"बिम्सटेक" 'देश सरहदों की दीवारों से परे एक पर्यटन क्षेत्र बनाये - विक्रमसिंघे.

By Shobhna Jain | Posted on 19th Jul 2023 | देश
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कोलंबो से शोभना जैन(वीएनआई) 19 जुलाई:  आर्थिक बदहाली से निकल कर अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लानें के लिए प्रयासरत श्रीलंका के राष्टृपति  रानिल विक्रम सिंघे ने  इस क्षेत्र के  सात बिम्सटेक देशों में पर्यटन और एकजुटता बढानें के लिये इस क्षेत्र को सरहदों से परें एक पर्यटन क्षेत्र  के रूप में विकसित किये जाने का सुझाव दिया हैं.राष्ट्रपति ने कहा कि इन देशों में पर्यटन की अपार संभावनाये हैं,  जरूरी हैं कि यह देश मिल कर इस क्षेत्र में मिल कर  ऐसा पर्यटन  क्षेत्र विकसित करें जो सरहदों से परें हो, जो एक दूसरे के पर्यटन क्षेत्रों  से जुड़ें.  उन्होंने कहा कि अगले दस वर्षों मे इस क्षेत्र की प्रति व्यक्तिआय  काफी बढ जाने की उम्मीद है, ऐसे मे जरूरी हैं कि इस क्षेत्र के देशों को पर्यटन की दृष्टि से अलग अलग सिमटें   रहनें की बजाय  पर्यटन को सरहदों से परें रख एक दूसरे से जुड़ा जायें. इस सब के मद्देनजर इस सम्मेलन की विषय वस्तु  "सरहदों के दायरे से परे बदलती ज़िंदगियां."  
 राष्ट्रपति रानिल कोलंबों मे हाल में सम्पन्न भारत के 67 वें  ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन टीएएआई के  सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे. श्रीलंका में  पिछले वर्ष की आर्थिक बदहाली बाद ध्वस्त हुए पर्यटन  अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये  भारत की ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन -टीएएआई  ने  श्रीलंका में पर्यटन को बढावा देने के लिए उस  की  तरफ सहयोग का  हाथ बंटाया हैं, ताकि दोनों देश मिलकर वहा पर्यटन को गति दे सकें, साथ ही दोनों देशों के बीच पर्यटकों की संख्या बढ़े और  पर्यटन को दोबारा देश  के  मुख्य एजेंडा  पर   लाया जा सके.टीएएआई  ने श्रीलंका पर्यटन संवर्द्धन बोर्ड ने श्री लंका टूर ऑपरेटर्स  के साथ मिल कर  यह सम्मेलन आयोजित  किया  ताकि वहा  अर्थ व्यवस्था के मुख्य आधार पर्यटन को   वापस पटरी पर लाया  इस पहल की सूत्रधार टीएएआई की अध्यक्ष ज्योती मायल ने कहा कि सम्मेलन इसी दिशा में एक कदम है,  जिस से दुनिया भर के सैलानी जानें कि श्री लंका  अब धीरें धीरें पटरी पर लौट रहा हैं और देश  अब उनके स्वागत के लिये तैयार है. उद्घाटन समारोह में  श्री लंका स्थित भारतीय उच्चायुक्त गोपल  बागलें श्री लंका के  परिवहन एवं पर्यटन मंत्री हरिन  फर्नेल्डों  उड़्यन एवं  जल परिवहन  मंत्री एन श्रीपाला. डी सिल्वा विधान सभा अध्यक्ष महिंदा,  टीएएआई की अध्यक्ष  ज्योति मायल , श्री लंका पर्यटन संवर्द्धन ब्युरो  अध्यक्ष सी गजमुख  सहित दोनों देशों के पर्यटन क्षेत्र से जु्ड़े लगभग ७०० स्टेक होल्डर्स ने  सम्मेलन में हिस्स लिया. तीन दिवसीय इस सम्मेलन में श्री लंका की   प्राचीन  सांस्कृतिक और आधुनिक  ्पहचान को समेटें  रंगारंग कार्यक्रम पेश किये गये  जिस के साथ ही दोनों देशों की  साझी सांस्कृति आध्यात्मिक जड़ों का उत्सव मनाया गया.
