नई दिल्ली, 20 सितम्बर, (शोभना जैन/वीएनआई) भारत पाकिस्तान के बीच तनाव निरंतर बढ रहा हैं. जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 का हटाया जाना भारत का आंतरिक और उस की अपनी संप्रभुता से जुड़ा मसला रहा लेकिन पाकिस्तान इस फैसले से बुरी तरह से बौखला गया.सीमा पर तनाव बढा,पाकिस्तान द्वारा चलाई जा रही सीमा पार से आतंकी गतिविधियॉ बढी. ्स्थितियॉ ऐसी बनी कि परमाणु शक्ति सम्पन्न दोनों देशों के राजनेताओं बीच वाक युद्ध कूटनीतिक मर्यादाओं को पार कर रहा हैं. इस सब से दूर पाकिस्तान की एक जेल की काल कोठरी में फांसी की सजा प्राप्त भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव पल पल अपने जीवन मृत्यु के बीच घटते बढते फासले के बीच तिल तिल मर रहा हैं.
जाधव की रिहाई के लिये भारत सरकार के तमाम प्रयासों और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय आईसीजे द्वारा उसे राहत दिये जाने के सकारात्मक फैसलें के बावजूद पाक के "अमानवीय" रूख के चलते पहले से ही उलझा जाधव की रिहाई का मामला और उलझता जा रहा हैं.भारत और पाकिस्तान के बीच निरंतर बढते तनाव के बीच पाकिस्तान जिस तरह से इस मामलें को ले कर अमानवीय रूख इस्तेमाल कर रहा हैं या यूं कहे कि जाधव मामलें को "गोटी" की तरह से लगातार इस्तेमाल कर रहा है और कल जिस तरह से पाकिस्तान ने जाधव को दूसरी बार भारतीय राजनयिकों से मिलने देने की बात से इंकार किया, उस सब से जाधव की जल्द रिहाई को लेकर अनिश्चितता और बढ रही हैं. इस मामलें को ले कर भारत की कानूनी लड़ाई लंबी खिंचने के अंदेशे के साथ हालांकि ऐसा भी लगता हैं कि जाधव की खैरियत को ले कर पाकिस्तान किसी तरह का कोई अतिवादी कदम उठाने से बचेगा. ऐसा कोई भी अतिवादी कदम न/न केवल 'आईसीजे' के निर्देशों की धज्जियॉ उडाना हैं बल्कि अब भी वह न/न केवल वह इस तरह से अपने को अंतराष्ट्रीय समुदाय के सम्मुख बेनकाब कर रहा है अपितु इस से भारत पाकिस्तान रिश्तों में तल्खियॉ और बढ रही हैं. आईसीजे के निर्देशों के बाद काफी देर तक मामलें को लटकाये जाने के बाद आखिरकार गत दो सितंबर को पाकिस्तान ने भारत को जाधव से भारतीय राजनयिक को मिलने की इजाजत तो दी लेकिन मुलाकात हुई पाकिस्तानी गुप्तचर और सैन्य अधिकारियों की बाज निगाहों के बीच.... नतीजतन जाधव के चेहरे पर साफ दिखाई दी दहशत और उस ने "मन की बात" कहने की बजाय वो ही सब कहा जो उसे से जबरन कहलवाया गया. यह एक्सेस भी जब मिली जब कि पाकिस्तान ने गत 2016 से पकड़े गये जाधव को काउंसलर एक्सेस दिये जाने के भारत के सोलह प्रस्ताव खारिज कर दिये और जब मुलाकात हुई भी तो मुलाकात के नाम पर "छलावा"...और अब पाकिस्तान ने उस कॉन्सुलर एक्सेस की रस्म अदायगी ्के बाद जाधव के साथ दूसरी बार काउंसलर एक्सेस दिये जाने से देने की संभावना से इंकार किये जाने से मामला और उलझ गया हैं.दरअसल इस के मायने साफ हैं कि पाकिस्तान 'आईसीजे' के निर्देशों का पालन नही कर रहा है, सवाल हैं कि खास तौर पर इस बढते तनाव में आखिर जाधव का हश्र क्या होगा ? क्या उसे अकेले में भारतीय राजनयिक से मुलाकात की अनुमति मिल पायेगी जिस से भारत उस की रिहाई के लिये उसी आधार पर प्रयास कर सके? पाकिस्तान क्या इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय दबाव को समझेगा? क्या इस मुद्दें को द्विपक्षीय बातचीत से हल किया जा सकेगा या पाकिस्तान इसे ले कर किसी प्रकार की सौदेबाजी करने की फिराक में हैं.
