कोलकाता, 21 अप्रैल (वीएनआई)| पूर्व भारतीय बल्लेबाज विरेंद्र सहवाग ने खुलासा किया है कि 2005 जिम्बाब्वे दौरे के दौरान सौरव गांगुली के खिलाफ तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल का ईमेल सबसे पहले उन्होंने देखा था।
बोरिया मजूमदार की एक किताब के विमोचन के दौरान फैनैटिक स्पोर्ट्स म्यूजियम में कहा, ग्रेग अपना ईमेल लिख रहे थे और मैं उनके बगल में बैठा था। मैंने देखा कि वह बीसीसीआई को कुछ लिख रहे थे और मैंने दादा को जाकर इसके बारे में बताया। मैंने कहा कि वह बीसीसीआई को लिख रहे हैं और यह बहुत ही गंभीर मामला है। ग्रेग चैपल को मई 2005 में भारत का कोच बनाया गया था और एक साल बाद जिम्बाब्वे दौरे के दौरान सौरव गांगुली को कप्तानी से हटा दिया था। सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा 'प्लेइंग इट माई वे' में भी चैपल के बारे में लिखा गया है, जिसमें हरभजन सिंह ने कहा है, भारतीय क्रिकेट को इतनी क्षति पहुंचाई कि उससे उबरने में कम से कम तीन वर्ष का समय लग गया। जहीर खान ने चैपल के बारे में कहा, उनका अपना व्यक्तिगत एजेंडा था।
यह पूछे जाने पर कि एक क्रिकेटर के तौर पर उनके लिए सबसे यादगार पल कौन था? सहवाग ने कहा, "मेरा पहला टेस्ट शतक।" सहवाग ने 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 105 रन बनाए थे। सहवाग ने आगे कहा, जब मैं वनडे खेलता था तो लोग यह कहते थे कि मैं टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकता। इसलिए जब मैं पहला शतक लगाया तो गांगुली को गले लगाया क्योंकि उन्होंने मुझे टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौका दिया। मैं खुद का साबित करना चाहता था। उन्होंने गांगुली और कोच जॉन राइट द्वारा सलामी बल्लेबाज के रूप में खिलाए जाने के प्रश्न पर कहा, मैंने उनसे कहा सचिन ने हमेशा बल्लेबाजी की शुरुआत की है और सौरव ने भी सलामी बल्लेबाज के रूप में ही खेला है। मुझे मध्यक्रम में ही बल्लेबाजी करने दीजिए। लेकिन सौरव और जॉन ने कहा कि आपको बाहर बैठना पड़ेगा क्योंकि टीम में तुम्हारे लिए यही एक जगह है।
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