नई दिल्ली 20 जून (अनुपमा जैन,वीएनआई) मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी मध्य भारत का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल या यूं कहें कि मध्य प्रदेश का एकमात्र पर्वतीय स्थल है है। यहां के हरे-भरे और शांत वातावरण में । यहां हरियाली की गोद में लिपटी पहाडि़यां, घाटियां, दर्रो की भूल-भुलैया, चांदी के समान चमकते झरने हैं व आकाश जैसे दिखने वाले नीले जलाशय के अलावा बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं, पचमढ़ी मे प्राणदायक वायु प्रदान करते वन-उपवन और इन सबसे बढ़कर प्रकृति की बनाई हुई वे पवित्र गुफाएं हैं, जिनमें ईश्वर के दर्शन होते हैं। यहां शिवशंकर के कई मंदिर भी है जिससे तीर्थयात्रा की अनूभूति भी प्राप्त हो जाती है यानि प्रकृति का भरपूर आनंद उठानते हुए सैरसपाटे के साथ साथ तीर्थयात्रा भी। महादेव का दूसरा घर पचमढ़ी :पचमढ़ी को कैलाश पर्वत के बाद महादेव का दूसरा घर कह सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भस्मासुर (जिसे खुद महादेव ने यह वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा और भस्मासुर ने यह वरदान खुद शिवजी पर ही आजमाना चाहा था) से बचने के लिए भगवान शिव ने जिन कंदाराओं और खोहों की शरण ली थी वह सभी पचमढ़ी में ही हैं, शायद इसलिए यहां भगवान शिव के कई मंदिर दिखते हैं। पचमढ़ी पांडवों के लिए भी जानी जाती है। यहां की मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ काल यहां भी बिताया था और यहां उनकी पांच कुटिया या मढ़ी या पांच गुफाएं थीं जिसके नाम पर इस स्थान का नाम पचमढ़ी पड़ा है। पचमढ़ी अर्थात सतपुड़ा की रानी : पौराणिक कथाओं से बाहर आकर आज की बात करें तो मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पचमढ़ी समुद्रतल से 1,067 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच होने और अपने सुंदर स्थलों के कारण इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। सतपुड़ा के घने जंगल : सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान का भाग होने के कारण यहां चारो ओर घने जंगल हैं। पचमढ़ी के जंगल खासकर जंगली भैंसे के लिए प्रसिद्ध हैं। इस स्थान की खोज कैप्टन जे. फॉरसोथ ने 1862 में की थी। पचमढ़ी की गुफाए पुरातात्विक महत्व की हैं क्योंकि इन गुफाओं में शैलचित्र भी मिले हैं। पचमढ़ी से निकलकर सतपुड़ा के घने जंगलों में जाने पर बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, चिंकारा, भालू आदि अनेक प्रकार के जंगली जानवर मिलते हैं। पचमढ़ी का ठंडा सुहावना मौसम इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। सर्दियों में यहां तापमान लगभग 4 से 5 डिग्री तक रहता है और गर्मियों में तापमान 35 डिग्री से अधिक नहीं होता। यहां की सदाबहार हरियाली घास और हर्रा, जामुन, साज, साल, चीड़, देवदारु, सफेद ओक, यूकेलिप्टस, गुलमोहर, जेकेरेंडा और अन्य छोटे-बड़े सघन वृक्षों से आच्छादित वन गलियारे तथा घाटियां मनमोहक है। लोकप्रिय जलप्रपात : यहां आप कई जलप्रपात का मजा ले सकते हैं जिसमें रजत प्रपात, बी फॉल्स तथा डचेज फॉल्स सबसे लोकप्रिय हैं। इसका बी फॉल्स नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि पहाड़ी से गिरते समय यह झरना बिलकुल मधुमक्खी की तरह दिखता है। यह पिकनिक स्पॉट भी है, जहां आप नहाने का भी मजा ले सकते हैं। रास्ते में आम के पेड़ बहुतायत में दिखते हैं। डचेज फॉल पचमढ़ी का सबसे दुर्गम स्पॉट है। यहां जाने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। इसमें से 700 मीटर घने जगलों के बीच से और करीब 800 मीटर का रास्ता पहाड़ पर से सीधा ढलान का है। पांडवों की गुफा : पचमढ़ी में आपके घूमने की शुरुआत पांडवों की गुफा से होती है। एक छोटी पहाड़ी पर ये पांचों गुफाएं हैं। वैसे इन्हें बौद्धकालीन गुफाएं भी कहा जाता है। शिवशंकर के प्रसिद्ध मंदिर : भगवान शिवशंकर के दर्शन के लिए आपको एक पूरा दिन देना पड़ सकता है क्योंकि यहां उनके मंदिर ही सबसे अधिक हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध हैं, जटाशंकर महादेव और गुप्त महादेव। गुप्त महादेव जाने के लिए दो बिलकुल सटी हुई पहाड़ियों के बीच से गुजरना होता है जबकि जटाशंकर मंदिर पचमढ़ी बस स्टैंड से महज डेढ़ किलोमीटर दूर है और वहां जाने के लिए पहाड़ी से नीचे उतरकर खोह में जाना होता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए ही भोले शंकर इन दोनों जगहों पर छिपे रहे थे। इसके अलावा तीसरा प्रसिद्ध मंदिर महादेव मंदिर है जिसके बारे में मान्यता है कि भस्मासुर से बचते हुए अंत में शिवजी यहां छिपे और यहीं पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखने के लिए मजबूर कर उसका विनाश किया था। इन मंदिरों, जलप्रपातों के अलावा डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुंड, इरन ताल, धूपगढ़, सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान आदि भी घूमने की जगहें हैं। सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ : प्रियदर्शिनी प्वाइंट से सूर्यास्त का दृश्य लुभावन लगता है। तीन पहाड़ी शिखर की बाईं तरफ चौरादेव, बीच में महादेव तथा दाईं ओर धूपगढ़ दिखाई देते हैं। इनमें धूपगढ़ सबसे ऊंची चोटी है। पचमढ़ी से प्रियदर्शिनी प्वाइंट के रास्ते में आपको नागफनी पहाड़ मिलता है जिसका आकार कैक्टस की तरह है और यहां कैक्टस के पौधे बहुतायत में हैं। पचमढ़ी प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से संपन्न क्षेत्र है, चूंकि पचमढ़ी कैंटोनमेंट क्षेत्र है और यहां के जंगलों में जाने के लिए आपको गाइड लेना अनिवार्य है। कैसे जाएं :- दिल्ली से जाने के लिये रहे हैं तो पहले भोपाल जाना होगा। यहां से पचमढ़ी की दूरी 211 किलोमीटर है और यह दूरी तय करने के लिए बसें मिलती रहती हैं। ये 211 किलोमीटर अगर अपनी गाड़ी से भी तय कर सकते हैं । पचमढ़ी से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया है जो कि पचमढ़ी से 52 किलोमीटर दूर है। ठहरने के स्थान :- मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल होने के कारण होटलों के मामले में पचमढ़ी बेहद समृद्ध है। यहां पंजाबी के अलावा जैन, गुजराती और मराठी व्यंजन भी आसानी से उपलब्ध हैं, क्योंकि साल में एक बार यहां मेला लगता है जिसमें पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों की भागीदारी सबसे अधिक होती है। मध्यप्रदेश टूरिज्म के होटलों के अलावा यहां प्राईवेट होटल भी बहुतायत में हैं।
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