नई दिल्ली/लखनऊ,३ जनवरी (वी एन आई) समाजवादी पार्टी में चल रहे घमासान के बीच आज एक बार फिर मुलायम और अखिकेश के बीच सुलह कराने की कोशिश तो हुई लेकिन कौशिशे सफल नही हो सकी. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शिवपाल यादव की मौजूदगी मे मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की घंटो चली बैठक बेनतीजा रही.इसमें कोई फॉर्मूला नहीं निकल सका. सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने अखिलेश को दोबारा मीटिंग के लिए बुलाया है.
इस बीच अखिलेश यादव के करीबी रामगोपाल यादव ने आज दिल्ली में चुनाव आयोग के साथ बैठक के बाद कहा कि कोई समझौता होने नहीं जा रहा. हम अखिलेश यादव की अध्यक्षता में चुनाव लड़ने जा रहे हैं.उन्होने कहा पार्टी के बहुसंख्यक अखिलेश यादव के साथ है
पिता-पुत्र में सुलह की कोशिश की शुरुआत आजम खान ने की थी. इसके लिए वह मुलायम सिंह यादव से मिलने दिल्ली पहुंचे थे, लेकिन मुलायम से फोन पर ही बात हो पाई. अखिलेश यादव ने भी मुलायम से फोन पर बात की.इसके बाद अचानक मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ लौटने का फैसला कर लिया. रेगुलर फ्लाइट में अचानक टिकट न मिलने की वजह से उन्होंने चार्ट्ड प्लेन लेने का निर्णय किया.
(
चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद आज रामगोपाल यादव ने कहा है कि 90 फीसदी विधायक अखिलेश यादव का समर्थन कर रहे हैं इसलिए उनके गुट को ही समाजवादी पार्टी माना जाना चाहिए. रामगोपाल ने यह भी कहा कि पार्टी का चुनाव चिह्न भी उनके गुट को ही मिलना चाहिए. इससे पहले सोमवार को मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव, अमर सिंह और जया प्रदा चुनाव आयोग पहुंचे थे और अपना पक्ष रखा था.वहीं मुलायम के छोटे भाई और उनके करीबी सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मुलायम अब भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और रहेंगे
इसी बीच सुलह के प्रयासो मे जुटे आजम खान ने कहा कि कोई नहीं चाहता कि समाजवादी सरकार जाए. अल्पसंख्यक समुदाय में इसे लेकर मायूसी है. लेकिन अभी समय है. अभी सारे दरवाजे बंद नहीं हुए हैं.सपा को एकजुट करने की कोशिशें जारी हैं.
साइकिल का हैंडल कौन थामेगा अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है हालांकि यह भी सही है कि इस तरह के मामलों में फैसले के लिए कई महीनों का वक्त चाहिए. ऐसे में साइकिल जब्त हो सकती है. इसका अहसास दोनों खेमों को है, लेकिन हथियार डालने को कोई तैयार नहीं.
चुनाव आयोग के मुताबिक वह दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद ही फैसला करेगा, जिसकी सुनवाई कोई सदस्य नहीं बल्कि पूरा कमीशन करेगा, लेकिन इसमें कुछ महीनों का वक्त लग सकता है. पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक, इस तरह के मामलों में फैसला सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक दिए जाते हैं. देखा जाएगा कि बहुमत किसके साथ है. फैसला नहीं होने पर चुनाव चिन्ह फ्रीज हो जाएगा. दोनों पक्षों को अस्थायी चुनाव चिह्न मिलेगा. दोनों पार्टियां भी अस्थायी चिह्न चुन सकती हैं.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कल कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी उनसे जुड़ी हुई है और उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है. मुलायम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने बेदाग जीवन जीया है और सर्वोच्च न्यायालय ने भी उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें क्लीन चिट दे दी है.