जाने कौन है जयललिता के सबसे विश्वस्त शशिकला, अटकले है जयललिता की मृत्यु से उपजे शुन्य के बाद अन्ना द्रमुक पार्टी मे उन्हे बड़ी जिम्मेवारी दिये जाने की

By Shobhna Jain | Posted on 6th Dec 2016 | VNI स्पेशल
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चेन्नई,६ दिसंबर (शोभनाजैन/वीएनआई)यहा के राजा जी हॉल मे शीशे के ताबूत मे रखे सुश्री जयललिता के शव के साथ एक चेहरा जो कल रात से निरंतर उनके साथ खड़ा है वह है जयललिता की वि्श्वस्त सहयोगी शशिकला नटराजन का, जो रह रह कर जयललिता की प्रिय हर रंग की साड़ी को ठीक कर रही है, कभी उनकी पार्थिव देह पर रखी माला सही कर रही है तो कभी उनके शव वाले बक्से पर हाथ रख कर देती है. तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता की करीबी शशिकला एक परिचित चेहरा है.शशिकला उनके साथ गहरे से जुड़ी हुई है. ऐसी अटकले जोरो पर है अचानक प्रभावशाली नेतृत्व की कमी से जूझ रही अन्ना द्रमुक पार्टी की कमान वे संभाल् ले और उन्हे पार्टी का नया महासचिव बना दिया जाये और इस नाजुक दौर मे वे इस पार्टी को जोड़ा रख सके. शशिकला जहा उन्हे अपनी मॉ समान बताती रही है तो जयललिता के लिये वह अपनी बहिन जैसी बताती रही है.१०८० के दशक के मध्य मे वे जयललिता से मिली और जल्द ही उनके पॉज गार्डन वालेघर मे आकर जयललिता और उनके घर की जिम्मेवारी संभालने लगी.जानकारो का कहना है कि वे जयललिता की सबसे विश्वस्त रही है,उन्हे कब क्या चाहिए, , सबका प्रबंधन शशिकला की देखरेख में होता था. यही कारण है कि वह जयललिता की भरोसेमंद बनीं, हालांकि दोनो के बीच कुछ समय के लिये फासले भी बने लेकिन कुल मिलाकर् अंत तक वे उनकी भरोसेमंद बनी रही.पिछले ७५ दिनो से जब से जयललिता अस्पताल मे भर्ती थी ,एक चेहरा जो दिन रात साये की तरह उनके साथ रहा वह शशिकला का था.जयललिता हालांकि उनके पति को नापसंद करती थी ,उन्हे लगता था कि वे पार्टी सरकार मे बेवजह दखल करते है. लेकिन उस दौर मे शशिकला ने नटराजन की जगह जयललिता का साथ दिया. नटराजन को पॉज गार्डन छोड़ना पड़ा लेकिन वे जयललिता के साथ रही. जानकारों की मानें तो फिलहाल पार्टी मे वे जयललिता की उत्तराधिकारी बन सकती हैं और हो सकता है अचानक प्रभावशाली नेतृत्व की कमी से जूझ रही अन्ना द्रमुक पार्टी की कमान वे संभाल् ले और उन्हे पार्टी का नया महासचिव बना दिया जाये और इस नाजुक दौर मे वे इस पार्टी कोजोड़ सके. राज्य के नव निर्वाचित मुख्य मंत्री ओ. पन्नीरसेवलम भी जयललिता के साथ साथ उनके भरोसे के बताये जाते है .जानकारो के अनुसार श्री पन्नीरसेवलम पर भरोसा करके २००१ और २०११ मे दो बार राज्य का अंतरिम मुख्य मंत्री बनाने की सलाह मे शशिकला का भी हाथ बताया गया है. तमिलनाडु में तंजौर जिले के मन्नारगुडी गांव में पैदा हुई शशिकला को बचपन में स्कूल जाने के बजाए फिल्में देखना ज्यादा रास आता था. यही वजह है कि पढ़ाई तो उन्होंने शुरुआत में ही छोड़ दी और उनका नाता फिल्मों से नाता गहरा होता चला गया.जानकारों की मानें तो तमिलनाडु के एक छोटे से गांव से आरामदायक जिंदगी जीने का सपना लेकर शशिकला चेन्नई पहुंची थीं और वीडियो के छोटे से कारोबार से शुरू कर राजनीति में अपनी जगह बनाई,वीडियो के कारोबार के जरिये ही उन्हे प्रारंभ मे जयललिता की छवि उभारने का मौका मिला जिससे जयललिता खासी प्रभावित हुई और यही से शुरू हुआ दोनो के आपसी भरोसे का रिश्ता. शशिकला के माता-पिता ने तमिलनाडु सरकार में जनसंपर्क विभाग की मामूली नौकरी करने वाले एम नटराजन के साथ उनका विवाह कर दिया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और राजनीति में अपनी जगह बनायी. उन्होंने अपने काम के कारण ही जयललिता के दिल में जगह बनाई और उनके हर काम में मदद की. इसी वजह से उनको जयललिता के उत्तराधिकारी के तौर पर जानकार देखते हैं. जानकारोके अनुसार मुख्यमंत्री के तौर पर 1991 से 1996 तक के जयललिता के पहले कार्यकाल में शशिकला निरंतर शक्तिशाली बनती गई और ्सरकारी काम काज मे उनका दखल साफ दिख रहा था . उनके परिवार से जयललिता का संबंध बढता गया. शशिकला के भतीजे वीएन सुधाकरन को जया ने अपना दत्तक पुत्र बनाया. 1995 में वीएन सुधाकरन की शादी हुई जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई. इस शादी पर 100 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो शशिकला के प्रभाव के चलते ही जयललिता ने वीएन सुधाकरन को अपना दत्तक पुत्र बनाया. 1996 के आम चुनाव में वीएन सुधाकरन की शाही शादी ,भृष्टाचार के आरोपो की वजह से जयललिता की पार्टी को राज्य की सभी 39 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद जयललिता ने शशिकला और उनके परिवार से दूरी बना ली. इतना ही नहीं सुधाकरन को दत्तक पुत्र मानने से भी इनकार कर दिया. 17 दिसंबर 2011 को जयललिता ने शशिकला और उनके परिवार को अपने घर और पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया हालांकि, यह अलगाव भी मात्र 100 दिन ही चला.हालांकि शुरूआत मे इस वाकया के बाद जयललिता, शशिकला के प्रति ज्यादा सावधान नजर आने लगीं थीं.लेकिन ये फासले जल्द ही दूर हो गये और शशिकला पर जयललिता का जो भरोसा बना वह अंत तक बना रहा शायद इसी भरोसे के चलते अब जानकारो का कहना है कि हो सकता है अचानक प्रभावशाली नेतृत्व कीकमी से जूझ रही अन्ना द्रमुक पार्टी की कमान वे संभाल् ले.वी एन आई

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