श्री विक्रम सिंह सहित‌ श्री लंका‌ के‌ पर्यटन विभाग,शीर्ष नेतृत्व और भारत और श्री लंका के पर्यटन से जुड़ें सभी  स्टेक होल्डर्स ने सुश्री मायल द्वारा पर्यटन के जरियें दोनो देशों को नजदीक लाने की पहल का  स्वागत किया, सुश्री मायल ने कहा कि श्री लंका पिछले वर्ष के दुर्भाग्यपूर्ण घटना क्रम के बाद अब पटरी पर वापस लौट रहा हैं ऐसे में ना केवल भारतीय सैलानियों ्ल्ल्कि दुनिया भर के सैलानियों को आ कर लगेगा कि श्री लंका उन के स्वागत के लियें तैयार हैं.  इस अवसर पर श्री बा गलें ने दोनों देशों के बीच    ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संंबंधों को   जैसे दो पुरानी साझी सांस्कृति से जुड़ें जुड़वाओं जैसे संबंध  बतातें हुये कहा कि दोनों देशों की जनता के  बीच आपसी संपर्क बढाने के लिये श्री लंका के जाफना और चेन्नई के बीच सीधी विमान सेवाये शुरू होने की जानकारी दी. गौरतलब हैं कि जाफना क्षेत्र में भारत के तमिल मूल के लोगों की बहुसंख्या हैं.श्री विक्रम सिंह सहित‌ श्रीलंका‌ के‌ पर्यटन विभाग,शीर्ष नेतृत्व और भारत और श्री लंका के पर्यटन से जुड़ें सभी  स्टेक होल्डर्स ने सुश्री मायल द्वारा पर्यटन के जरियें दोनो देशों को नजदीक लाने की पहल का  स्वागत किया, सुश्री मायल ने कहा कि श्री लंका पिछले वर्ष के दुर्भाग्यपूर्ण घटना क्रम के बाद अब पटरी पर वापस लौट रहा हैं ऐसे में ना केवल भारतीय सैलानियों बल्कि दुनिया भर के सैलानियों को आ कर लगेगा कि श्री लंका उन के स्वागत के लियें तैयार हैं.
बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फोर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल  एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन जिस में भारत, श्रीलंका बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल, भूटान शामिल हैं.
गौरतलब हैं कि श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद में पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी पर्यटन की रहती हैं, लेकिन १९४८ में ब्रिटेन से आजादी के बाद से देश के सर्वाधिक भीषण आर्थिक  संकट के दौरान 2012 में  श्रीलंका आने वाले पर्यटकों की संख्या 194495 रह गयी थी वही 2022 में यह  फिर से बढ कर 27.02 प्रतिशत यानि 719778 हो गई  उल्लेखनीय है देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः पर्यटन पर आधारित है लेकिन पिछले वर्ष की राजनीतिक असिथरता और  आर्थिक बदहाली के बाद  अब धीरे धीरे पर्यटन और विकास  धीरे धीरे पटरी पर आ रहे है.  दोनों  पड़ोसी मित्र देशों की साझी सासंकृतिक, आध्यात्मिक विरासत,जनता के बीच अपना पन भारतीय पर्यटकों और श्री लंका नागरिकों के लियें विशेष  आक्र्षण क़ा केन्द्र रही हैं.  .उन्होंने कहा कि विशेष कर भारत से पर्यटकों को यहां के पर्यटन क्षेत्रों तक लाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं, जिस से पर्यटन उद्योग एक बार फिर से उठने की उम्मीद हैं.
