गैर पंजीकृत एजेंटो द्वारा गलत तरीको से विदेश भेजे जाने के मामलों को मानव तस्करी निरोधक अधिनियम के दायरे में लाने पर विचार

By Shobhna Jain | Posted on 2nd Dec 2015 | VNI स्पेशल
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नयी दिल्ली,2 दिसंबर (अनुपमाजैन/वीएनआई) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सउदी अरब में एक नियोक्ता द्वारा एक भारतीय महिला के हाथ काट डालने के जघन्य मामले मे वहा के शासको से महिला को न्याय दिये जाने की मांग की है साथ ही सरकार गैर पंजीकृत एजेंटो द्वारा गलत तरीके से विदेश भेजे जाने वा्ले भारतीयो के मामलों को 'मानव तस्करी' मानते हुए इसे मानव तस्करी निरोधक अधिनियम के दायरे में लाने का प्रयास कर रही हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में सउदी अरब के शासक से मुलाकात के दौरान पीडिता कस्तूरी मुनीराथनम के लिए न्याय की मांग की है जिनके नियोक्ता ने उनका हाथ काट दिया था. गत 16 नवंबर को तुर्की में जी20 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने सउदी अरब के शाह सलमान अल सौद से यह मॉग की. इस मामले के तूल पकडे जाने के बाद 56 वर्षीय कस्तूरी रियाद स्वदेश वापस लौट आयी हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही फैसला ले चुकी है कि घरेलू सेवक के रूप में काम करने विदेश जाने वाले सरकारी पंजीकृत भर्ती एजेंसियों के माध्यम से ही जाएं ताकि उनका शोषण न हो सके. जो गलत तरीके से गैर पंजीकृत एजेंसियों के जरिये विदेश जायेंगे, उसे मानव तस्करी करार दिया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी गतिविधियों को मानव तस्करी निरोधक अधिनियम के दायरे में लाने का प्रयास कर रहे हैं.'विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार खाडी क्षेत्र के कई देशों के साथ मिलकर इन देशों में काम््कर रहे भारतीय श्रमिकों के शोषण को रोका जा सके. विदेश मंत्री ने कहा कि इस घटना की जानकारी मिलते ही, भारतीय दूतावास ने सउदी अरब के अधिकारियों से सम्पर्क किया और हत्या के प्रयास कर मामला दर्ज करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा ' हालांकि मुझे यह जानकर काफी दुख हुआ कि सउदी अरब के अधिकारियों ने एक बयान जारी करके कहा कि वह नियोक्ता के घर से भागने का प्रयास करते हुए गिर गयी. हमने इसे स्वीकार नहीं किया है और उसे न्याय दिलाने के लिए मामले को आगे बढा रहे हैं. सुषमा स्वराज जिनके पास प्रवासी भारतीय मामलों का प्रभार भी है, ने कहा कि आमतौर पर यह शिकायत मिलती है कि खाडी देशों में नियोक्ता अपने भारतीय कर्मचारियों का पासपोर्ट अपने पास रख लेते हैं ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि वे आसानी से घर वापस नहीं लौट पाएं. उन्होंने कहा कि परेशानी में पडे ऐसे भारतीय श्रमिकों की मदद के लिए भारतीय मिशन जन शिकायत सुनवाई बैठकें आयोजित करता है और उन्हें मदद करने तथा पासपोर्ट वापस दिलाने के लिए पहल करता है. सुषमा ने कहा कि और अगर इस प्रयासों में सफल नहीं हो पाता तब परेशानी में पडे ऐसे भारतीयों को वापस लौटने के लिए आपात निकास परमिट दिया जाता है.वी एन आई

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