नई दिल्ली, 05 जनवरी (शोभना जैन/ वीएनआई) "नोटबंदी" ने पड़ोसी देश नेपाल के साथ भारत के रिश्तों मे भी उथल पुथल मचा दी है. हाल ही में नेपाल द्वारा भारत के "बड़े नये नोटों" को अपने यहां मान्यता नही दिये जाने के फैसले का असर न/न केवल द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों बल्कि दोनों देशों की जनता के बीच गहन संपर्क और पर्यटन और व्यापार आदि अनेक क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। गौरतलब हैं कि नेपाल ने हाल ही में एक सरकारी आदेश के जरिये भारत के नये 2 हजार रुपए, 5 सौ रुपए और 2 सौ के नये नोट के चलन पर पाबदी लगा दी है.
दरअसल यह मुद्दा इतना सामान्य नही है जितना दिख रहा है,भारत- नेपाल रिश्तों के लिये 'नोटबंदी' का मुद्दा जटिल और पेचीदा है, विशेष तौर पर भारत के लिये यह मुद्दा काला धन, नकली करेंसी के प्रचलन और पाक गुप्तचर एजेंसी आई एस आई द्वारा नकली भारतीय करेंसी को बाजार में भरे जाने और आतंकवादी गतिविधियों को प्रश्रय दिये जाने के इतिहास से जुड़ा रहा है लेकिन इस के समाधान की भी जल्द जरूरत है.
दो वर्ष पूर्व 8 नवंबर 2016 को जब भारत में सरकार ने बड़े नोटों की नोटबंदी लागू की थी और उसके बाद 2,000, 500 और 200 रुपये के नए नोट छापकर प्रचलन में जारी कर दिए तब से इस बात की चिंता जताई जा रही थी कि भारत में काम करने वाले नेपाली कामगारों और नेपाल जाने वाले भारतीय पर्यटकों को इस से भारी दिक्कत होगी और सवाल खड़े हुए थे कि नेपाल मे चल रही "बड़ी भारतीय मुद्रा" को कैसे बदला जाये ,इस कोई हल कैसे निकाला जाये। दोनों देशों के बीच इस बारे में कई दौर की बैठके भी हुई, लेकिन समस्या का समाधान नही निकल सका, ऐसे में यह अंदेशा भी व्यक्त किया जा रहा था कि नेपाल मुद्दे का हल नही निकलने पर प्रतिबंध जैसा कदम उठा सकता है.
दरसल यह भी माना जा रहा है कि चीन जिस तरह से नेपाल सहित इस क्षेत्र मे अपना प्रभाव क्षेत्र बढाने की हर जुगत कर रहा है, तो क्या वह इस कदम को अपनी मुद्रा' युआन'को नेपाल मे प्रचलित करने के मौके के रूप मे इस्तेमाल करने से चुकेगा. भारत मुद्दे के काला धन, नकली करेंसी और पाक गुप्तचर एजेंसी आई एस आई द्वारा नकली भारतीय करेंसी को बाजार में भरे जाने के इतिहास से चौकस , सतर्कता से आगे जरूर बढ रहा है,लेकिन निश्चित तौर पर इस जटिल मुद्दे को सुलझाने मे हुई देरी हों रही है.जरूरत इस बात की है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान हो और बड़ी तादाद मे इस्तेमाल की जा रही भारतीय मुद्रा का चलन भी जारी रहे. भारत नेपाल संबंधों के एक जानकार के अनुसार इस विकल्प पर विचार किया जाये कि प्रतिबंध के चलते बड़ी भारतीय मुद्रा के बदले नेपालियों और भारतीय पर्यटक़ सौ रूपये के नोट इस्तेमाल कर सकें.
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है और उसे अधिकतर उपभोक्ता सामान की आपूर्ति करता है। वैसे राहत की बात है कि नए निर्देशों के मुताबिक नेपाल सरकार ने भारत के सौ रुपए तक के नोटों को प्रचलन में रहने दिया है,ताकि बड़े पैमाने पर छोटी भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे नेपाल के गरीब और कमजोर वर्ग को असुविधा न हो।
भारत के पंरपरागत, प्रगाढ मित्र माने जाने वाले नेपाल के साथ कहा जाता है कि दोनो के बीच "रोटी बेटी" के है, सांस्कृतिक आध्यात्मिक रिश्ते है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों मे रिश्तों मे रह रह कर "असहजता" देखने को मिल रही है.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रिश्तों मे नजदीकियॉ बढाने के लिये तीन बार नेपाल की यात्रा भी कर चुके है लेकिन कई मुद्दे लगातार ऐसे उठते बनते रहे जिन्हे भारत विरोधी तत्व हवा देते रहे और रिश्तों में इस सहजता को बहाल करने मे बाधा बनते रहे है.इस बार फौरी चिंता का विषय यह मुद्दा है. नेपाल , जहा भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल आधिकारिक तो नही अलबत्ता व्यावाहरिक प्रचलन काफी ज्यादा है,भारतीय मुद्रा के विकेन्द्री करण के बाद उस कदम का असर वहा पड़ना स्वाभाविक था. हकीकत यही है कि नेपाली रूपये के बाद भारतीय मुद्रा वहा सब से ज्यादा चलन में है.इसी के चलते इन क्षेत्रों में भारत के विमुद्रीकरण फैसले का फौरी असर पड़ा.नेपाल का कहना है कि भारत अपने पुराने नोट को क्यों नहीं बदल रहा है.इस मामले को निबटने के लिये नेपाल ने कई मर्तबा भारत से आग्रह किया, दोनो देशो के बीच कई समितियॉ भी बनी लेकिन संकट का समाधान नही हो पाया.
दरअसल पाक गुप्तचर एजेंसी आई एस आई द्वारा नकली भारतीय मुद्रा नेपाल से भारत मे भेजे जाने और उन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियॉ के लिये किये जाने की वजह से भारत सरकार के आग्रह पर 2014 तक 500 और 1,000 के बड़े नोट प्रतिबंधित कर दिये गये थे. अगस्त 2015 में इसे फिर वापस ले लिया गया जिस से भारत से नेपाल आने वाले भारतीय 25000 रुपये तक के 500,1000 रूपये तक के नोट ला सकते थे.
नोटबंदी से नेपाल ्ही नही भूटान भी बड़े स्तर पर प्रभावित ्हुआ था क्योंकि वहां भी भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल आम है. नेपाल तथा भूटान की अर्थ व्यवस्था बड़े पैमाने पर भारतीय रूपये से प्रभावित होती है,जो कि दोनो देशों ्के विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा प्रतिशत है.एक तरफ जहा नेपाल के विपरीत भूटान मे भारतीय रूपये का चलन आधिकारिक है वही नेपाल मे सामान्य तौर पर इसे रिटेल स्तर पर इसेमाल किया जाता है.भूटान जहा ्दोनो देशों ने इस नये घटनाक्रम का समाधान कर लिया है , वहां नेपाल ने इस मसले का समाधान नही होने से अब यह एलान कर दिया है,जिस के तहत वहा सौ रूपयेके चलन को छोड़ कर अब वहां न कोई भारत की मुद्रा रख पाएगा न उस मुद्रा में कोई कारोबार कर पाएगा, यह जुर्म होगा। साभार - लोकमत (लेखिका वीएनआई न्यूज़ की प्रधान संपादिका है)
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