 गौरतलब हैं कि पिछलें वर्ष अप्रैल के बाद के आर्थिक संकट और राजनैतिक अस्थिरता के  बाद   देश गहरी उथल पुथल में घिर गया राजनैति्क अस्थिरता के इसी आलम मे  देशवासियों को खाद्द्यन,दवाये, पेट्रोल जैसे जरूरी सामान की भारी किल्लत झेलनी पड़ी,  नागरिको का गुस्सा फूट पड़ा और उस ने  सड़को पर हिंसक जन प्रदर्शन का रूप ले लिया   पूर्व  र्व राष्ट्रपति  गोट्टाबाया को पद झोड़ना पड़ा. श्रीलंका की  पिछले वर्ष की  आर्थिक बदहाली से उबरनें में और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने  के प्रयासों में भारत के योगदान की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए एक विशेषज्ञ ने  मदद को लाईफ लाईन बताया.उन्होंने कहा कि श्रीलंका जब पिछले वर्ष दिवालियापन के कगार पर था, ऐसे में भारत ही था जिसने श्रीलंका कि 3.9 अरब  डॉलर का ऋण दिया और यहीं आधार था जिस से जिससे श्री लंका अपनी आर्थिक बहाली शुरू कर सका अन्यथा अगर  मुद्रास्फीति की यही स्थिति रहती हैं तो  श्री लंका तबाही के कगार पर पहुंच जाता.
श्री लंका के विदेश मंत्री अली साबरी के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति उस वक्त 95 प्रतिशत और सामान्य मुद्रास्फीति 80 प्रतिशत तक पहुंच चुकी थी लेकिन भारत  सहित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा फंड, एशियायी विकास बेंक़ जैसे अंतर रा्ष्ट्रटीय वित्तीय समूहों की मदद से और राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के नेतृत्व सरकार द्वारा लियें गये कड़ें साहसिक, फैसलों के साथ ही देशवासियों की अदम्य इच्छा शक्ति और जुझारूपन  की बदौलत आज मुद्रास्फीति 12 प्रतिशत ही रह गयी जब कि इस दर को पाने  का लक्ष्य अक्टूबर रखा गया था.विदेश मंत्री ने कहा निश्चय ही श्रीलंका ने उन गलतियों से सबक सिखेगा , जिस के चलतें श्रीलंका को पिछले कुछ वर्षों मे बुरे दौर से गुजरना पड़ा.                      'टीएएआई' की अध्यक्ष ज्योति मायल ने कहा कि सम्मेलन का एजेंडा दोनों देशों में पर्यटन को बढावा देना है खास तौर पर पिछले वर्ष ध्वस्त हुई  श्रीलंका के पर्यटन को किस तरह से पटरी पर लाया जाना  ही नहीं  बल्कि नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाना हैं . उन्होंने कहा " पर्यटन को किसी तरह की सीमाओं मे नहीं बॉ्धा जना चाहियें. भारत की अर्थ व्यवस्था  जिस तरह से प्रगति कर रही हैं, भारत एक बड़ा बाजार हैं  जिस से पर्यटन में  भी अपार संभावनायें बढी हैं. तीन अरब डॉलर की अर्थ व्यवस्था वाला भारत लगातार पर्यटकों के लिये  और भी लोक प्रिय पड़ाव बनता जा रहा हैं उन्होंने कहा कि दोनों देशों के साझी सांस्कृतिक विरासत है  उन्होंने कहा कि भारत का ताज महल,केरल  के बेक वाटर्स, एजंता एलोरा,तो   दूसरी तरफ सिरगिया  की युनेएस्को ्वर्ल्ड हेरीटेज चट्टान स्मारक , मिनरै नेशनल पार्क मे हाथियों का अभयारण्य, केंडी मे महात्मा बुद्ध का पूज्य दंत   ऐसे प्रतिष्ठित  स्मारक  के साथ ही वहा के जंगल, समुद्र एक बार फिर से पर्यटकों को आकर्षित करने लगे हैं, यानि आशवस्त कर रहे हैं कि श्री लंका  पर्यटकों का इंतजार कर रहा हैं.  समाप्त
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