गौरतलब हैं कि पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने कल ही कहा कि कुलभूषण जाधव को दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस नहीं मिलेगा.'भारत ने जहा पहली काउंसलर एक्सेस के तौर तरीकों पर निराशा प्रगट की थी ।्भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के अनुसार 'आईसीजे' का फैसला भारत के पक्ष मे था , भारत का प्रयास होगा कि पाकिस्तान पूरी तरह से इस फैसले को लागू करे.विचारणीय हैं कि अदालत ने पाकिस्तान को "काउंसिलर संबंधों" संबंधी वियना समझौते का उल्लघंन करने के लिये उसे आड़े हाथों लेते हुए व्यवस्था दी हैं कि पाकिस्तान जाधव की मौत की सजा पर "प्रभावी पुनर्विचार और समीक्षा" करें और जरूरी हो तो इस मामले में सुनवाई के लिये "उचित कानून" बनायें, साथ ही जाधव को भारतीय राजनयिकों से मिलने के लिये तुरंत "काउंसिलर एक्सेस" दी जायें और उसे तुरंत उस के "अधिकारों" की बाबत जानकारी दी जाये. अदालत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने जाधव की गिरफ्तारी को "नोटीफाई" नही कर के भारत के अधिकारों का हनन किया हैं जिस से वह जाधव से संपर्क नही साध पाया और उसे कानूनी सहायता उपलब्ध नही करा पाया.
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त तथा वरिष्ठ राजनयिक जी पार्थासारथी के अनुसार इस मामलें को द्विपक्षीय आधार पर आगे बढना होगा और पाकिस्तान अगर 'आईसीजे' के नियमों का यूं ही उल्लंघन करता रहता है तो भारत दोबारा 'आईसीजे' के पास जाने का विकल्प खुला हैं. पाकिस्तान के हुक्मरान अपने देश में अपनी साख बचाने के लिये भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ जिस तरह से अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर रहे है, कूटनीति में ऐसी मर्यादाओं का उल्लघंन कभी नही हुआ. इस से तल्खियॉ बढती हैं और विचाराधीन मुद्दें उलझते ही हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में भी सरकार को वहा लागू पाबंदियों मे जल्द ढील देने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमारे पक्ष मे आयेगा, उन्होंने कहा कि निश्चय ही ऐसे कदमों के साथ यह तो सुनिश्चित किया ही जायेगा कि देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नही हों. इतने लंबे समय तक पाबंदियॉ जारी रहने ्से अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी खुश नही है. पूर्व उच्चायुक्त मानते हैं कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आगामी २७ सितंबर को प्रस्तावित भाषण से पहले कश्मीर मे पाबंदियों मे ्ढील दिये जाने के किसी फैसले से निश्चय ही कश्मीर पर भारत के पक्ष को समर्थन मिलेगा, ध्यान रहे भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव (49) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने ‘जासूसी और आतंकवाद' के आरोप में अप्रैल 2017 में मौत की सज़ा सुनाई थी.
गिरफ्तारी के लगभग 16 माह बाद जाधव से लिये गये "जबरन इकबालिया बयान" के आधार पर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने बंद कमरे में "तुरत फुरत सुनवाई" कर उसे मौत की सजा सुना दी, जिस के खिलाफ भारत आईसीजे का दरवाजा खटखटाया इसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रूख किया था.जाधव को पाकिस्तान इरान के चाबहार बंदरगाह क्षेत्र से अपहरण कर पाकिस्तान ले आया था जहा वे व्यापार करते थे और बाद में उस ने आरोप लगाया कि जाधव को उस ने बलूचिस्तान में पकड़ा जहा वह पाकिस्तान के खिलाफ कथित तौर पर जासूसी और आतंकी गतिविधियों में लिप्त थे. बहरहाल इस तनाव को दूर करने के लिये अच्छा यही होगा कि पाक सीमा पर आतंकी गतिविधियॉ रोके, सीमा पर तनाव कम हो, तभी दोनों पक्षों के बीच बातचीत का रास्ता बन सकेगा और उम्मीद की जानी चाहिये कि उस स्थति के बनने पर सीमा पार आतंकवाद अन्य उभयपक्षीय मुद्दों सहित जाधव की रिहाई जैसे मानवीय मसले को हल जा सकेगा.समाप्त
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