . उन्होंने विशेष तौर पर भारत से इस क,उन्होंने कहा कि गत 9 जुलाई को जाफना के लिए सीधी विमान सेवा भी शुरू की है
भारत श्रीलंका संबंधों की पृष्ठभूमि में चीन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि चीन और श्रीलंका संबंध पूरी तरह से व्यवसायिक हैं, चीन के पास धन हैं उस ने श्रीलंका में बीस वर्ष वहा निवेश करने की पहल की ,किसी प्रकार का आधारभूत क्षेत्र मे काफी काम किया. उस के साथ किसी प्रकार का सैन्य सहयोग नही हैं और ना ही ऐसा हैं कि चीन वहा अपनी जड़ें जमा रहा हैं यह पूछे जानें पर कि क्या चीन के ऐसे कदमों को ऋण के जाल में फंसा कर ्वहा अपना वर्चस्व जमाया जायें,श्री लंका के विदेश मंत्री ने कहा कि वे इस से सहमत नही है दरअसल यह पश्चिम का नेरेटिव हैं ताकि चीन के निवेश को रोका जा सकें
उन्होंने कहा कि भारत आज तेजी से आर्थिक प्रगति कर रहा हैं इस प्रगति का लाभ इस पूरे क्षेत्र को भी मिले अब समय आ ग्या हैं कि दुनिया के दक्षिण और उतारी हिस्सें के बीच संतुलन बना कर क़ाम किया जायें और इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं को देखते हुयें दक्षिण एशिया को मजबूत बनाया जायें . उन्हें उम्मीद हैं कि अगले 20-25 वर्षों में पूरी दुनिया का ध्यान भारत की अगुआई में इस क्षेत्र से जुड़नें पर होगी.श्री अली ने कहा कि भारत और चीन कि मिल कर काम करना चाहिये.जिस तरह से दोनों देश मिलकर व्यापार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं बिम्सटेक में भी मिल कर काम कर रहे हैं. जरूरी हैं दोनों देश मिलकर काम करे जिस से पूरे क्षेत्र की प्रगति हो सकें श्रीलंका भी यही चाहता हैं कि दोनो आपस मे बात करें और मिल कर आगें बढ़े, ताकि समूचे क्षेत्र की प्रगति हो सके उन्होंने कहा कि श्रीलंका पूरी दुनिया के लिये अहम सामरिक क्षेत्र है, वह हमेशा ही हिंद महासागर को शांति क्षेत्र का पक्षधर रहा है और इस दिशा में कदम भी उठाता रहा हैं. विदेश मंत्री ने कहा " श्रीलंका एक सौहार्दपूर्ण प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर आपको अपना सा लगने वाला देश है, जो आपके स्वागत का इंतजार कर रहा हैं" भाग दो -कोलंबो-अंतिम- समाप्त
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