रियो डी जनेरियो, 19 अगस्त (वीएनआई)| भारतीय पहलवान नरसिंह यादव को डोपिंग मामले में विश्व की सबसे बड़ी खेल अदालत-कोर्ट फॉर अर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) ने बीते गुरुवार को लम्बी सुनवाई के बाद उनको क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ दायर विश्व डोपिंग निरोधी एजेंसी (वाडा) की अपील को स्वीकार कर लिया।
वाडा ने अपनी अपील में नरसिंह को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधी एजेंसी (नाडा) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को गलत करार दिया था और उन पर प्रतिबंधित दवाओं के सेवन को लेकर चार साल का प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। अब जबकि सीएएस ने वाडा की अपील स्वीकार कर ली है, नरसिंह का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। वह अब रियो ओलम्पिक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। रियो में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख राकेश गुप्ता ने सुनवाई के बाद कहा यह बेहद दुखद: और दुर्भाग्यपूर्ण है। हम सुनवाई के अंतिम चरण तक आशान्वित थे। हमें उम्मीद थी कि नरसिंह को क्लीन चिट मिल जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं सका। यह बेहद दुखदाई है क्योंकि नरसिंह में पदक जीतने की क्षमता है।
सीएएस के एडहॉक डिविजन ने बीते गुरुवार को वाडा की अपील पर सुनवाई के लिए बैठक की और उन पर चार साल का प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। नाडा ने बीते महीने नरसिंह को प्रतिबंधित दवाओं के सेवन के आरोपों से मुक्त किया था और इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ ने नरसिंह को ओलम्पिक में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान की थी। नाडा ने कहा था कि नरसिंह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी की साजिश का शिकार हुए हैं लेकिन सीएएस ने इसे नकार दिया और अपने बयान में कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि नरसिंह ने जो किया है वह अनजाने में हुआ है और इन सबमें उनका कोई दोष नहीं है। ऐसे में उन पर तयशुदा चार साल का प्रतिबंध लगाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि 25 जून और पांच जुलाई को लिए गए सैंपलों के आधार पर नाडा ने नरसिंह को प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का आरोपी करार दिया था लेकिन नरसिंह ने कहा था कि उन्हें फंसाया गया है। इसके बाद नाडा ने एक लम्बी सुनवाई के बाद नरसिंह को आरोपमुक्त कर दिया था। वाडा ने इसी के खिलाफ सीएएस में अपील की थी, कि आखिरकार डोप में फंसे एक खिलाड़ी के इस तरह कैसे क्लीन चिट दी जा सकती है, जबकि उसके पास पाक-साफ होने का कोई सबूत नहीं है। वाडा ने ऐसे समय में नरसिंह को लेकर दिए गए नाडा के फैसले को लेकर सीएएस जाने का फैसला किया, जब उनके मुकाबले में दो दिन शेष रह गए थे।
सीएएस ने अपने बयान में कहा इस मामले को देख रही सीएएस की पैनल ने सभी पक्षों और उनके प्रतिनिधियों की दलीलें सुनीं। सभी पक्षों को इस बात की सूचना दे दी गई कि नरसिंह के खिलाफ दायर अपील को स्वीकार कर लिया गया है और नरसिंह पर चार साल का प्रतिबंध लगाया गया है। प्रतिबंध गुरुवार से मान्य हो गया है। सीएएस के इस बयान का मतलब है कि अब नरसिंह ओलम्पिक या किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में हिस्सा लेने के योग्य नहीं रह गए हैं। सीएएस ने साथ ही यह भी कहा कि 25 जून 2016 के बाद दर्ज नरसिंह के सभी प्रतियोगी परिणामों को रद्द किया जाता है। नरसिंह को आज 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल मुकाबले में फ्रांस के जेलिमखान खादिजेव से भिड़ना था और इसके लिए गुरुवार को दोनो खिलाड़ियों का वजन भी किया गया था।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत भारत को ओलम्पिक कोटा दिलाने वाले नरसिंह नाडा द्वारा 25 जून को कराए गए डोप टेस्ट में असफल साबित हुए थे। नरसिंह ने इसे अपने खिलाफ साजिश बताया था और नाडा के सामने अपना पक्ष रखा था। नाडा ने लम्बी सुनवाई के बाद एक अगस्त को नरसिंह पर लगा अस्थायी प्रतिबंध हटा लिया था। जुलाई में डोप टेस्ट में नाकाम होने के बाद नाडा ने नरसिंह पर अस्थायी प्रतिंबध लगा दिया था। नरसिंह पर स्टेरॉयड के सेवन का आरोप साबित हुआ था। आउट ऑफ कम्पटीशन लिए गए उनके दोनों नमूनों में प्रतिबंधित पदार्थ के अंश पाए गए थे।रियो ओलम्पिक में जाने के लिए अपने साथी खिलाड़ी और दो बार के ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार से कानूनी जंग जीतने वाले नरसिंह को नाडा ने साजिश का शिकार बताया था। नाडा ने कहा था कि नरसिह की छवि खराब करने की कोशिश की गई तथा संदेह का लाभ देते हुए उनसे प्रतिबंध हटाया गया है। नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने कहा था, "नरसिंह यादव की तरफ से किसी तरह की कोई गलती और लापरवाही नहीं बरती गई है। प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी द्वारा उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई है। नाडा की जांच पैनल का मानना है कि प्रतिबंधित पदार्थ का सिर्फ एक बार सेवन किया गया, जिसके संबंध में नरसिह को कोई जानकारी भी नहीं थी। इसस उनका दावा मजबूत होता है।
इससे पहले भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह ने जोर देते हुए कहा था कि अगर नरसिंह को नाडा से हरी झंडी मिल जाती है तो वह उनके रियो जाने के लिए आगे की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। 74 किलोग्राम भारवर्ग में भारतीय कोटा बचाए रखने के लिए डब्ल्यूएफआई ने नरसिंह के स्थानापन्न खिलाड़ी के तौर पर प्रवीण राणा को भेजा गया था। नरसिंह के आरोपमुक्त होने के बाद राणा को वापस बुला लिया गया था।इसके बाद भारतीय कुश्ती संघ ने नरसिंह को क्लीन चिट मिलने की जानकारी अंतराष्ट्रीय कुश्ती महासंघ को दी, जिसने नरसिंह को रियो में खेलने की अनुमति दे दी लेकिन यहां वाडा द्वारा उठाए गए कदम को लेकर संशय बना हुआ था। नाडा ने नरसिंह को लेकर वाडा को पूरी जानकारी दे दी थी और बहुत उम्मीद थी कि वाडा इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए सीएएस का दरवाजा खटखटाएगा। यह पूरी प्रक्रिया पहले ही हो जानी चाहिए थी लेकिन वाडा ने अंतिम समय में सीएएस जाकर सबको चौंका दिया। इस बीच सीएएस ने उसकी अपील को स्वीकार करते हुए नरसिंह और भारतीयों को मायूस कर दिया।