भारत चीन सीमा वार्ता से विश्वास बहाली?

By Shobhna Jain | Posted on 27th Nov 2018 | VNI स्पेशल
altimg

नई दिल्ली, 27 नवंबर, (वीएनआई) भारत चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने या यूं कहे सीमा विवाद के दोनो पक्षों को स्वीकार्य हल के समाधान की दिशा में  और विश्वास बहाली  की मंशा से एक और कदम...  दोनो देशों के बीच  गत 13 नवंबर को हुई "सुरक्षा  वार्ता' के ठीक दस दिन बाद अगले हफ्ते 23-24  नवंबर को सीमा विवाद पर बीच इक्कीसवे दौर की  विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता होगी.

एक तरफ जहा पिछले अनेक दशको से भारत चीन संबंधो का इतिहास "एक कदम आगे तो एक कदम पीछे" का रहा है.असहजता के बीच  संबंधों को सहज बनाने के प्रयास भी जारी रहे. हाल के वर्षों मे चीन के भारत के आस पास" पर्ल ऑफ स्टिंग" ्जैसी घेराबंदी और क्षेत्र मे "वन बेल्ट वन रोड" जै्सी विस्तारवादी परियोजनाओ के बीच   दोनों देशों के बीच सुरक्षा वार्ताओं सहित  विभिन्न वार्ताओं, व्यापार बढाने, शीर्ष स्तरीय ्मुलाकातों आदि जैसे उभयपक्षीय संबंधों को बढाने जैसे दौर भी जारी है. ्दरअसल इस वार्ता से ्भी कोई नाटकीय उम्मीद तो नही की जा सकती है लेकिन संवाद  विश्वास बहाली की तरफ एक कदम तो है ही खास तौर पर ऐसे में जबकि दोनो देशों के संबंध अक्सर उथल पुथल के जिस तरह के दौरों से गुजरते रहे है.

सीमा वार्ता मे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसिलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच  चीन के  चेंगदू शहर के समीप दुजियांगयान में यह दो दिवसीय वार्ता करेंगी होगी.डोभाल के साथ वांग  को सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि बनाया गया है. वांग के लिए यह पहली चरण की वार्ता होगी. उन्हें इस साल मंत्रिमंडल फेरबदल में स्टेट काउंसिलिर बनाया गया था.एक वरिष्ठ पूर्व राजनयिक के अनुसार दोनों  ही देश विशेष प्रतिनिधि वार्ता को अत्यधिक महत्व देते हैं क्योंकि इसमें सीमा विवाद को हल करने के अलावा व्यापार सहित द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयाम आते हैं,साथ ही दोनो पक्ष इस दौरान उभयपक्षीय संबंधों के साथ साथ आपसी हित वाले क्षेत्रीय और अंतर राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे”.
 
दोनो देशों के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता की शुरूअत २००३ में हुई थी ताकि भारत चीन सीमा विवाद का तर्क संगत, निष्पक्ष और दोनो देशो को स्वीकार्य जल्द हल निकाला जा सके. बीसवे दौर की बातचीत पिछले वर्ष भारत में हुई थी.दरअसल दोनों पक्षों के बीच इस बारे में सहमति हैं कि सीमा वार्ता के समाधान होने के साथ साथ सीमा वर्ती क्षेत्रों मे शांति बरकरार रखी जाये.

इस संवेदनशील सीमा वार्ता पर जहा दोनो देशों की निगाहे लगी हुई है.समझा जाता है कि इस वार्ता मे अन्य मुद्दोंके साथ एन एस जी मे भारत की सदस्यता का  चीन द्वारा विरोध ,चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडॉर का भारत के विरोध, पाक आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आत्ंकी घोषित करवाने के भारत के प्रयासो मे रोडा अटकाने जैसे मुद्दे पर भी चर्चा हो सकती है.यहा यह जानना दिलचस्प होगा कि इस वार्ता से पूर्व चीन ने भारत चीन संबंधो के लिये खासी सहजता से आगे बढने वाली तस्वीर खिंचते हुए कहा कि दोनों ्देशों के  संबंधों में वृद्धि की खास गति बरकरार है क्योंकि दोनो पक्षो ने संवाद और विचार विमर्श के जरिये मतभेदों को समुचित तरीके से संभाला है.ऐसी उम्मीद हैं कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच  चीन के वुहान नगर में गत अप्रैल मे हुई अनौपचारिक शिखर वार्ता मे  उभयपक्षीय संबंधों को आगे बढाने की  दिशा में जो सहमति हुई थी ,यह वार्ता उसी भावना के तहत  हो रही है और आगे बढेगी.

पिछले चरण की वार्ता डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिन तक चले गतिरोध की पृष्ठभूमि में हुई थी. गौर तलब है कि डॉकलाम विवाद की वजह से भारत चीन सुरक्षा वार्ता  भी एक वर्ष तक नही हो पाई जो गत तेरह ्नवंबर को हुई इस वार्ता मे दोनो पक्षों ने  दोनो देशो के सुरक्षा बलो के बीच सुरक्षा संबंधी विचार विमर्श बढाने पर सहमति हुई. भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है.चीन का दावा है कि अरूणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है. साभार - लोकमत  (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान सम्पादिका है)


Leave a Comment:
Name*
Email*
City*
Comment*
Captcha*     8 + 4 =

No comments found. Be a first comment here!

ताजा खबरें

Connect with Social

प्रचलित खबरें

© 2020 VNI News. All Rights Reserved. Designed & Developed by protocom india