मॉस्को/नयी दिल्ली,१४ अक्टूबर(शोभनाजैन/वीएनआई) भारत तथा रूस के बीच कल एस-400 ‘ट्रंफ' लंबी दूरी की क्षमता वाली वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के 39,000 करोड़ रूपये के महत्वाकांक्षी समझौते पर हस्ताक्षर किये जायेंगे.इसके साथ ही दोनो देशो द्वारा विभिन्न क्षेत्रो मे उबयपक्षीय सहयोग बढाने के 18 समझौतो पर् भी हस्ताक्षर किये जाने की उम्मीद है. गोवा मे कल प्रधान मंत्री मोदी व रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के नेतृत्व मे शिष्टमंडल स्तर की वार्ता केबाद इन समझौतो ्पर हस्ताक्षर कियेजायेंगे.श्री पुतिन गोवा मे कल से शुरू होने वाले ब्रिक्स शिखर बैठक मे हिस्सा लेने पहुच रहे है जहा दोनो शीर्ष नेता उबयपक्षीय वार्ता भी करेंगे,शिष्टमंडल स्तर के वार्ता से पहले दोनो आपस मे अलग से भी चर्चा करेंगे. सूत्रो के अनुसार पुतिन और मोदी परमाणु उर्जा इंजीनियरिंग में सहयोग और सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भी विचार-विमर्श करेंगे.समझा जाता है कि दोनो देशो ने रूसी सह्योग से बन रहे कुंदकुलम परमाणु संयंत्र की पॉचवी और छठी यूनिट के समझौते को भी अंतिम रूप दे दिया गया है
सूत्रो के अनुसार अपनी बातचीत के परिणामस्वरुप पुतिन और मोदी संयुक्त वक्तव्य जारी करेंगे जो विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों को सुलझाने की दिशा में उनके साझा प्रयासों ्का प्रारूप हो सकता है . दोनों पक्ष अपने कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे होने के मौके पर भविष्य के अपने कदमों के एक खाका को भी मंजूरी देंगे.
सूत्रो के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी व राष्ट्रपति पुतिन की बातचीत के बाद भारत को एस-400 ट्रंफ विमान रोधी मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति पर एक समझौता किया जाएगा और कुछ अन्य दस्तावेजों पर भी दस्तखत किये जाएंगे।' भारत तीन प्रकार की मिसाइलों पर निशाना साधने में सक्षम सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली में से पांच प्रणालियां हासिल करने में रचि रखता है. इसमें अपनी तरफ आ रहे दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और यहां तक कि ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक के दायरे में मार गिराने की क्षमता है.एस-400 विमान रोधी मिसाइलों की खरीद को रक्षा मंत्रालय द्वारा दिसंबर में मंजूरी दी गई थी
अगर भारत समझौते पर हस्ताक्षर करता है तो यह चीन के बाद इस मिसाइल प्रणाली का दूसरा ग्राहक होगा। चीन ने पिछले साल तीन अरब डॉलर का करार किया था. एस-400 पहले केवल रुसी रक्षा बलों के लिए ही उपलब्ध था। यह एस-300 का उन्नत संस्करण है. अलमाज-आंते ने इसका उत्पादन किया है और रुस में 2007 से यह सेवा में है.
सूत्रो के मुताबिक रुस की भारत के लिए प्रोजेक्ट 11356 के तहत युद्धपोत बनाने के संबंध में समझौता करने की और कामोव का-226 टी हेलीकॉप्टर के उत्पादन के लिए रुस-भारत का संयुक्त उपक्रम स्थापित करने की भी योजना है.
रुसी सूत्रो ने इसी बीच दावा किया कि भारत ने (पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास को लेकर) अपनी चिंता को किसी भी तरह राष्ट्रपति पुतिनकी यात्रा से नहीं जोडा है.' उनसे पूछा गया था कि भारत जिस क्षेत्र को विवादित मानता है, उसमें हाल ही में रुस और पाकिस्तान के सैन्य अभ्यास से क्या पुतिन की यात्रा की तैयारियों पर असर पडा है. गौरतलब है किभारत इस संयुक्त सैन्याभ्यास पर रूस से अपनी चिंताये दर करा चुका है.भारत ने रुस के साथ अपनी सालाना द्विपक्षीय शिखर-बैठक से पहले पाकिस्तान के साथ उसके संयुक्त सैन्य अभ्यास पर आपत्ति प्रकट की थी और कहा था कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास से समस्याएं और बढेंगी ही.
द्विपक्षीय एजेंडे के अलावा रुसी और भारतीय नेता इस चर्चा मे आतंकवाद,सीरिया, अफगानिस्तान और अन्य देशों में हालात पर चर्चा करेंगे
मॉस्को में भारतीय राजदूत पंकज सरन ने रुसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती को दिये साक्षात्कार में कहा था, ‘‘हमने रुसी पक्ष को अपने इन विचारों से अवगत करा दिया है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले और राज्य की नीति के तौर पर उसका अनुसरण करने वाले देश पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग गलत पहल है और इससे समस्याएं और बढेंगी ही.वी एन आई