नई दिल्ली 1 अप्रैल (अनुपमाजैन,वीएनआई.) नाॅर्वे भी नये महत्वांकाक्षी एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक का संस्थापक सदस्य बनने्को इच्छुक है, इस आशय की इच्छा जताते हुए नाॅर्वे के विदेश मंत्री बाॅर्ज ब्रेंड ने कहा, ‘नाॅर्वे वैश्विक विकास प्रयासों में -बड़ा योगदान देता है और उसकी इच्छा एआईआईबी की संरचना और मिशन को और मजबूत करने में एशिया एवं विश्व के अन्य देशों के साथ शामिल होने की है।
नॉर्वे दूतावास के अनुसार विदेश मंत्री ने कहा ‘हम उम्मीद करते हैं कि एआईआईबी की शुरूआत एशिया में व्यापक रूप से स्वीकृत ढांचागत वित्तपोषण की खाई को पाटने में मददगार साबित होगी। बैंक को एशिया एवं यूरोप दोनों ही जगहों पर व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है। आर्थिक मामलो के जानकारो के अनुसार चीन की पहल पर गठित होने वाला यह बहुपक्षीय विकास बैंक नई एवं उभरती शक्तियों के बढ़ते वजन को रेखांकित करती है। श्री बेंड के अनुसार \'नाॅर्वे ने सक्रिय रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ घनिष्ठ राजनीतिक एवं आर्थिक संबंधों को बढ़ावा दिया है, और बैंक में शामिल होने का हमारा निर्णय उसी रणनीति का एक हिस्सा है। \'
गौरतलब है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नए अध्याय की शुरुआत के तहत एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) की स्थापना गत 24 अक्टूबर 2014 को चीन की पहल पर की गयी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 50 अरब डॉलर की साझा पूंजी के इस बैंक की नींव रखी थी, चीन 49 फीसदी हिस्सेदारी के साथ इसका प्रमुख साझेदार होगा चीन के बाद भारत की सबसे अधिक हिस्सेदारी होगी। चीन, भारत और सिंगापुर सहित 21 देशों ने अक्टूबर में बीजिंग में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर इस बैंक की स्थापना का फैसला किया था।बैंक के इस साल के अंत तक शुरू हो जाने की संभावना है।
श्री ब्रेंड ने कहा, ‘ एआईआईबी की स्थापना नाॅर्वे की विकास प्राथमिकताओं के लिए महत्वपूर्ण होगी। नाॅर्वे यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा कि एआईआईबी प्रशासन, जबावदेही और पारदर्शिता के सर्वश्रेष्ठ मानकों को मूर्त रूप दे। हम उम्मीद करते हैं कि मिलजुल कर काम करेंगे और एशियाई विकास बैंक, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों के प्रयासों को समर्थन देंगे।‘
दूतावास के अनुसार नाॅर्वे एआईआईबी के समझौते की शर्तों पर अन्य संस्थापक सदस्यों के साथ विचार विमर्शों में हिस्सा लेगा जो प्रशासन और नए संस्थान के लिए जवाबदेही की शर्तें निर्दिष्ट करेगा। नाॅर्वे के वित्तीय समर्थन की संरचना और स्तर को एक साथ मिलाकर नाॅर्वे की एआईआईबी की सदस्यता पर अंतिम निर्णय उसके बाद किया जाएगा।
इस विकास बैंक का उद्देश्य एशियाई प्रशांत क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों का वित्तपोषण करना है जिससे यह एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को मदद प्रदान कराएगा। उसका मुख्यालय बीजिंग में स्थित होगा। रूस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और कुछ बड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं खासकर जर्मनी, इटली, स्विटज़रलैंड और लक्समबर्ग के अलावा नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, ताईवान ने भी उस में शामिल होने की अपनी इच्छा की घोषणा की हालांकि जापान वर्तमान चरण में एआईआईबी में शामिल नहीं होगा।
हालांकि अमेरिका प्रस्तावित बैंक की पारदर्शिता को लेकर चिंता जाहिर करता रहा है क्योंकि वह इस बैंक को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखता है साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया बैंक से एशिया में विकास के लिए होने वाले फैसलों में चीन का दबदबा बढ़ेगा और अमेरिका की इस क्षेत्र की राजनीति और अर्थव्यवस्था में प्रासंगिकता को बड़ा झटका लगेगा, परंतु चीन ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि नया बैंक विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक का पूरक होगा। इसकी प्रशासन प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी होगी
यह पहला अवसर है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से तीन (चीन, ब्रिटेन और फ्रांस) और जी7 के सात सदस्यों में से चार (ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली) ने बहुपक्षीय विकास बैंक की स्थापना में हिस्सा लिया।
कुल मिलाकर 44 देशों ने संस्थापक के रूप में बैंक में भागीदारी की याचिका दी परं चीन ने कल कहा कि एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) के संभावित संस्थापक सदस्य के रूप में 30 देशों को मंजूरी दे दी गई है।समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने कहा कि आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च थी और 15 अप्रैल को संस्थापक सदस्यों के नामों की पुष्टि हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ देशों पर अभी विचार जारी है। हुआ ने कहा कि एआईआईबी पहले से मौजूद अंतर्राष्ट्रीय कर्जदाताओं के साथ तालमेल बनाकर काम करेगा। उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना एशिया और पूरी दुनिया के देशों के लिए हितकर है। वी एन आई