अमरकंटक, 7 फरवरी (वेदचंद जैन/वीएनआई) देश के पहले आदिवासी विश्वविद्द्यालय, मध्यप्रदेश के अमरकंटक स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टी वी कट्टीमनी के सेवा काल पूर्ण होने के साथ ही विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा उन्हें अगले आदेश तक सेवा विस्तार दिए जाने का आदेश विवाद निरंतर गरमा रहा हैं ।संसद के आदेश से बने देश के एकमात्र आदिवासी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। आदिवासियों के सामाजिक उत्थान , गुणात्मक सुधार के लिये शोध शिक्षण के इस अद्वितीय विश्वविद्यालय इस आदेश से अचानक ही अलग कारणों से सुर्खियों में आ गया हैं. एक तरफ जहाँ सूत्रों का मानना है कि भारत के राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में विवि के कुलसचिव पी.सिलुवईनाथन द्वारा हस्तक्षेप करने का यह गंभीर प्रकरण है।जबकि विवि के नवीन कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया और मंथन मंत्रालय में विचाराधीन है। दूसरी तरफ कुलपति प्रोफेसर कट्टीमनी ने अनियमितता से इंकार करते हुये बताया कि विवि के प्रावधानों का पूर्णतया पालन किया गया है।विश्वविद्यालय के विधान में प्रावधान है कि नवीन कुलपति की नियुक्ति तक सेवा काल का विस्तार किया जा सकता है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टी वी कट्टीमनी गत 14 जनवरी को सेवाकाल की पांच वर्षों की अवधि पूरी कर लिया । प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रोफेसर कट्टीमनी का कार्यकाल पूर्ण होते ही विवि के कुलसचिव ने उनकी सेवा का विस्तार कर दिया। इस संबंध में न तो मानव संसाधन मंत्रालय का कोई प्रस्ताव है न ही राष्ट्रपति की कोई स्वीकृति है। जानकारों का कहना है इस तरह के सेवाविस्तार के निर्णय से विश्वविद्यालय में संवैधानिक संकट व्याप्त हो गया है।यहां के प्राध्यापकों ने इसकी सूचना मानव संसाधन विकास मंत्रालय में देकर अपना असंतोष व्यक्त किया है।विवि के विधान के अनुसार कुलपति की नियुक्ति और विस्तार मंत्रालय की अनुशंसा पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
कुछ वर्गों का यह भी आरोप हैं कि इतना ही नहीं , विश्वविद्यालय के कुलसचिव के कार्यों में भी अनियमिततायें परिलक्षित हैं। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टी वी कट्टीमनी ने विवाद को निराधार बताते हुये स्पष्ट किया कि आदिवासी विरोधी समूह ने मिथ्या प्रचार के माध्यम से विवि की उपलब्धि प्रगति और छवि को बाधा पहुंचाने का प्रयास किया है।श्री कट्टीमनी ने बताया कि शीर्षस्थ संस्थाओं की बागडोर किसी आदिवासी के हाथ में होना कुछ लोगों को सहन नहीं होता। श्री कट्टीमनी ने कुलसचिव पर आरोप लगाने वालों से प्रतिप्रश्न किया कि क्या मानव संसाधन मंत्रालय की सहमति के अभाव में सेवाकाल विस्तार कर अपनी सेवा संकट में डालेगा।
भारत के इस एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना विशेष उद्देश्य को सम्मुख रखकर की गयी है,जनजातीय वर्ग के शिक्षण सामाजिक स्तर को ऊंचा उठाकर आर्थिक संपन्न स्वावलंबी बनाना है ।अनुसंधान व शोध के उच्च आयामों के लिये विशाल भूखंड पर सुसज्जित भवनों और उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं और यह क्रम निरंतर चल रहा है. वीएनआई
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